- मणिपुर की घटना पर क्यों चुप रहे प्रधानमंत्री और असम के मुख्यमंत्री
- रोटी माटी और बेटी बात करने वाले सिर्फ बातें ही करते हैं इसके लिए कुछ करते नहीं
- मैंने झारखंडियों का दर्द अपने कंधों पर उठाया है:हेमन्त सोरेन
रांचीlहेमन्त सोरेन ने बुधवार को सरायकेला में गणेश महली और चक्रधरपुर में सुखराम उरांव के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित किया। हेमन्त सोरेन ने कहा हमारे विरोधियों ने षड्यंत्र कर मुझे जेल में डाल कर जेएमएम का सफाया करना चाहा। लेकिन उन्हें पता नहीं जेएमएम इस राज्य का चीन का दीवार है। कोई इसको लांघ कर नहीं जा सकता, जो इस दीवार पर चढ़ेगा वो ख़त्म हो जाएगा।
झारखण्ड में मंडरा रहें हैं लोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये लोग महिला सुरक्षा की बात कर रहें हैं। लेकिन इनके शासन में ही महिलाएं सुरक्षित नहीं है। नॉर्थ ईस्ट पहाड़ी क्षेत्र है। नॉर्थ ईस्ट डेवलपमेंट ऑथोरिटी का चेयरमैन यहां घूम रहा है। असम का मुख्यमंत्री। उससे पूछिए मणिपुर में एक लड़की को नंगा घुमाया गया। उसपर तुमने और प्रधानमंत्री ने क्यों कुछ नहीं बोला।
जाति विशेष के लोगों पर निशान, डोजर चलकर खत्म करेंगे
हेमन्त सोरेन ने कहा माननीय न्यायालय ने भी माना है कि असम में जाति विशेष के लोगों को निशाना बनाया जाता है। यूपी में चुनाव की तिथि को बढ़ा दिया गया है। वहां के लोग यहां आकर बुलडोजर में चढ़कर बात करता है। ऐसे लोगों पर डोजर ही डोजर चलाकर खत्म करेंगे।
बेटी की बात करने वालों ने रेप के आरोपी को चुनाव में छोड़ा
हेमन्त सोरेन ने कहा कि ये लोग माँ और बेटियों की बात करते हैं ।गुजरात में बिल्किस बानो का सामूहिक रेप करने वालों को इन लोगों ने चुनाव में छोड़ दिया। पंजाब के राम-रहीम जो रेप के आरोप में जेल में बंद है, उसे चुनाव में वोट माँगने के लिए पे रोल पर छोड़ दिया। ये वही लोग हैं। ये उन लोगों के साथ हैं, जो महिलाओं से छेड़-छाड़ बलात्कार करने की वजह से जेल में बैठे हैं।
रोटी की बात करने वालों के शासन में लोग भूख से मरे
हेमन्त सोरेन ने कहा आज ये रोटी की बात करते हैं। यही डबल इंजन की सरकार में लोग भात-भात कर भूख से मर गए। वहीं आपकी सरकार ने कोरोना जैसी महामारी देखी, लेकिन किसी की मौत भूख से नहीं हुई।
माटी की बात करने वालों ने लोगों को विस्थापित किया
हेमन्त ने कहा कि माटी की बात करने वालों ने खनन और डैम निर्माण के नाम पर लोगों को विस्थापित किया। यहाँ कारखाना और माइनिंग इनके मित्रों का है। आज सबसे अधिक जमीन आदिवासियों का है। इस जमीन को कब्जा करने के लिए ये लोग नया नया नीति बनाते हैं। पहली बार हमलोगों ने इन्हें टक्कर दी है। खनन के नाम पर विस्थापन नहीं होगा। उद्योग लगने से पहले तय होगा तुम रोजगार और मुआवजा कितना दोगे। इसके बाद बात आगे बढ़ेंगी। हमने कानून भी दिया है। उद्योगों में 75 प्रतिशत स्थानीय होंगे । तब धुवाँ निकलेगा नहीं तो ताला लटकेगा।
इनके लिए ईड़ी और सीबीआई नहीं
हेमन्त ने कहा गुजरात में इनके व्यापारी मित्रों के बंदरगाह से चरस और मादक पदार्थ पकड़ा जाता है। लेकिन कोई ईडी और सीबीआई जांच नहीं होती। सब ढाँक दिया जाता है।