रामगढ़ जिला में पर्यावरण को हो रहा बड़ा नुकसान
जंगली क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कोयला और पत्थर का हो रहा अवैध खनन
दामोदर नदी का अस्तित्व खतरे में
रांची/रामगढ़। झारखंड के रामगढ़ जिला में पिछले कुछ वर्षों में अवैध खनन और कारोबार ने जिला में पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। जिला के जंगली क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पत्थर और कोयले का अवैध खनन और कारोबार हुआ है। वही झारखंड की शान और लाइफ लाइन कहे जाने वाली दामोदर नदी का रामगढ़ जिला में अस्तित्व खतरे में पड़ता दिख रहा है। रामगढ़ जिला के मांडू, पतरातु, रामगढ़,गोला,दुलमी और चितरपुर अंचल के जंगली क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पत्थर और कोयले का अवैध खनन हुआ है। कोयला बालू और पत्थर माफिया जिला के पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचाने के लिए जोरदार कार्य किया है। खासकर जिला के मांडू अंचल क्षेत्र में कोयला और पत्थर का अवैध खनन और कारोबार बड़े पैमाने पर चला है। मांडू के जंगली क्षेत्रों में कोयला के साथ पत्थर का भी बड़े पैमाने पर अवैध खनन हुआ है। क्षेत्र से कीमती पत्थरों को निकालकर फैक्ट्रियों में भेजा गया है। वहीं कोयले का अवैध खनन कर फैक्ट्रियों और बिहार और यूपी के कोयला मंडियों में भेजा गया है। जानकारों की माने तो मांडू अंचल के जंगली क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर पत्थर और कोयले का अवैध खनन हुआ है। यह कार्य वन विभाग, पुलिस और खनन विभाग के अधिकारियों के अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन से चला है। जिसके एवज में पत्थर और कोयला माफिया एक मोटी राशि दे रहे थे। जिला के मांडू अंचल के घाटो कुजू और मांडू क्षेत्र से बड़े पैमाने पर पत्थर और कोयला का अवैध खनन और कारोबार चला है। यह सीआईडी के रिपोर्ट में भी दर्शाया गया है। इसी प्रकार जिला के पतरातू और दुल्मी अंचल के कई बड़े क्षेत्रों में पत्थर और कोयले का अवैध खनन और कारोबार धड़ल्ले से चला है। पतरातू अंचल से तो कोयला,पत्थर के अलावा बालू का अवैध खनन और कारोबार भी रिकॉर्ड चला है। इसी प्रकार गोला अंचल से भी बालू और पत्थर का अवैध अवैध खनन और कारोबार बड़े पैमाने पर चला है। गोला के जंगली क्षेत्रों से कीमती पत्थरों का बड़े पैमाने पर खनन हुआ है। जिसकी मीडिया में रिपोर्ट भी जोरदार तरीके से चलाई गई। इसी प्रकार रामगढ़ और चितरपुर अंचल क्षेत्र से भी कोयला बालू और पत्थर का अवैध खनन और कारोबार ऐतिहासिक रूप से चला है। इन अंचल क्षेत्र के जंगली क्षेत्रों से कोयला और पत्थर का अवैध खनन और कारोबार चला है।
जिला में पिछले 1 वर्षों के भीतर दामोदर नदी से बड़े पैमाने पर बालू और कोयला का अवैध खनन और कारोबार हुआ है जिसके कारण दामोदर नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ता दिख रहा है। जिला में पतरातू से लेकर रजरप्पा मंदिर क्षेत्र तक दामोदर नदी में कई स्थानों पर खदान बनाकर कोयले का अवैध खनन किया गया है। वही दामोदर नदी से बड़े पैमाने पर बालू का भी अवैध खनन और कारोबार किया गया है। पतरातू से लेकर गोला के अंतिम क्षेत्र तक दामोदर नदी से रोजाना सैकड़ों छोटे-बड़े वाहनों से बालू निकाला गया है। साथ ही कई स्थानों पर खदान बनाकर कोयला निकाले जाने से दामोदर नदी गड्ढों में तब्दील होती जा रही है। जिससे दामोदर नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ता दिख रहा है। दामोदर नदी में सबसे ज्यादा कोयले का अवैध खदान रामगढ़ थाना क्षेत्र में है। रामगढ़ थाना क्षेत्र के अरगड्डा और कैथा, गोबरदहा,छत्तर क्षेत्र में दामोदर के बीच खदान बनाकर कोयला का अवैध खनन किया गया है। वही बालू का अवैध खनन और कारोबार का तो कहना ही नहीं है। इन क्षेत्रों से रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टर और ट्रक बालू निकाला गया है। आज भी चोरी छुपे बालू और कोयला का अवैध खनन और कारोबार चल रहा है। पत्थर का अवैध खनन और कारोबार भी चोरी-छिपे जारी है। फिलहाल जब तक बारिश नहीं होती और दामोदर में पानी नहीं भरता है। तब तक कोयले और बालू का अवैध खनन और कारोबार जारी है। सबसे बड़े मजे की बात तो यह है कि कोयला बालू और पत्थर का अवैध खनन और कारोबार को लेकर जिला में खनन विभाग और वन विभाग ने कभी भी कार्रवाई नहीं किया है अवैध कारोबारियों पर प्राथमिकी तक दर्ज नहीं कराया है जिससे कि सरकारी विभागों के अधिकारियों की मिली भगत की संभावना बढ़ती दिख रही है। ईडी के जांच में भी रामगढ़ जिला टॉप पर चल रहा है। ईडी के जांच में भी रामगढ़ जिला से कोयला और बालू के अवैध खनन की बात सामने आई है। जानकारों की माने तो पिछले 2 वर्षों से जिला में जारी कोयला,बालू और पत्थर के अवैध खनन और कारोबार में जिला में पदस्थापित पदाधिकारियों का रोल संदेहास्पद है। ईडी अगर अच्छा से जांच करें तो संथालपरगना से ज्यादा मामला रामगढ़ जिले में दिखाई देगा। फिलहाल ईडी की लगातार छापामारी और झारखंड सरकार के कड़े हुए रूख के बाद अवैध खनन और कारोबार में सुस्ती आई है। लेकिन अभी पूरी तरह से बंद नहीं हो पाया है।