मेदिनीनगर : वैचारिक पत्रिका सुबह की धूप ने एक दशक की सफल यात्रा पूरी कर ली है। अपनी यात्रा के दौरान सुबह के धूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। सांस्कृतिक संक्रमण के संक्रमण के पत्रिका अपने परिचार्य प्रतिबद्धता कायम रखते हुए अपने सफर जारी रखा है।इसी उपलक्ष में सुबह की धूप परिवार ने वर्तमान सांस्कृतिक संक्रमण के दौर में कबीर को आदर्श मानकर बेहतर समाज के संकल्प के साथ में अपनी वार्षिकी वार्षिकोत्सव को मनाने का निर्णय लिया है।इसी परिपेक्ष में अंतरराष्ट्रीय कवि गायक कालूराम बामनिया जी को आमंत्रित कर कबीर के बानी को संगीत में तरीके से प्रस्तुत करने के लिए सुबह की धूप परिवार ने उन्हें आमंत्रित किया है।विदित हो कि एक जुलाई को उनका कार्यक्रम डाल्टेनगंज शहर में रखा गया है।इसी परिपेक्ष में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सुबह की धूप के सहायक संपादक पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि अभी के दौर में घटना प्रधान पत्रकारिता तो बहुत देखा गया है।पर वैचारिक पत्रिका का अभाव शहर में महसूस की जा रही थी।जिसको सुबह के धूप ने प्रकाशित कर अपने दायित्व को निर्वहन किया है। अपने 10 साल के सफर को पूरा करने के बाद कबीर को याद करते हुए जश्न मनाने की परंपरा का शुरुआत कर रही है। जो अच्छी बात है इसलिए हम निवेदन करेंगे कि इस गायन में शहरवासी जरूर शिरकत करें। प्रेस वार्ता में वामपंथी चिंतक केडी सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि आज के कॉर्पोरेट कल्चर के दौर में सुबह की धूप अपने बेचारे की प्रतिबद्धता के साथ निरंतर प्रकाशित हो रहा है। यह एक बड़ी उपलब्धि और हम सभी को सहयोग करके इस कार्यक्रम को सफल बनाने की आवश्यकता है। वार्ता में उपस्थित सुबह की धूप के पथ प्रदर्शक डॉ श्याम देव महतो ने कहा कि हम सभी बुद्धिजीवियों का दायित्व बनता है कि पलामू से प्रकाशित इस वैचारिक पत्रिका को समृद्ध करें।और जो कार्यक्रम किया जा रहा है उसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लें। आज के दौर में कबीर को याद करना अति आवश्यक है। क्योंकि समाज में नफरत का वातावरण है। ऐसी परिस्थिति में कभी के गायन समाज को जोड़ने का काम करें।इसी प्रकार विज्ञापन प्रबंधक अभय वर्मा ने कहा कि आज से 10 वर्ष पूर्व जब सुबह की धूप प्रकाशित की जा रही थी। तब समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे आगे बढ़ाया जाएगा।लेकिन आज अपने बेचारी की प्रतिबद्धता के साथ और अपने सहयोगियों के साथ में सुबह की धूप एक लकीर खींचा है।और इस लकीर को और लंबा करने की जरूरत है। इसलिए सभी का सहयोग की आवश्यकता है।सुबह की धूप के प्रारंभिक काल से सहयोगी शिक्षक गोविंद प्रसाद ने कहा की आज के दौर में भी सुबह की धूप पलामू के नवोदित साहित्यकार कलाकार पत्रकार समाजसेवी सभी को जगह देने का काम किया है। यह अपने आप में बड़ी बात है।और हम 10 साल का सफर इसी तरीके से पूरा कर लिया है तो कबीर के गायन के माध्यम से सुबह की धूप और समृद्ध होगी। इस को बेहतर बनाने की जरूरत है शहर के जाने माने कलाकार बुद्धिजीवी अभिभावक अभिभावक तुल्य प्रेम हसीन ने कहा कि या अच्छी बात है कि सुबह की धूप जैसी पत्रिका हमारे शहर से प्रकाशित हो रहा है। और संघर्ष के बल पर 10 साल का सफर पूरा कर लिया है।इसी अवसर पर जो कार्यक्रम आयोजन किया जा रहा है। वह अपने आप में अद्भुत है क्योंकि आज के दौर में कला के क्षेत्र में भी उभरता अश्लीलता देखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में कबीर को याद करना उनकी वाणी को गाना सुनना यदि एक स्वस्थ समाज के लिए जरूरी है। और सुबह की धूप ने इसका पहल किया है। इसलिए या अपने आप में सराहनीय कार्य है हम सफल कार्यक्रम की कामना करते हैं।और लोगों से सहयोग के लिए अपील करते अंत में सुबह की धूप के संपादक शिव शंकर प्रसाद ने कहा मुझे मालूम नहीं था कि यह सफर इतना सफलता से हो जाएगी हम अपने तमाम सहयोगियों के साथ साहित्यकार पत्रकार सामाजिक कार्यकर्ता यहां के विज्ञापनदाता सभी के सहयोग से इस सफर को तय किया एक की जो हमने तय किया था कि हम किसी भी सूरत में अपने वैचारिक प्रतिबद्धता से अलग नहीं हटे जो हम जो हमें गर्व है कि हम इस पर खरा उतरे हैं और भविष्य में भी इस प्रतिबद्धता को बनाए रखें आज जब हम कबीर को याद करते हैं और कालूराम बाबा नियाज ऐसे शख्स के माध्यम से डालटेनगंज के वातावरण को कबीर में बनाने की कोशिश कर रहे हैं तो इसमें सभी लोगों के सहयोग की जरूरत है सुबह की धूप अपनी प्रतिबद्धता के साथ प्रकाशित हो रही है और भविष्य में भी प्रकाशित होते रहेगी क्योंकि समाज में अच्छे लोग की संख्या ज्यादा है गलत ज्यादा है और वही अच्छे लोग हमारे लिए धरोहर हैं और हम उन्हीं के सहारे आगे का सफर भी जारी रखेंगे वार्ता में सहायक संपादक शब्बीर अहमद ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ सभी लोगों को आभार व्यक्त करते हुए सफल कार्यक्रम में की कामना की है।