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हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ करमा पर्व

  • ढोल व नगाड़े के थाप पर महिला व युवतियों ने झूमते गाते कर्म डाल का किया प्रवाह

बरकाकाना (रामगढ़)lकरमा पर्व क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कर्मा पर मनाए जाने को लेकर महिला व युवतियों द्वारा उपवास रहकर विधिवत पूजा अर्चना कर अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना की गई। इस दौरान पाहन द्वारा कर्मा व धर्मा के संबंध में लोगों को कहानी सुनाई गई। जिसमें बताया गया कि करमु-धरमु (कर्मा-धर्मा) नामक दो भाई थे, जो काफी गरीब थे। उनकी एक बहन थी, जिनसे वे बहुत प्यार करते थे। उनकी बहन करम पौधे की पूजा किया करती थी और उसके चारों ओर नाचते-गाते रहते थी। एक बार कुछ दुश्मनों ने उस पर हमला कर दिया तो उसके दोनों भाईयों ने अपनी जान की बाजी लगाकर अपनी बहन को बचाया था। तब से बहन ने करम पौधे से अपने भाईयों के लिए खुशी, सुख और समृद्धि मांगी तथा दोनों भाइयों के साथ करम देवता की पूजा हर्षोल्लास के साथ करती थी। तीनों का जीवन सुखमय था। एक बार बड़ा भाई करमु काम के सिलसिले में परदेश चला गया। वर्षों बाद, वह बहुत धनी होकर घर लौटा। उसका छोटा भाई धरमु तथा उनकी बहन करम वृक्ष के नीचे करम देवता की अराधना में लीन थे, तथा बड़े भाई करमू के स्वागत में नहीं गए। क्रोधित होकर करमू ने करम वृक्ष को उखाड़ कर नदी में फेंक दिया। उसके पश्चात करमू और धरमू का जीवन कठिनाइयों से गुजरने लगा और उनकी भूखमरी की स्थिति हो गई। तब उनकी बहन ने उन्हें बताया कि करम देवता के अपमान के कारण उनकी यह दशा हुई है। उसके बाद दोनों भाई जंगलों-पहाड़ों तथा देश-परदेशों में घूम-घूम कर करम वृक्ष की तलाश करने लगे। एक दिन उन्हें वह करम व‌क्ष नदी में तैरता हुआ मिला, जिसे वे वापस घर लाकर पूजा करने लगे। उनका जीवन दोबारा सुखमयी हो गया। इसके साथ ही प्राकृतिक की संरक्षण करने को भी बताया गया है।