रामगढ़। कस्तूरबा इंटर महिला महाविद्यालय में रामगढ़ महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉ. शारदा प्रसाद के काव्य संग्रह ‘मौन के स्वर’ एवं डॉ. अशोक अभिषेक के शोध आलेखों का संग्रह ‘भारतीय समाज और शिक्षा : सामयिक विवेचन’ नामक नवीनतम पुस्तकों का लोकार्पण समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ समस्त अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलन कर हुआ।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विद्याभूषण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं डॉ. डी.सी. राम और डॉ. अनामिका विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर रूमा सिंह ने की। अतिथियों का स्वागत डॉ. शारदा प्रसाद ने किया। कार्यक्रम का विषय प्रवेश करते हुए डॉ. अशोक अभिषेक ने वर्तमान युवा पीढ़ी मैं साहित्य के प्रति अरुचि एवं पढ़ने लिखने की कम होती लालसा के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया । डॉ अशोक ने कहा कि इस पुस्तक लोकार्पण समारोह के माध्यम से युवा पीढ़ी में साहित्य के प्रति अभिरुचि उत्पन्न करने और पढ़ने लिखने की प्रेरणा प्रदान करना हमारा उद्देश्य है। साहित्यकार सुशील स्वतंत्र ने समारोह के अतिथियों का विस्तृत परिचय कराया ।
डॉ. भारत भूषण ने कृति चर्चा करते हुए कहा कि पुस्तक ‘मौन के स्वर’ गहरी संवेदना से संबंधित रचनाओं का संग्रह है। मौन का दूसरा अर्थ मननशीलता है और एक मननशील व्यक्ति ही सृजन कर सकता है। उन्होंने डॉ. शंभू प्रसाद का लिखा संदेश भी पढ़ कर सुनाया । डॉ. स्वाति पांडे ने पुस्तक ‘भारतीय समाज और शिक्षा : सामयिक विवेचन’ पर कृति चर्चा करते हुए कहा कि यह अपने समय का एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें समाज के वंचित तबके से जुड़े मुद्दों को मुखरता से उठाया गया है। नारी सशक्तिकरण, कोरोना संक्रमण, मैला आंचल, संविधान, किन्नर विमर्श, दिव्यांग विमर्श, डायन बिसाही की समस्या, सामयिक भारतीय शिक्षा और और उससे जुड़े विभिन्न पक्षों तथा भूमंडलीकरण जैसे ज्वलंत एवं महत्वपूर्ण विषयों पर सारगर्भित आलेख पुस्तक में संकलित किये गए हैं। बसंत हेतमसरिया ने कहा कि वर्ष 2023 रामगढ़ में साहित्यिक सक्रियता का वर्ष रहा और इन दोनों पुस्तकों से रामगढ़ साहित्यिक रूप से और समृद्ध होगा । नीलोत्पल रमेश ने कृति चर्चा करते हुए कहा कि ‘मौन के स्वर’ जैसी पुस्तक की रचना करके डॉ. शारदा प्रसाद ने एक नया मुकाम हासिल किया है। इस संग्रह में विविधरंगी मार्मिक कविताओं का संकलन किया गया है और कवित्री अपनी बात पाठकों तक पहुंचने में सफल रही हैं। मंच संचालक द्वारा शांति धारा फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष सुरेश प्रसाद अग्रवाल का लेखकों के प्रति शुभकामना संदेश पढ़कर सुनाया गया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. अनामिका प्रिया ने महात्मा गांधी के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि जब एक स्कूल खुलता है तो सौ कारावास बंद होते हैं। शिक्षा व्यक्तित्व निर्माण की कला है और एक शिक्षक को निरंतर सीखते रहने की प्रेरणा प्रदान करती है लेखक द्वारा रचित पुस्तक । उन्होंने “भारतीय समाज और शिक्षा: एक विवेचन” पुस्तक की सराहना करते हुए कहा के लेखक ने उन मुद्दों को अपनी पुस्तक में प्रमुखता से उठाया है जिन्हें अक्सर समाज नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाता है। ‘मौन का स्वर’ पुस्तक के बारे में कहा कि यह एक संवेदनात्मक पुस्तक है। विशिष्ट अतिथि डॉ. डी.सी. राम ने कहा कि समाज और शिक्षा का दोनों एक दूसरे के ऊपर निर्भर हैं। नई पीढ़ी को साहित्य सृजन करना चाहिए क्योंकि वही हमें मानवता के इर्द-गिर्द रखता है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए दोनों लेखकों द्वारा लिखी गई पुस्तक के प्रति लेखको का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. विद्याभूषण ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह बहुत ही सौभाग्य की बात है कि रामगढ़ शहर में एक साथ दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का लोकार्पण हो रहा है। भाषा जितनी सहज होती है, संप्रेषण उतना ही प्रभावित होता है। इसलिए साहित्यकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी भाषा अकादमिक न होकर उस जन की भाषा हो, जिस तक उसकी रचना को पहुंचना है। डॉ. शारदा प्रसाद ने पुस्तक की निर्माण प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला और अपना स्नेह और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए समस्त रामगढ़ वासियों का आभार व्यक्त किया। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. रूमा सिंह ने कहा कि कस्तूरबा इंटर महिला कॉलेज के लिए यह सौभाग्य की बात है कि इस महाविद्यालय के प्रांगण में दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का लोकार्पण हो रहा है। इससे नई पीढ़ी प्रेरित होगी और साहित्य सृजन की ओर अग्रसर होगी। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ अशोक अभिषेक ने किया जबकि मंच का सुंदर संचालन डॉ रजनी गुप्ता द्वारा किया गया। लेखकों ने अतिथियों का सम्मान उन्हें शॉल ओढ़ा कर किया तथा स्मृति चिन्ह प्रदान किया।
लोकार्पण कार्यक्रम में कुमारी चांदनी, छाया कुमारी, संजीता अभिषेक, सरोज झा झारखंडी, अमित कुमार, बलराम सिंह दाऊ, सीमा शाह और श्रीशा ने ‘मन के स्वर’ काव्य संग्रह से अपनी पसंदीदा कविताओं का पाठ किया। संजीता अभिषेक ने ‘जन्म मुझको दे दो माँ’ कविता को सस्वर गाया जबकि श्रीशा ने ‘बेटी’ कविता का पाठ कर पूरे सभागार को भावविह्वल कर दिया । कार्यक्रम में सीताराम सिंह, आदित्य नारायण त्रिपाठी, कृष्ण बिहारी प्रसाद, शंकर लाल अग्रवाल, सुरेंद्र प्रसाद, वरुण कुमार चौधरी, संजय प्रभाकर, डॉ. बी. एन. ओहदार, डॉ. पंकज कुमार पंकज, प्रियंका कुमारी, ममता भारती, डॉ. कृष्णा गोप, सहित बड़ी संख्या में कस्तूरबा महिला इंटर महिला महाविद्यालय की छात्राएँ एवं शिक्षिकाएँ उपस्थित रहीं।