वीडियो हुआ वायरल, लोगों में रोष
रामगढ़: आपसी मेलजोल के लिए लगनेवाले मेले अब बीते जमाने की बात हो गये। वो दिन ढल गये जब खाली जेब भी मेला पहुंचते लोग दूसरों को आनंदित देख सुकून की आह भर लेते थे। ये डिजनीलैंड का दौर है। पैसेवालों के लिए तमाशा और तंगहालों के लिए डंडा दोनों यहां तैयार है।
चरमराती मानवता और लचर विधि-व्यवस्था का घृणास्पद नजारा भुरकुंडा के रामनवमी मैदान में मंगलवार को देखा गया। जहां एक व्यक्ति के साथ तीन-चार निजी सिक्युरिटी गार्ड काफी जोर आजमाइश करते दिखे। महिला गार्ड तक भी खींचतान करती देखी गई। इस दौरान मेला संचालन से जुड़े कुछेक लोग भी मौजूद थे।
इस दौरान उक्त व्यक्ति के साथ डिजनीलैंड देखने पहुंची एक नन्ही मासूम बच्ची हतप्रभ सबकुछ होता देख रही थी। वहीं आम लोगों के बीच कई दूसरे बच्चे भी यह तमाशा देख रहे थे। उन बच्चों के कोमल मन में मेले और अपने समाज को लेकर कैसी छाप छूटी होगी, यह मेले के आयोजक ही बेहतर बता सकते हैं। हालांकि इस दौरान अधिकांश लोग इसे काफी मामूली बात समझ अपने रास्ते हो लिए।
मामले में एक बात यह सामने आ रही है कि बच्ची के साथ पारंपरिक मेला समझ “डिजनीलैंड” देखने पहुंचा वह व्यक्ति प्रवेश के नाम पर लिए जा रहे शुल्क के लिए भड़क गया और बच्ची के साथ अंदर जाने की कोशिश करने लगा। इसपर निजी सिक्युरिटी गार्ड्स धक्का-मुक्की पर उतर गये और देखते-देखते व्यक्ति को प्रवेश द्वार से दूर धकेल दिया गया। व्यक्ति की पहचान फिलहाल नहीं हो सकी है।
वहीं आयोजन से जुड़े एक व्यक्ति के अनुसार मेला पहुंचा वह व्यक्ति नशे में था और विवाद कर रहा था। इधर, व्यक्ति के नशे में होने की बात सच भी हो तो क्या सार्वजनिक आयोजन में किसी के भी साथ इस प्रकार का व्यवहार उचित है ? वह भी मासूम बच्चों के सामने। क्या आयोजक सार्वजनिक तौर पर सुनिश्चित कर पाएंगे कि यहां मेले के अंदर शत प्रतिशत लोग नशे में नहीं होते हैं। क्या भुक्तभोगी व्यक्ति नशे की हालत में पहुंचा पहला व्यक्ति था ?
यदि वास्तविकता यही है, तो इस घटना के बाद से अविलंब डिजनीलैंड के प्रवेश द्वार पर “ब्रेथ एनालाइजर”(शराबियों की जांच करनेवाला उपकरण) विधि-व्यवस्था के लिहाज उपलब्ध किया जाना चाहिए। जिससे आगे इससे बड़ी घटना न हो। साथ ही विधि-व्यवस्था के बेहतर संधारण के लिए ब्रेथ एनालाइजर का औचक उपयोग मेले के अंदर दुकानदारों, झूला संचालकों और व्यवस्था का जिम्मा संभालते लोगों पर भी किया जाना चाहिए।
बताते चलें कि श्रावणी मेला के नाम पर भुरकुंडा में होती कारगुजारियां अरसे से मीडिया की सुर्खियों और स्थानीय लोगों की चर्चाओं का केंद्र बनी रही हैं। पहले भुरकुंडा थाना मैदान में मेला लगता था। इधर पहली बार रामनवमी मैदान में मेला लगा है।
बहरहाल, सार्वजनिक श्रावणी मेला के नाम पर भ्रम फैलाकर प्रवेश शुल्क वसूलनेवालों के लिए 10 रुपये भले बड़ी रकम न हो। लेकिन जिन्हें 10 रुपये में एक वक्त की रोटी नसीब हो जाती है, उनके लिए यह 10 रुपये भी सैकड़ों के बराबर है। किसी गरीब-वंचित को सार्वजनिक मेला घूमने और देखने तक से भी वंचित कर देना कतई सही नहीं है।
क्या कहते हैं पूर्व जिप उपाध्यक्ष
वहीं मामलै के संबंध में पूर्व जिप उपाध्यक्ष रामगढ़, मनोज राम से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटना की मुझे जानकारी अबतक नहीं मिली है। मेला सभी के लिए है, किसी के भी साथ दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए। घटना की सच्चाई जानने बाद ही आगे कुछ कहा जा सकता है।