शहीद टिकैत उमरांव सिंह व शहीद शेख भिखारी किए गए याद
टिकैत उमराव सिंह एवं शेख भिखारी अंग्रेजों के खिलाफ गोलबंद होकर कुर्बानी का मिसाल पेश किया:सुदेश महतो
रामगढ़l रांची-रामगढ़ मार्ग पर स्थित चुटुपालू घाटी मैं आज 8 जनवरी को प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी शाहिद टिकट उमराव सिंह एवं शहीद शेख भिखारी की शहादत दिवस मनाई गईl शहीद टिकैत उमरांव सिंह व शहीद शेख भिखारी की 166 वीं पुण्यतिथि के मौके पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित कि गईl इस मौके पर आजसू के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो,सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी,विधायक लंबोदर महतो, रोशन चौधरी सहित सैकड़ो कार्यकर्ता मौजूद थेl आजसू नेताओं ने शहीद स्थल पर पहुंचकर शहीदों के तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित कियाl
इस मौके पर आजसू के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि,अंग्रेजों के खिलाफ गोलबंद होकर कुर्बानी का मिसाल पेश किया हैl उन्होंने कहा कि हमारे शहीदों की कुर्बानी हमें हमेशा समय-समय पर उनकी याद दिलाता रहेगाl उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक स्थल हैlजो हमेशा अपने हक और अधिकार के लिए लड़ने की प्रेरणा देता रहेगाl सुरेश महतो ने कहा कि इन दोनों शहीदों के गांव को मॉडल बनाने में मैं ही प्राथमिकता दिया थाl मेरे समय ही यहां काम हुआ थाl
वही इस मौके पर गिरिडीह के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक स्थल हैl जहां दोनों महापुरुषों को फांसी दी गई थीl इससे प्रत्येक वर्ष हम लोग प्रेरणा लेते हैंl उन्होंने कहा कि इस शहीद स्थल को और विकसित करने की जरूरत हैl क्योंकि यह राजमार्ग के बगल में स्थित हैl यहां से गुजरने वाले लोग इस शहीद स्थल को देखकर उन्हें याद करेंl
वही इस मौके पर गोमिया के विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि झारखंड के इतिहास में प्रसिद्ध अमर शहीद टिकैत उमरांव सिंह हमेशा से शोषण और अत्याचार के खिलाफ रहेl अंग्रेजों के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की । उन्होंने सन 1857 ईस्वी के विरोध को पुरा छोटानागपुर में फैलाया ।
अंग्रेजों से लड़ाई करते हुए इन दोंनो को 06 जनवरी 1958 को घेर कर अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और 07 जनवरी को उसी जगह चुटूपालु घाटी पर फौजी अदालत लगाकर उनकी विरता और साहस से भयभीत अंग्रेजों ने कार्यवाई पुरा किए बगैर दोंनो को फांसी का फैसला सुनायाl 08 जनवरी 1858 को आजादी के दिवाने टिकैत उमरांव सिंह व शेख भिखारी को चुटूपालू पहाड़ी स्थित बरगद के पेड़ से लटका कर फांसी दे दी गई थीl इस शहादत स्थल पर हम लोग हमेशा पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैंl