- पर्यटन के क्षेत्र में झारखंड सरकार की बड़ी पहल
- झारखंड में 31 नए पर्यटन स्थल घोषित
- महामाया मंदिर का इतिहास 250 वर्ष पुराना
- जमीनी सतह से 1100 फ़ीट ऊपर पहाड़ पर माता का है मंदिर
- माया टुंगरी का अद्भुत दृश्य लोगों को अपनी ओर कर रहा आकर्षित
आर एस प्रसाद ‘मुन्ना’
रांची/रामगढ़। झारखंड सरकार ने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बड़ी पहल की है। झारखंड सरकार ने राज्य में 31 नए पर्यटन स्थल घोषित किए हैं। जिसमें रामगढ़ का प्रसिद्ध माया टुंगरी भी शामिल है। झारखंड सरकार के इस पहल से रामगढ़ जिले में पर्यटन को बड़ी बढ़ावा मिलेगी। पहले से ही जिला में पतरातू डैम,भैरवा जलाशय एवं मां छिनमस्तिका मंदिर क्षेत्र मैं बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। महामाया मंदिर माया टुंगरी को झारखंड सरकार ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र के रूप में तब्दील करने की घोषणा कर क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने का काम किया है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि इससे क्षेत्र में पर्यटको की संख्या काफी बढ़ेगी।
महामाया मंदिर का है पुराना इतिहास
झारखंड सरकार ने मायाटुंगरी को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन केंद्र के रूप में तब्दील करने की घोषणा कर लोगों में उत्साह भरने का काम किया है। रामगढ़ रांची मार्ग पर रामगढ़ के पटेल चौक के निकट स्थित मायाटुंगरी पहाड़ पर महामाया की ऐतिहासिक मंदिर है। जानकारों ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास लगभग 250 वर्ष पुराना है। मंदिर जमीन से ग्यारह सौ फीट ऊपर पहाड़ पर अवस्थित है। पहले लोग यहां सिद्धि के लिए पहाड़ पर जा कर पूजा करते थे। लेकिन धीरे-धीरे मंदिर की लोकप्रियता बढ़ने के बाद आम लोग इस मंदिर में जाने लगे। मंदिर में वर्ष 1980 से विधिवत पूजा अर्चना माता दुर्गा (महामाया) की होने लगी। पहले इस मंदिर को लोग माया दीदी और माया खोइछा के नाम से जानते थे। पहले मंदिर में पिंड पर जल अर्पित किया जाता था। मंदिर में माता की पिंड की पूजा होती थी। इसके बाद 40 वर्ष पूर्व इस पिंड पर माता की प्रतिमा स्थापित की गई। पहले माता की पिंड एक विशाल गोलाईची पेड़ के जड़ पर स्थापित थी। पुराने सभी सरकारी दस्तावेज में माया टुंगरी के नाम दर्ज हैं। इस मंदिर में मान्यता है कि माया दीदी का दर्शन अजगर सांप के रूप में होता है। माता साक्षात दर्शन देती हैं। जानकारों ने बताया कि प्रत्येक नवरात्र के मौके पर माता अजगर के रूप में दर्शन देती हैं। बीते नवरात्रि में भी मंदिर में अजगर सांप ने दर्शन दिया था। इस मंदिर में लगभग 25 वर्षों तक योगेंद्र प्रसाद नामक एक व्यक्ति कुटिया बनाकर रहकर देखभाल करता था। पूजा भी योगेंद्र ही किया करता था। जानकारों ने बताया कि योगेंद्र प्रसाद एक पुत्र की प्राप्ति के लिए माता का सेवा करता रहा। नवरात्र के दौरान ही मंदिर के निकट एक गड्ढे से योगेंद्र प्रसाद को एक नवजात शिशु मिला। जिसे योगेंद्र प्रसाद ने अपना लिया। जानकारों ने बताया कि वह बच्चा बड़ा होकर योगेंद्र प्रसाद का ही रूप, कद और काठी प्राप्त कर लिया है।
वर्ष 2005 में मंदिर समिति का किया गया गठन
इसके बाद वर्ष 2005 में मंदिर समिति का गठन किया गया। तब से लेकर आज तक मंदिर समिति ही पुरी मंदिर का सालों भर देखभाल और रख रखाव करता है। मंदिर के मुख्य पुजारी दिनेश पाठक का कहना है कि वर्ष 2005 से नित्य भगवती माता की पूजा-अर्चना की जाती है। उस समय वहां मात्र एक कुटिया हुआ करती थी। वहां रोजाना पूजा-अर्चना होने के बाद ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के लोगों की आस्था भगवती के प्रति बढ़ता गया। आज यहां मंदिर विशाल रूप धारण कर चुका है। दिनेश पाठक का कहना है कि अब यहां रामगढ़ जिला से ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड बिहार बंगाल और उड़ीसा से रोजाना माता के दर्शन और पूजा के लिए लोग आ रहे हैं। मंदिर में विशेषकर शारदीय नवरात्र एवं वासंती नवरात्र में विशेष रूप से पूजा अर्चना किया जाता है।
माया टुंगरी को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक स्थल घोषित करने का समिति ने किया स्वागत
महामाया मंदिर माया टुंगरी को अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल घोषित किए जाने के बाद मंदिर समिति के अध्यक्ष दामोदर महतो ने झारखंड सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। दामोदर महतो ने कहा कि वर्ष 2005 से पूर्व मंदिर में जाने का कोई रास्ता नहीं था। वर्ष 2005 में मंदिर समिति के गठन होने के बाद से मंदिर का रास्ता बनाया जाना आरंभ किया गया। मंदिर समिति ने क्षेत्र के विकास के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लगातार आग्रह किया। लेकिन किसी ने इसके प्रति कोई उत्साह नहीं दिखाया। दामोदर महतो ने कहा कि हम लोगों ने फिर एक बार वर्तमान विधायक ममता देवी से कहा कि आपने मंदिर क्षेत्र के विकास की बात कही थी। अब आप उसे पूरा कीजिए। विधायक ममता देवी ने आश्वासन दिया था कि इस क्षेत्र का विकास के लिए वह लगातार प्रयासरत हैं। विधायक ममता देवी के लगातार प्रयास से महामाया मंदिर को एक नया आयाम मिलने जा रहा है। इसके लिए मंदिर समिति झारखंड सरकार,क्षेत्र के अधिकारियों और विधायक ममता देवी का आभार व्यक्त करती है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने महामाया टुंगरी को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल में तब्दील कर विकास करने का जो निर्णय लिया है।वह बड़ा ही स्वागत योग्य कदम है। दामोदर महतो की मानें तो माता के मंदिर पर लोगों की काफी आस्था है। खासकर उन्हें तो माता पर काफी विश्वास है।माता से आग्रह करने पर उन्हें एक पुत्री भी मिली है। मंदिर समिति के अध्यक्ष दामोदर महत्व एवं कोषाध्यक्ष हरविंदर सिंह सैनी उर्फ बबलू सैनी ने स्थानीय विधायक ममता देवी, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का इसके लिए आभार व्यक्त किया है। झारखंड सरकार के इस निर्णय से क्षेत्र का तेजी से विकास होगा।
माया टुंगरी के चारों तरफ है पहाड़ों की श्रृंखला
रामगढ़ रांची मार्ग पर घाटी के शुरू होते ही पहाड़ों की पहली श्रृंखला में महामाया माया टुंगरी स्थित है। इस पहाड़ के चारों तरफ बड़े-बड़े ऊंचे पहाड़ और हरियाली क्षेत्र को मनोरम बना देते हैं। इस मंदिर पर पहुंचकर चारों और देखने के बाद लोगों को अद्भुत नजारा नजर आता है। लो क्षेत्र के मनोरम दृश्य को देखकर काफी प्रसन्न होते हैं। मंदिर क्षेत्र का अब धीरे-धीरे विकास भी होने लगा है। मंदिर पर जाने के लिए पीसीसी सड़क का निर्माण हो रहा है। कई कंपनियों ने यहां पर कई निर्माण भी कराए हैं।