मनीष जायसवाल ने संसद में बुलंद की विस्थापितों की आवाज़

  • कहा, प्रभावित परिवारों को बाजार मूल्य के अनुरूप 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख प्रति एकड़ का मिलें मुआवजा
  • पुनर्वास नीतियों को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाए:मनीष जायसवाल

हजारीबागlलोकसभा क्षेत्र के सांसद मनीष जायसवाल ने बुधवार क लोकसभा के बजट सत्र के दौरान देश के सर्वोच्च सदन लोकसभा के पटल पर हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के विस्थापितों की आवाज़ पुरजोर तरीके से बुलंद की। सांसद मनीष जायसवाल ने संसद भवन में अपनी बात रखते हुए कहा कि
हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र में वर्षों से जारी कोयला एवं ऊर्जा परियोजनाओं के कारण हजारों परिवार विस्थापित हो चुके हैं। लेकिन आज भी ये परिवार अपने अधिकारों और न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विस्थापन की इस गंभीर समस्या को संसद में रखते हुए विस्थापितों के हित में सरकार से मांग करता हूं कि
हजारीबाग में सीसीएल और एनटीपीसी, दोनों सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां कार्यरत हैं। सीसीएल में प्रभावित परिवारों को रोजगार देने की नीति लागू है, लेकिन एनटीपीसी में अब तक ऐसा नहीं हुआ। विस्थापितों को सीसीएल के तर्ज पर ही स्थायी रोजगार मिलना चाहिए। वर्षों पहले अधिग्रहित भूमि का मुआवजा आज भी पुराने दर पर दिया जा रहा है। बाजार मूल्य के अनुसार प्रभावित परिवारों को 20 लाख से बढ़ा कर 40 लाख प्रति एकड़ मुआवजा मिलना चाहिए ताकि वे अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें। ⁠वर्तमान नीति के अनुसार केवल 2016 तक विस्थापित हुए परिवारों को ही विस्थापन मिल रहा है। इस कटऑफ तिथि को समाप्त कर सभी पात्र परिवारों को पुनर्वास योजना का लाभ दिया जाना चाहिए। विस्थापन के कारण लोगों की आजीविका छिन जाती है, जिससे उनका जीवन संकट में आ जाता है। सांसद मनीष जायसवाल ने कहा कि सरकार को ऐसा समाधान निकालना होगा, जिससे प्रभावित परिवारों को रोजगार भी मिले और पर्यावरण संतुलन भी बना रहे। पुनर्वास नीतियों को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाया जाना चाहिए ।

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