ऐसी उपेक्षा होती रही तो बनेंगे क्षेत्रीय दल का विकल्प: मोर्चा
रांची। राजनेताओं की इच्छा शक्ति की कमी के कारण झारखण्डियों का हो रहा है नुकसान, भोजपुरी मगही, मैथिली , बांग्ला, उर्दू ,उड़िया, अंगिका, क्षेत्रीय भाषा नहीं, सरकार तुरंत वापस ले।मूलवासी सदान मोर्चा ऐसी उपेक्षा होती रही तो बनेगें क्षेत्रीय दल का विकल्प।कई दशकों के संघर्ष और शहादत के बाद झारखण्डियों को अपना पहचान व राज्य मिला। लेकिन झारखंड के राजनेताओं की इच्छा शक्ति की कमी के कारण झारखण्डियों को हो रहा है नुकसान, सरकार झारखण्डियों की भाषा व अधिकारों को लूटवाने और मिटाने में लगी हुई है। क्षेत्रीय दलों ने भी झारखण्डी और झारखण्ड के साथ धोखा व विश्वासघात किया है। ऐसा ही रहा तो क्षेत्रीय दल का बनेगें विकल्प, उक्त बातें आज संवाददाता सम्मेलन में कोकर स्थित एक होटल में राष्ट्रीय मूलवासी सदान मोर्चा के कोर कमेटी के वरिष्ठ सलाहकार व झारखण्ड आन्दोलनकारी क्षितिश कुमार राय व मोर्चा के नेता डॉ राम प्रसाद , अध्यक्ष नागपुरी भाषा परिषद, केंद्रीय प्रवक्ता ,विशाल कुमार, डॉ ब्रज भूषण पाठक, कोषाध्यक्ष महेंद्र ठाकुर ने संयुक्त रुप से कही। क्षितिश कुमार राय ने कहा कि हम किसी की भाषा के विरोधी नहीं हैं। हम झारखण्ड की सच्चाई को सामने रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में भी झारखण्डी रहते हैं तो क्या झारखण्ड की क्षेत्रीय भाषाओं को बिहार में मान्यता मिलेगी क्या? उन्होंने कहा कि हम झारखण्डियों और झारखंड से अन्याय होने नहीं देगें। उन्होंने कहा कि भाजपा, कांग्रेस, जेएमएम, आजसू सहित सभी दलों के विधायक , सांसदों को स्पष्ट करने को कहा कि वे 90% झारखण्डी जनता के साथ हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि पुर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्रा ने 9 क्षेत्रीय भाषाओं को ही क्षेत्रीय भाषाओं के रूप में मान्यता दी थी। जिसमें सदानों की चार भाषाएं – नागपुरी, पंचपड़गानिया ,खोरठा ,कुरमाली, और जनजातियों की पांच भाषाएं संथाल, मुंडा, हो, उरांव,और खड़िया को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी थी। यह 9 भाषाओं की झारखंड के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ाई भी होती है। श्री राय ने कहा कि इन क्षेत्रीय भाषाओं के अलावे अन्य किसी भाषा को क्षेत्रीय भाषा कहना और मानना झारखण्डियों की अपमान,व अधिकारों से खिलवाड़ और उनकी पहचान को मिटाने की बात होगी । श्री राय ने कहा झारखण्ड राज्य बनने के बाद राज्य में बनने वाली सरकारों ने अपने-अपने सुविधा के अनुसार भोजपुरी, मगही, अंगिका, बांग्ला ,उड़िया ,उर्दू, मैथिली, को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दे दी।यह झारखंड की भाषाओं का अतिक्रमण है। उन्होंने कहा कि इन नौ क्षेत्रीय भाषा के अलावे किसी भी अन्य भाषा को क्षेत्रीय भाषा की मान्यता नहीं देने की मांग सरकार से की और भोजपुरी मगही, बांग्ला उर्दू ओड़िया अंगिका को तुरंत रद्द करने की मांग की। उन्होंने हेमंत सरकार को याद दिलाते हुए कहा कि हम सभी झारखंडी मूलवासी सदान और जनजाति के लोग मिलकर झारखण्ड और झारखण्डियों की अधिकार को बचाने व अधिकार दिलाने को लेकर इस सरकार को वोट देकर सरकार बनवाई थी। लेकिन झारखण्ड और झारखण्डियों के विचारधारा व अधिकारों के विपरीत यह सरकार काम कर रही है। झारखंड आंदोलनकारी व मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य व नागपुरी भाषा परिषद के अध्यक्ष डॉ राम प्रसाद ने सरकार में शामिल कांग्रेस को भी चेताते हुए कहा कि पांच साल में फिर चूनाव होगा इस बात को कांग्रेस भी ना भूले। श्री प्रसाद ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग करते हुए कहा कि नौ क्षेत्रीय भाषाओं के अलावे अन्य किसी भी भाषाओं को क्षेत्रीय भाषाओं के रूप में मान्यता ना दें और बाकी जो भी भाषाओं को क्षेत्रीय भाषाओं के रूप मान्यता दी गई है उसे तुरंत रद्द करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि उर्दू राष्ट्रीय द्वितीय भाषा है क्षेत्रीय भाषा नहीं, झारखंड की 9 क्षेत्रीय भाषा के अलावे यदि किसी दूसरे अन्य भाषा को क्षेत्रीय भाषा माना गया तो फिर झारखंड के अभ्यर्थी को इसका लाभ नहीं मिलेगा और देश के कोने-कोने से लोग आकर झारखण्ड राज्य के लोगों के अधिकारों को छीनने का काम करेंगे। संवाददाता सम्मेलन मोर्चा के वरिष्ठ नेता व नागपुरी भाषा परिषद के अध्यक्ष, डॉ राम प्रसाद,प्रवक्ता विशाल कुमार सिंह, डॉ ब्रजभूषण पाठक,कोषाध्यक्ष महेंद्र ठाकुर आदि उपस्थित थे और अपनी बातें रखी।