बढ़ती मंहगाई पर लगाम लगाओ, बुलडोजर राज नहीं चलेगा : एपवा

रामगढ़ आज 25 जून को रामगढ़ में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन रामगढ़ जिला कमेटी की बैठक संपन्न हुई।जिसमें सचिव नीता बेदिया और अध्यक्ष कांति देवी,झुमा घोषाल,सरिता देवी,रीता सोरेन ने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से संवाददाताओं को बताया कि अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन राष्ट्रीय परिषद् 6-7 जून को पटना की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि 20 से 27 जून तक पुरे देश में मंहगाई के खिलाफ अभियान चलाने के आह्वान के तहत यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई है।
आज देश में फासीवाद हमला तेज हो गया है। देश के सांस्कृतिक विरासत पर हमले बढ़ा हुआ है।मोदी सरकार के “यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड” ऐपवा लम्बे समय से माँग कर रही है कि हर धर्म और समुदाय का सिविल कोड महिलाओं के लिए न्यायपूर्ण हो।न्यायपूर्ण कोड के बजाय भाजपा का ज़ोर “यूनिफ़ॉर्म” पर है।यानी वह हिंदुओं के कोड को अल्पसंख्यकों के ऊपर थोपना चाहती है।हिंदुओं के कोड में भी बहुत कुछ ऐसा है जो महिलाओं के साथ भेदभाव करता है,। जैसे संयुक्त परिवार में सम्पत्ति सम्बंधित क़ानून या पिता को ही बच्चे के स्वाभाविक गार्डीयन के रूप में पहचान।इसी तरह बहुविवाह प्रथा न सिर्फ़ मुसलमानों में बल्कि आदिवासियों में भी है।वैसे तो यह प्रथा हिंदुओं में भी है।पर क्योंकि हिंदू कोड इसे पहचानता नहीं है इसलिए हिंदू समुदाय में दूसरी पत्नी को कोई क़ानूनी हक़ नहीं है। ऐसे में कोई भी ऐसा कदम नहीं लिया जाना चाहिए जिससे कि किसी पीड़ित महिला के लिए पहचान और राहत पाना और कठिन हो जाए।ऐपवा यह भी माँग करती है कि समान आचार संहिता पर चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए 2013 में केंद्र सरकार को उच्च स्तरीय पैम राजपूत कमेटी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर महिला आंदोलन के सभी हिस्सों से चर्चा शुरू करनी चाहिए।बिना ऐसी चर्चा के सिविल कोड में कोई छेड़छाड नहीं किया जाए।
जेंडेर-जस्ट सिविल कोड का सवाल, धार्मिक समुदायों के बीच की लड़ाई नहीं बल्कि हर समुदाय की महिला का पितृसत्ता के दबाव से मुक्ति के नज़रिए से देखा जाना चाहिए।कॉमन सिविल कोड की आड़ में भाजपा सरकार द्वारा साम्प्रदायिक राजनीति करने की हर कोशिश का ऐपवा पुरज़ोर विरोध करेगी।राज्य की गतिविधियों की रिपोर्ट के आलोक में आंदोलन को आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया। 20 से 27 जून 2022 के भीतर ऐपवा पूरे देश में महंगाई के खिलाफ कार्यक्रम करेगी।
आर.एस.एस और भाजपा बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन कर रही है।इसके जरिए अपनी सांप्रदायिक राजनीतिक का महिलाओं के बीच प्रसार कर रही है। इसके खिलाफ ऐपवा को ग्रामीण महिलाओं के बीच अपनी सक्रियता बढ़ाने पर जोर दी है। ग्रामीण महिलाओं के बीच नियमित रुप से बैठकों का सिलसिला जारी करने पर जोर दी और इसे लगातार चलाते हुए राज्य स्तरीय कार्यक्रम लेने की बात कही।स्कीम वर्कर्स, मानदेय कर्मियों के सवाल और माइक्रोफाइनेंस संस्थान के शोषण आदि के खिलाफ ऐपवा को अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया।