संसद का मानसून सत्र आज से शुरू हो गया. सत्र के पहले ही दिन विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच नाक की लड़ाई होने वाली है. आज राज्यसभा के उपसभापति चुनाव के लेकर सत्तापक्ष व विपक्ष की राजनीतिक कुशलता की पहचान होने जा रही है. उपसभापति पद के दोनों उम्मीदवार बिहार के पार्टी से ही है.
विपक्ष से राजद सांसद प्रोफेसर मनोज झा व एनडीए से जदयू सांसद हरिवंश आमने सामने हैं. इसे बिहार विधान सभा चुनाव से पहले राजद और जदयू का टक्कर भी माना जा रहा है. उपसभापति चुनाव के लिए 12 विपक्षी दलों ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज झा की उम्मीदवारी के लिए अपना समर्थन देने की बात कही है. बीजेडी के सांसद प्रसन्ना आचार्य ने सोमवार को कहा कि, हमारी पार्टी राज्यसभा में उपसभापति के एनडीए उम्मीदवार हरिवंश को सपोर्ट करती है.
उपसभापति हरिवंश नारायण का कार्यकाल 9 अप्रैल को खत्म हो गया था, जिसके चलते उप सभापति पद के लिए चुनाव हो रहा है. 2018 में हरिवंश के खिलाफ कांग्रेस ने बीके हरिप्रसाद को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह जीत नहीं सके थे. इस बार हरिवंश सिंह के खिलाफ संयुक्त विपक्ष के तौर पर आरजेडी सांसद मनोज झा मैदान में है.
हरिवंश के नाम पर आम राय बनाने की अपील की गयी है, लेकिन विपक्ष सांकेतिक तौर पर ही सही लेकिन टक्कर देने के मूड में नजर आ रहा है. इसीलिए मनोज झा को मैदान में उतारकर विपक्ष ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है. संसद सत्र के पहले दिन ही विपक्ष एकजुटता के साथ-साथ बिहार की राजनीतिक में भी मनोज झा के जरिए राजनीतिक संदेश देना चाहता है. मनोज झा बिहार के मिथिलांचल इलाके के ब्राह्मण समुदाय से आते है, जहां मैथिल ब्राह्मण वोटर काफी निर्णयक भूमिका में है.
कैसे होता है उपसभापति का चुनाव
राज्यसभा उपसभापति पद के लिए यह 20वीं बार चुनाव हो रहा. इनमें से 14 मौकों पर सर्वसम्मति से इस पद के लिए उम्मीदवार को चुन लिया गया था, मतलब चुनाव की नौबत ही नहीं आई. वहीं, छह बार ऐसे मौके आए हैं जब इस पद के लिए वोटिंग की प्रक्रिया करनी पड़ी है. बता दें कि राज्यसभा का उपसभापति एक संवैधानिक पद है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 89 में कहा गया है कि राज्यसभा अपने एक सांसद को उपसभापति पद के लिए चुन सकता है, जब यह पद खाली हो.