- ईसीईएल प्रबंधन व रेलवे को हो रहा नुकसान
जामताड़ा। रेलवे साइडिंग में कोयले ढुलाई बंद है। ट्रांसपोर्टरों द्वारा कोयला ढुलाई बंद कर दिया है। इससे चितरा ईसीईएल प्रबंधन व रेलवे को काफी नुकसान हो रहा है। बता दें कि चितरा ईसीईएल से कोयला ढुलाई कर जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक लाया जाता है। जामताड़ा से ही रेल के माध्यम से चितरा के कोयले को डेज़ह के विभिन्न शहरों में ले जाया जाता है। लेकिन कोयला ढुलाई बंद होने से रेलवे व ईसीईएल प्रबंधन को काफी नुकसान हो रहा है।
किराए में बढ़ोतरी की मांग को लेकर कोयला ढुलाई बंद
कोयला ढुलाई के किराए में बढ़ोतरी की मांग को लेकर डंपर एसोसिएशन का हड़ताल जारी रहा। मालूम हो कि चितरा ईसीएल कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयला ढुलाई कार्य ईसीएल प्रबंधन के अधिकृत ट्रांसपोर्टर की देखरेख में डंपरो के माध्यम से किया जाता है। डंपर एसोसिएशन ने किराए में बढ़ोतरी मांग को लेकर कोयला ढुलाई कार्य ठप कर दिया है। रविवार को डंपर चालक उप चालक तथा मालिक ने एसोसिएशन के बैनर तले जामताड़ा रेलवे साइडिंग परिसर में मांग के समर्थन में जमकर प्रदर्शन किया। मौके पर सम्राट मिश्रा, मदन स्वर्णकार मंटू महतो लक्ष्मी यादव नंद लाल यादव आप भी अन्य एसोसिएशन के सदस्यों ने बताया कि दिन प्रतिदिन डीजल के दामों में इजाफा होता जा रहा है। जबकि कोयला ढुलाई का किराया पिछले 3 वर्ष पूर्व निर्धारित किया गया है जो वर्तमान समय में काफी कम है। इतना ही नहीं लॉकडाउन के पहले यानी 5 माह पूर्व महीने के 30 दिन में 25 दिन डंपर वाले को कोयला ढुलाई का मौका मिलता था। लेकिन वर्तमान समय में महीने के 30 दिन में 8 दिन कोयला ढुलाई का मौका मिलता है। जिस कारण आमदनी खर्च से काफी कम है। कोयला ढुलाई से प्राप्त होने वाले आमदनी से चालक उप चालक तथा गाड़ी का मेंटेनेंस भी संभव नहीं होता है। पैसे बचाने की बात तो दूर है, गाड़ी का मेंटेनेंस खर्च की भी बचत नही होती है। ऐसी स्थिति में किराए में बढ़ोतरी नहीं होने से कोयला ढुलाई का कार्य संभव नहीं होगा।