रामगढ़। श्री दिगम्बर जैन मंदिर एवम् रांची रोड स्थित श्री पारसनाथ जिनालय मे दसलक्षण पर्व के दूसरे दीन उत्तम मार्दव धर्म का पूजा पुरे विधि विधान के साथ सम्पन हुआ।
जलाभषेक में रामगढ़ पदमचंद सुमत्त जैन,श्रीमति अमराव देवी प्रदीप कुमार पाटनी,जीवन मल जंबू कुमार पाटनी, हरकचंद विवेक अजमेरा, रामेश सेठी विकाश सेठी, रांची रोड विनोद कुमार अनंत सेठी, शांतिधारा में रामगढ़ अशोक सुनील संजय सेठी,शांतिधारा में मनोज काला, महाआरती में हरकचंद विवेक अजमेरा परिवार शामिल हुए।
पण्डित दीपक शास्त्री ने बताया
मृदुभाव आत्मा का स्वभाव हे, मृदुता आत्मा के सरल परिणाम को कहते हैं। जैसे कि-मृदुत्वं सर्व भूतेषु कार्य जीवेन सर्वदा।काठिन्यं त्यज्यते नित्यं धर्म बुद्धि विजानता।जो जीव धर्म बुद्धि को जानते हैं, ऐसे जीवों को उचित है कि समस्त जीवों में हमेशा मृदुभाव अर्थात् सरल भाव रखना चाहिए, कठोर भाव का त्याग करना चाहिए।
मार्दव धर्म आत्मा अर्थात् निजात्मा स्व-स्वरूप का धर्म है। जहाँ मृदु भाव या नम्रता नहीं है वहाँ धर्म भी नहीं है। और वहाँ नियम, व्रत, तप, दान, पूजा इत्यादि जो मानव करता है विनय भाव के बिना सभी व्यर्थ गिनाया जाता है। और कहता है कि मैंने ऐसा किया जो भी किया मैंने किया अन्य कोई भी मेरे समान किया नहीं इस तरह कह कर जो मान कषाय करता है वह अपनी आत्मा को ठगता है और दुनियाँ को भी ठगाया समझना चाहिए।
मौके पर समाज अध्यक्ष मानिक जैन एवम मन्दिर मंत्री देवेंद्र गंगवाल ने बताया कल उत्तम आर्जव धर्म का पूजा होगा।