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नई शिक्षा नीति भारत और भारतीयता को मजबूत करनेवाली नीति : दीपक प्रकाश

  • रांची : प्रदेश भाजपा द्वारा नई शिक्षा नीति पर वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन
  • कार्यशाला को प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, बाबूलाल मरांडी सहित कई वरिष्ठ ने संबोधित किया

रांची। प्रदेश भाजपा द्वारा आज नई शिक्षा नीति पर वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया ।कार्यशाला में प्रदेश पदाधिकारी, ज़िला अध्यक्ष गण,ज़िला प्रभारी गण शामिल हुए। उद्घाटन भाषण करते हुए प्रदेश अध्यक्ष एवम सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाई जा रही नई शिक्षा नीति भारत और भारतीयता को मजबूत करने वाली नीति है। कहा कि 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी द्वारा लाई गई शिक्षा नीति अधूरी साबित हुई। देश मे स्थानीय भाषा,मातृभाषा,और भारतीय भाषा का ,भारतीय संस्कृति, कला का समुचित विकास नही कर सकी।अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव ने इसे लगातार कुंठित किया।

श्री प्रकाश ने कहा कि मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति में शोध आधारित नीति का समावेश है। कौशल विकास के साथ तकनीकी शिक्षा, व्यावहारिक शिक्षा ,संस्कृति और इतिहास के ज्ञान का समावेश है। यह नीति बच्चों के सोच को विकसित करने वाली नीति है।श्री प्रकाश ने कहा कि शिक्षा में देश के जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने के निर्णय से शिक्षा क्षेत्र में गुणात्मक सुधार होंगे।

राज्य सरकार स्थानीय भाषा पर योजना तैयार करे:बाबूलाल मरांडी

भाजपा नेता विधायकदल एवम पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार विरोध की राजनीति छोड़ स्थानीय भाषाओं के विकास की योजना तैयार करे।इस नीति में स्थानीय भाषाओं के विकास की असीम संभावनाएं हैं।उन्होंने कहा कि इस नीति में शिक्षा के साथ जीवन प्रबंधन की भी सीख है। बौद्धिक के साथ हुनर को बढ़ावा दिया गया है। जीवन और शिक्षण साथ साथ की यह नीति है।

नई शिक्षा नीति आज देश की आवश्यकता:धर्मपाल सिंह

भाजपा के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि प्रधानमंत्री जी के सद्प्रयासों से यह बहुप्रतीक्षित शिक्षानीति आई है।
कहा कि कांग्रेस के शाषण में लागू शिक्षा नीति रोजगार नही व्यापारीकरण को बढ़ावा देने वाली नीति साबित हुई। मोदी सरकार ने भारत के अनेक प्रमुख शिक्षाविदों,मनीषियों ,चिंतको के सुझावों के आधार पर आज की आवश्यकता के अनुरुप नीति बनाई है। उन्होंने आह्वान किया कि यह नीति जन जन तक पहुचे यही कार्यशाला की सार्थकता है।

हेमंत सोरेन कांग्रेस को खुश करने केलिये शिक्षानीति का विरोध कर रहे:अनंत ओझा

श्री ओझा ने कहा कि यह शिक्षानीति भारत के गौरव को पुनर्स्थापित करने वाली नीति है।यह देश की नीति है जो देश को समर्पित की गई है।कहा कि यह नीति बच्चों में सीखने की प्रवृति को नए नए विचारों को बढ़ावा देने वाली नीति है।जिसमे प्रशिक्षण पर जोर दिया गया है।

आजाद भारत मे संस्कृति पर आधारित शैक्षिक बदलाव का प्रयास:डॉ दिनेशानंद

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी ने नई शिक्षानीति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह युगान्तकारी नीति है जो 4 वर्षों के परिश्रम से तैयार किया गया है। देश के हर पंचायत स्तर पर इसकी चर्चा हुई है।अनेक शिक्षाविदों के बहुमूल्य सुझाव इसमे समाहित हैं। 1960 में गठित कोठारी आयोग से लेकर अबतक देश के अनुरूप शिक्षा नीति की मांग होती रही है।अब मोदी जी के नेतृत्व में यह सपना पूरा हो रहा है। गोस्वामी ने कहा कि सभी विकसित देश अपनी मातृभाषा में शिक्षा देते है जबकि भारत मे इसे नही लागू किया गया।मनोवैज्ञानिकों ने भी माना है कि मातृभाषा में बच्चे ज्यादा तेजी से बातों को ग्रहण करते हैं।

उन्होंने कहा कि इस नीति में कई बड़े और व्यवहारिक बदलाव किए गए है।8वीं तक बोर्ड नही रखने की बात है,10 वीं और 12वीं की बोर्ड में सैद्धान्तिक के साथ प्रैक्टिकल को भी प्रभावी बनाया गया है। वर्ग 6 से व्यावसायिक शिक्षा के कारण 12 वीं तक विद्यार्थी इतना हुनरमंद हो जाएगा कि उसे रोजगार की समस्या नही रहेगी।

कहा कि इस नीति में सतत मूल्यांकन पर जोर दिया गया है। उच्च शिक्षा में विषयों का ग्रुप होगा।विज्ञान का विद्यार्थी भी कला विषय पढ़ सकेगा।इंजीनियरिंग और मेडिकल के छात्र भी संगीत और साहित्य पढ़ सकेंगे।सभी सत्रों का महत्व होगा।बीच मे पढ़ाई छुटने स्थिति में जितनी पढ़ाई की वह बेकार नही जाएगी बल्कि उसका भी सर्टिफिकेट प्राप्त होगा।बाद में फिर से कोर्स पूरा करने का अवसर इस नीति में शामिल है।उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का मूल्यांकन उसके सहपाठी भी करेंगे।

प्रतिभा पलायन इस देश की बड़ी समस्या है

श्री गोस्वामी ने कहा प्रतिभा पलायन इस देश की बड़ी समस्या है। विदेशों के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की शाखाएं भारत मे खोले जाने से इसका निदान होगा।विदेशी मुद्रा की बड़ी बचत होगी।उन्होंने कहा कि परीक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव किए गए हैं।विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की जगह एक परीक्षा की व्यवस्था पर जोर दिया गया है। प्राइवेट संस्थानों की मनमानी पर रोक लगाने केलिये नेशनल हायर एजुकेशन अथॉरिटी का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा आयोग जिसके अध्यक्ष स्वयम प्रधानमंत्री होंगे, की बात से यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार के लिये शिक्षा कितना महत्वपूर्ण है। कहा कि इस नीति में अनुसूचित जाति, जनजाति ,दिव्यांग जनों केलिये निजी संस्थानों में भी स्कालरशिप का प्रावधान किया गया है।उन्होंने कहा कि यह शिक्षानीति भारत की ही नही बल्कि विश्व की समस्याओं का निदान है।कार्यशाला का संचालन प्रदेश महामंत्री एवम सांसद समीर उरांव ने तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रदेश मंत्री सुबोध सिंह गुड्डू ने किया। कार्यशाला में प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा,विधायक अमर बाउरी, विधायक विरंची नारायण,शिवपूजन पाठक,हेमंत दास ,सूरज चौरसिया, मृत्युंजय शर्मा,राहुल अवस्थी भी उपस्थित रहे।

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