फ्लोरोसिस के रोकथाम व बचाव के संबंध में सिविल सर्जन की अध्यक्षता में हुआ प्रशिक्षण का आयोजन

■ दांतों का पीलापन, जोड़ो में दर्द, हड्डियों का टेढ़ापन आदि होते है फ्लोरोसिस लक्षण

■ पीने के पानी में फ्लोराइड जैसे रसायन के कारण बीमारियों में बढ़ोतरी

■ सदर अस्पताल रामगढ़ में निशुल्क रूप से करा सकते हैं फ्लोरोसिस की जांच

रामगढ़: फ्लोराइड की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से सोमवार को सिविल सर्जन कार्यालय, रामगढ़ के सभागार में सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार की अध्यक्षता में चिकित्सा पदाधिकारियों, सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों,एएनएम, बीपीएम, लैब टेक्नीशियन, बिटीटी एवं सहियाओं को प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान सिविल सर्जन डा. प्रभात कुमार ने बताया कि दांतों का पीलापन, जोड़ो में दर्द, हड्डियों का टेढ़ापन, मास पेशियों में अकड़न आदि फ्लोरोसिस बीमारी के लक्षण होते हैं। पीने के पानी में फ्लोराइड जैसे घातक रसायन के कारण दांतों (डेन्टल फ्लोरोसिस) तथा हड्डियों (स्कैलटल फ्लोरोसिस) संबंधित बीमारियों में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। इसलिए लोगों को नियमित अंतराल पर पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा की जाच करवा लेनी चाहिए। फ्लोराईड के कारण रिपिटिड अबोर्सन, एनिमिया होने का अंदेशा बना रहता है।

सिविल सर्जन ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को सीएचओ के माध्यम से घर-घर जाकर लोगों की फ्लोरोसिस जांच कराने, सहियाओं के द्वारा फ्लोरोसिस से बचाव हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उन्होंने कार्यपालक अभियंता पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल द्वारा उपलब्ध कराए गए वैसे जल स्रोत जहां फ्लोरिन की मात्रा अधिक है में बृहद रूप से सर्वे कराने का निर्देश दिया।

सिविल सर्जन ने सभी से कहा कि सदर अस्पताल रामगढ़ में फ्लोरोसिस की जांच हेतु सभी सुविधाओं से युक्त लैब संचालित है कोई भी व्यक्ति वहां जाकर निशुल्क रूप से फ्लोरोसिस की जांच करवा सकता है। वहीं उन्होंने विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों ने भी फ्लोरोसिस की जांच को बढ़ावा देने हेतु आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

बैठक के दौरान सिविल सर्जन ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को दंत चिकित्सकों के माध्यम से जो भी मरीज ओपीडी में इलाज हेतु आते हैं उनमे फ्लोरोसिस के लक्षण दिखने पर तुरंत उन्हें फ्लोरोसिस की जांच कराने हेतु प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया।

बैठक दौरान एनपीपीसीएफ, रामगढ़ की जिला कंसलटेंट डॉ पल्लवी कौशल ने बताया कि फ्लारोईड की समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नेशनल प्रोग्राम फ़ॉर प्रेवेन्शन एंड कन्ट्रोल ऑफ फ्लोरोसिस (एनपीपीसीएफ.) नामक परियोजना आरंभ की गई हैं। इस कार्यक्रम के तहत फ्लोरोसिस नामक बीमारी के रोकथाम व नियंत्रण पर विशेष बल दिया जा रहा हैं।

डॉ कौशल ने प्रशिक्षण में मौजूद सभी चिकित्सकों, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों सहित अन्य को बताया कि इस बीमारी से बचने का सबसे सरल उपाय यही है कि हम जागरूक रहे ऐसी चीजें जिनमें की फ्लोरिन की मात्रा अधिक है जैसे बिना दूध वाली चाय, सेंधा नमक आदि का सेवन बेहद कम मात्रा में करें एवं अनिवार्य रूप से नियमित अंतराल पर अपने घरों में पीने के पानी की जांच कराएं।

डॉ कौशल ने सभी को फ्लोरोसिस के प्रति सचेत करते हेतु कहा कि दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जी, विटामिन सी व विटामिन डी युक्त भोजन के इस्तेमाल से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता हैं।

प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने सभी को ज्यादा से ज्यादा लोगों को फ्लोरोसीस के संबंध में जागरूक करने एवं इस बीमारी के लक्षण को जल्द से जल्द भांपने, अपने व्यवहार में बदलाव लाकर इससे निजात पाने, फ्लोरोसिस संबंधित सर्वे के दौरान निर्धारित प्रारूप में जानकारियों को भरने के संबंध में योजनाबद्ध तरीके से जागरूक करने के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी वही सभी प्रखंड के प्रखंड लैब टेक्नीशियन को अजय चित्रा के द्वारा सदर अस्पताल रामगढ़ की प्रयोगशाला में प्रशिक्षण दिया गया इस दौरान उन्होंने सभी को फ्लोराइड की जांच करने की विधि के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।

प्रशिक्षण के दौरान नोडल पदाधिकारी एनपीपीसीएफ सह चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर स्वराज, चिकित्सा पदाधिकारियों, जिला फिजियो सहित अन्य उपस्थित थे।