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लिपिकीय भूल का परिणाम 100 वर्षों से भुगत रही है चिक बड़ाइक जनजाति

सांसद संजय सेठ ने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कर समाधान का आग्रह किया

रांची। झारखंड में चिक बड़ाइक जनजाति को लेकर 100 वर्ष पूर्व हुई लिपिकीय भूल के कारण इन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके समाधान के लिए सांसद संजय सेठ ने आज नई दिल्ली में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार से मुलाकात की। इस दौरान सांसद ने उन्हें पूरे वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुए एक ज्ञापन सौंपा। मंत्री को दिए ज्ञापन में सांसद ने कहा कि चिक-बड़ाइक जनजाति झारखंड के प्रमुख जनजातियों में से एक है। उनके रीति रिवाज, संस्कृति, रहन-सहन, पर्व त्यौहार सभी जनजातीय समाज से ही जुड़े हुए हैं। 1907- 08 में हुए एक सर्वेक्षण के दौरान कर्मचारियों की गलती से, लिपिकीय भूल के कारण उनकी जाति चिक-बड़ाइक को दो भागों में तोड़ दिया गया। कहीं चिक लिख दिया, गया तो कहीं बड़ाइक लिख दिया गया। इतने लंबे समय बीतने के बावजूद और इस समाज के बार-बार आग्रह करने के बाद भी अब तक राज्य स्तर पर इसमें कोई सुधार नहीं किया गया। इसका नुकसान इस जनजातीय समाज के लाखों युवाओं को हो रहा है।
सांसद ने कहा कि इनके खतियान में भी कहीं बड़ाइक तो कहीं चिक लिख दिया गया है, जिससे इस जनजाति के लोग जाति प्रमाण पत्र भी नहीं बना पा रहे हैं। झारखंड में इस समुदाय की बड़ी आबादी निवास करती है। जनजातीय प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण इन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अलग झारखंड राज्य गठन के बाद इनकी स्थितियों का गलत लाभ भी उठाया गया। इन्हें जनजातीय समुदाय से बाहर कर दिया गया। वर्तमान समय में यह जनजाति अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।
इस संबंध में इन्होंने विभिन्न स्तर पर मुझसे पहल करने का आग्रह भी किया है।


श्री सेठ ने मंत्री से अनुरोध किया है कि इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई हेतु राज्य सरकार और संबंधित विभाग को निर्देशित करने की कृपा करें ताकि झारखंड के जनजातीय समुदाय का महत्वपूर्ण अंग का अस्तित्व, उनकी संस्कृति अक्षुण्ण रह सके।