रांची। बिरसा मुंडा के 122 वी शहादत दिवस के अवसर पर बिरसा पुराना जेल स्थित संग्रहालय में कई नेतागण, विभिन्न जनसंगठन के कार्यकर्ता, रंगकर्मियों ने जेल के कमरा न 4 में जाकर पुष्पांजलि और श्रद्धांजलि अर्पित किया। इसके बाद बिरसा मुंडा गेट परिसर में साझी संस्कृति और विरासत पर परिचर्चा की गयी।इसके बाद लोक कलाकारों के द्वारा बिरसा से जुड़े जनगीत की प्रस्तुति हुई।इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पदमश्री मधु मंसूरी ने शिरकत किये।बिरसा मुंडा के विचारों को लोगों को बताया और कहा कि बहुत दुःख होता है कि बिरसा मुंडा को लोग एसी कमरे में बैठ कर उन पर शोध करते हैं। अगर बिरसा को सही रूप से जानना है तो शोधकर्ता गांवों की ओर कूच करे, बिरसा गांव में बसता है। बिरसाईयत को आज जिंदा रखने की जरूरत है।
झारखंड सरकार बिरसा के सपने को साकार करने का प्रयास करे. मधु मंसूरी ने ‘ गांव छोड़ब नही ‘ गीत गाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किये।
वहीं सांस्कृतिक गीत की प्रस्तुति भादी उराव, आनंद मुंडा, सोनू मुंडा, नीलम बाला लाल, नूरी खातून, अगता पन्ना, सुमेधा मल्लिक, दीपक किस्कू, रिमीज कुजूर,इंदुमति सोरेंग सहित कई कलाकारों ने गीत के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित किया। साथ ही साथ उसी परिसर में बच्चों ने बिरसा मुंडा पर आधारित थीम को लेकर चित्रकारी की।संचालन एलिस चेरोवा ने किया।
आदिवासी महासभा के अजय सिंह, इप्टा के श्यामल मल्लिक, फरज़ाना फ़ारूक़ी आदिवासी अधिकार मंच के पुनीत मिंज, झारखंड मजलिस ए उलेमा के अध्यक्ष मुफ़्ती अब्दुल्लाह अज़हर कासमी,श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के परवेज क़ुरैशी, मो मोइज़्दुद्दीन, संजीत झा, झारखंड महिला समन्वय समिति की आलोका कुजूर, संगीता टोप्पो, मासस के सुशांतो मुखर्जी, राजद के राजेश यादव, रौशन होरो सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए।