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रांची बनी अपराधियों की शरणस्‍थली, किरायेदारों का वेरिफिकेशन न होने से बढ़ रहे अपराध

  • किरायेदार बनकर रहते हैं और अपराध का षड्यंत्र रच वारदात को अंजाम देते हैं

रांची। राजधानी रांची सहित पूरे प्रदेश में अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसकी मुख्‍य वजह नौकरों और किरायेदारों का वेरिफिकेशन न होना है। मकान मालिक द्वारा सत्‍यापन न किए जाने से प्रदेश में अक्सर बड़ी आपराधिक घटनाएं होती रहती हैं। अन्य राज्यों से अपराधी प्रवृति के लोग प्रदेश में आकर चोरी, डकैती, दुष्‍कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। वे किरायेदार बनकर रहते हैं और अपराध का षड्यंत्र रच वारदात को अंजाम देते हैं।

पुलिस के रिकॉर्ड में ऐसे लोगों की जानकारी पहले से ही मौजूद रहे तो अपराधी की पहचान करना आसान हो जाता है। मकान मालिक किरायेदार का सत्यापन करे, इसके लिए कई राज्यों की सरकार भी गंभीर हैं। झारखंड में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। हाइटेक जमाने में कई राज्यों की पुलिस ऑनलाइन व्यवस्था के तहत वेरिफिकेशन का काम करती है। मकान मालिक को थाना आने की जरूरत भी नहीं पड़ती है जबकि झारखंड पुलिस इन सब से कोसो दूर हैं। झारखंड पुलिस के पास किरायेदारों का रिकाॅर्ड मिलना मुश्किल है।

कई राज्यों में है वेरिफिकेशन की ऑनलाइन व्यवस्था

गुजरात, जम्मू एंड कश्मीर, दिल्ली, यूपी, राजस्थान, पंजाब जैसे राज्यों में पुलिस किरायेदारों का ऑनलाइन वेरिफिकेशन करती है। मकान मालिक को पहले अपने राज्य की पुलिस डिपॉर्टमेंट की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन के लिए अपनी डिटेल दर्ज करना होता है। इसमें फोटो, एड्रेस, नाम और डेट ऑफ बर्थ के जरिये रजिस्ट्रेशन कराना होता है। रजिस्ट्रेशन के बाद आपके पास यूजर आइडी और पासवर्ड ई-मेल पर भेजा जाता है।

इसके बाद किरायेदार का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। पुलिस डिपॉर्टमेंट की वेबसाइट पर लॉग इन करने के बाद किरायेदार वेरिफिकेशन के लिए अप्लाई करना पड़ता है। यहां किरायेदार का नाम, परमानेंट एड्रेस, फोटो, आधार नंबर, पैन कार्ड की डिटेल भरना होता है। इसके बाद आपका किरायेदार का वेरिफिकेशन हो जाता है। इसके लिए मकान मालिक को पुलिस स्टेशन नहीं जाना पड़ता है।

राजस्थान में डोर टू डोर सर्वे की व्यवस्था

राजस्थान में मकान मालिकों के साथ वहां रह रहे किरायेदारों की जानकारी संबंधित थानों में देना जरूरी है। किरायेदारों की संदिग्ध गतिविधियों पर अंकुश लगाने एवं सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए थानों द्वारा सिविल ड्रेस में निगरानी भी की जाती है। वही राज्य में किरायेदारों की सूचना एकत्रित करने के लिए बीट प्रणाली प्रचलित है। इसके तहत बीट अधिकारी द्वारा किरायेदारों व घरेलू सहायकों की जानकारी लेने के लिए डोर टू डोर सर्वे भी कराया जाता है।

पकड़े जा चुके हैं कई इनामी उग्रवादी

रांची के अलग-अलग जगहों पर बिना वेरिफिकेशन किरायेदार रखे जा रहे हैं। उनमें कोई उग्रवादी निकल रहा, कोई अपराधी। जबकि रांची पुलिस ने सख्त हिदायत के साथ आदेश जारी किया है कि अपने किरायेदार की पूरी जानकारी थाने को दी जाए। रांची और खूंटी पुलिस ने अखिलेश गोप, हार्डकोर विनोद सांगा उर्फ झुबलू सहित 13 उग्रवादियों को नगड़ी से गिरफ्तार किया था। तुपुदाना ओपी इलाके के पुराना हुलहुंडू स्थित एक क्रशर के पास किराये पर छुपकर रह रहे सदायु मुंडा उर्फ सदानंद को गिरफ्तार किया गया।

ह मजदूर बनकर रह रहा था। एक लाख का इनामी टीएसपीसी उग्रवादी प्रशांत ठाकुर उर्फ संदीप ठाकुर रांची के नामकुम स्थित अमेठिया नगर गुलमोहर अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 103 से गिरफ्तार किया गया था। वह संदीप ठाकुर के नाम से पिछले पांच वर्षों से रह रहा था। एक लाख के इनामी एरिया कमांडर सहित तीन पीएलएफआइ उग्रवादियों इनामी जुनूल उर्फ जेम्स भेंगरा, नेलसन टोप्पो और सैमुअल उर्फ चेपटा को गिरफ्तार किया गया। ये तीनों उग्रवादी भी मजदूर बनकर हुलहुंडू इलाके में रहते थे। तीनों को मजदूरी करते पकड़ा गया था।

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