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पासवा का प्रतिनिधि मंडल प्रदेश अध्यक्ष आलोक दुबे के नेतृत्व में शिक्षा सचिव से मिला

बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत झारखण्ड सरकार द्वारा संशोधित अधिनियम के संबंध में की मुलाकात

रांची। पासवा का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य के शिक्षा सचिव से मुलाकात कर बाल शिक्षा अधिनियम 2009 के संबंध में चर्चा किया और ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन के द्वारा कहा गया है कि झारखंड में राज्य में लगभग 47 हजार से अधिक निजी विद्यालय संचालित हैं।जबकि अधिनियम के अंतर्गत वर्ग प्रथम से आठवीं तक का प्रस्वीकृति राज्य सरकार से लेना अनिवार्य है। सन 2019 में पिछली रघुवर सरकार के द्वारा उपरोक्त अधिनियम में संशोधन किया गया।

इस संबंध में मुख्य बिंदुओं पर आप का ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं-
1.अधिसूचना के तहत नियम 12(1) में संशोधन:- मान्यता हेतु आवेदन निरीक्षण शुल्क कक्षा 1 से 5 में 12500 एवं कक्षा 1 से 8 के लिए 5000 देय होगा एवं विद्यालय के नाम से 100000 का फिक्स डिपोजिट स्थाई रूप से सुरक्षा कोष के रूप में रखना अनिवार्य होगा,पासवा अनुरोध करती है मान्यता हेतु आवेदन निरीक्षण शुल्क कोष की राशि कक्षा 1 से 5 में 2500 रुपये कक्षा 1 से 8 के लिए 5000 रुपये एवं सुरक्षा कोष की राशि ₹10000 से अधिक ना हो। अधिसूचना के तहत नियम 12 साथ में संशोधन
2.मध्य विद्यालय की स्थिति में 0.75 एकड़ शहरी क्षेत्र में तथा 1.00 एकड़ ग्रामीण क्षेत्र में,वहीं प्राथमिक विद्यालय की स्थिति में 40 डिसमिल जमीन शहरी क्षेत्र में तथा 60 डिसमिल ग्रामीण क्षेत्र में मांगा गया है जो अधिनियम 2011 में जमीन का माप निर्धारित नहीं किया गया था एवं यह अन्य किसी राज्यों में भी लागू नहीं है।
3.विद्यालय के नाम से 30 वर्षों का लीज डीड मांगा जा रहा है जो अव्यावहारिक है क्योंकि कई विद्यालय किराए भवन में भी चल रहे हैं।
4. झारखंड में छोटानागपुर टेडेंसी एक्ट एवं संथाल परगना टेंडेंसी एक्ट देश की आजादी के पूर्व से ही चली आ रही है और इसमें किसी भी तरह का संशोधन अब तक नहीं किया गया है,इस एक्ट के तहत ज्यादा से ज्यादा 5 वर्षों के लिए ही जमीन लीज के नियम हैं, ऐसी परिस्थिति में स्कूल प्रशासन भूमि पर संचालित विद्यालय 5 वर्षों तक के लीज पर ही बना सकते हैं 30 वर्षों का संभव नहीं है, इस संबंध में आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
5.सभी निजी विद्यालय जो जिस वर्तमान भवन में संचालित हो रहे हैं उन्हें उनके भवन में यथावत यथास्थिति स्वीकृति दी जाए और नया भवन बनाने पर नया मानक लागू किया जाए।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण अनुरोध आपसे यह है कि जिन निजी विद्यालयों ने यू डाइस कोड ले रखा है और जो ई विद्या वाहिनी के तहत अद्यतन जानकारी विभाग को देते आ रहे हैं एवं जिनके शिक्षकों ने डी. ईएल.ईडी का प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। ऐसे विद्यालयों को जनहित में त्वरित प्रभाव से निबंधन संख्या आवंटित करते हुए और औपबंधिक मान्यता दे दी जाए, महोदय ऐसे विद्यालय को 3 वर्षों का समय अहर्ता पूरी करने के लिए दिया जाए।
आप शिक्षाविद भी हैं, हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप उचित पहल करके नियमो में सुधार निश्चित करेंगे एवं निजी विद्यालयों को राहत देने का काम करेंगे।