पीटीपीएस कॉलेज में नहीं हो रहा नियम पूर्वक कार्य : एआईएसएफ

पतरातु(रामगढ़) । आज 30 जून को प्रेस बयान के माध्यम से एआईएसएफ के प्रदेश महासचिव लोकेश आनंद ने पीटीपीएस महाविद्यालय में चल रहे वित्तीय अनियमितता संबंधी मामले को लेकर कहा कि ज्ञात हो कि पूर्व में एआईएसएफ की मांग पर विश्वविद्यालय के द्वारा एक जांच कमिटी गठित की गई थी।जिसमे कुछ प्रोफेसर दागी भी पाए गए हैं। साथ ही वरीयता निर्धारण को लेकर भी एक जांच कमिटी बनाई गई थी। जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी थी और इसी बीच एक नया मामला सामने आ जाता है। कि चुपके से पी टी पी एस(शेष संपत्ति के) प्रशासक कुमुद रंजन सिन्हा जो एक शासी निकाय के एक दाता के रूप में सदस्य भी हैं। अचानक से एक शासी निकाय की बैठक बुलाते हैं। रात के अंधेरे में प्रो रमण चंद्र जिनपर भी वित्तीय अनियमितता संबंधी जांच में किसी प्रकार का आरोप है। उन्हें प्राचार्य के रूप में चुन देते हैं और खुद सचिव बन जाते हैं। यह सब शासी निकाय के अध्यक्ष माननीय सांसद को गुमराह करके किया जाता है।साथ ही साथ विश्वविद्यालय के नियमों को न माना जाता है। विश्वविद्यालय को किसी प्रकार की जानकारी भी नही दी जाती है।शासी निकाय के पूर्व के निर्णयों को भी नही माना जाता है। उनके सदस्य जो कि विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि हैं।उन्हें जानकारी नही होती है।पी टी पी एस महाविद्यालय के शिक्षक प्रतिनिधि जो कि एक शासी निकाय के सदस्य होते है।इन सब को कोई जानकारी नही होती है।इससे यह साबित होता है कि कुमुद रंजन जी साफ तौर पर आर्थिक लाभ में कहीं संलिप्त हैं। कोई ठोस तो नही मगर यह साबित होता है कि इन्होंने घुस लेकर वित्तीय अनियमितता में संलिप्त आरोपियों का साथ दिया। विश्वविद्यालय के नियमों का अनुपालन न किया।जैसा की विश्वविद्यालय के कुलपति से बात हुई तो उन्होंने बताया कि यह गलत हुआ है। विश्वविद्यालय को इसकी सूचना नही है और जब कमिटी की रिपोर्ट आनी बाकी है तो फिर इस प्रकार का कोई फैसला मान्य नहीं हो सकता है।इस तरह साफ तौर पर यह साबित हो रहा है कि श्री कुमुद रंजन सिन्हा ने पैसों के लालच में आरोपियों का साथ दिया अपने पावर का गलत उपयोग करते हुए पतरातु की जनता और कॉलेज छात्र छात्राओं के भविष्य के भावना को आहत किया है।इसकी शिकायत कुलपति महोदय से की है उन्होंने जल्द करवाई इन सब के खिलाफ करने की बात कही है साथ ही ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष महोदय को भी श्री कुमुद रंजन के काले कारनामों की शिकायत की गई हैं उन्होंने भी करवाई की बात कही है।ऐसे भ्रष्ट पदाधिकारी के रहने से ही आज जनता के पैसों का लूट जारी है।इनके सभी काले कारनामों का सबूत है जिसे बहुत जल्द उजागर किया जाएगा।विश्वविद्यालय के नियमों का अनदेखी करना कहीं न कहीं इनके दादागिरी को साबित करता है और जब इनसे बात किया गया तो इन्होने खुद को सर्वोपरि कहते हुए मैंने जो लिख दिया वही फैसला है अब कुछ नही कोई कर सकता यह बात कही मगर कानून है जनता है इसका फैसला होगा आंदोलन होगा जोरदार ऐसे भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ हम भी डरने वाले और झुकने वाले नही झुकने वाले नही हैं सच की लड़ाई लड़ रहे है और जीतेंगे भी।