मांडू (रामगढ़)। हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद अख़्तर रज़ा ख़ां क़ादरी उर्फ अज़हरी मियां साहब का उर्स मुबारक जहां दुनिया भर में मनाया गया।मोहब्बत का सबूत पेश किया गया वहीं इल्म की रौशनी ट्रस्ट के ज़ेरे एहतेमाम लईयो रामगढ़ में अक़ीदत मंदों ने भी अपने मोहब्बत का सबुत पेश किया। अध्यक्षता ख़तीब व इमाम हज़रत मौलाना मक़सुद आलम रज़वी व संचालन ट्रस्ट के उपाध्यक्ष शमीम अहमद अशरफ़ी ने किया। ट्रस्ट के सचिव मुहम्मद वसीम कौसर रज़वी ने बताया कि अज़हरी मियां को इस दुनिया से अलविदा कहे चार साल हो गए हैं लेकिन उनकी मोहब्बत आज भी आशिकों के दिलों में ज़िन्दा है। अल्लाह पाक ने अज़हरी मियां को मुसलमानों के लिए एक आइडियल बना कर भेजा था। उनके पास इल्म का खजाना था।दुनिया भर में उनके करोड़ों मुरीद भी हैं और लाखो की संख्या में जिन्नात भी उनसे मुरीद हैं। उन्होंने अपनी शुरुआत की शिक्षा अपने मां से ही लिया उसके बाद 1952 ईस्वी में इस्लामिया इन्टर काॅलेज बरैली से हिन्दी, सन्सकृत और अंग्रेजी की तालीम हासिल की। आला तालीम के लिए 1963 ईस्वी में मशहूर युनिवर्सिटी जामिया अज़हर मिस्र तशरीफ़ ले गए और 1966 ईस्वी में हज़ारों विद्यार्थि में अव्वल पोजीशन पर फ़रागत हासिल किए। वहीं पर उन्हें जामिया अज़हर एवार्ड भी दिया गया। उन्होंने अपनी पुरी ज़िन्दगी में अमनो अमान का पैगाम दिया। हर सुन्नी बरेलवी मुसलमान के ऊपर उनका और उनके पुरवजों का ऐहसान है। उनका इल्म का डंका पुरे विश्व में बजता है और वो विश्व के प्रसिद्ध आलीम में गिनती किए जाते हैं। शरीअ़त का ताज उन्हें कहा जाता है। उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में बहुत सारी किताबें लिखें हैं जिसमें एक प्रसिद्ध किताब फ़तावा ताजुश्शरीआ भी है जिसके ज़रिए आज विश्व भर में फ़ायदा लिया जा रहा है। उनका जन्म 23 नवम्बर 1943 ईस्वी बरैली में हुआ और 75 साल अपनी ज़िन्दगी गुज़ारने के बाद 20 जुलाई 2018 को इस दुनिया से कुच कर गए। उनके जनाज़े में लगभग एक करोड़ तैईस लाख चाहने वाले शामिल हुए और बरैली शहर में ही उनका आख़री आराम गाह बनाया गया। साथ ही लोगों से ये भी अपील किया गया कि ख़ुद भी इल्म हासिल करें और अपने बच्चों को भी शिक्षा दिलाने में पहल करें क्योंकि अगर इल्म नहीं तो दुनिया की सारी दौलत बेकार है। इस अवसर पर लईयो अनजुमन के सदर गुलाम क़ादीर, अबुल हुसैन, अख़्तर अन्सारी, शरफ़ुद्दीन रज़वी, सलीम अन्सारी, अशरफ़ अन्सारी, कामिल हसन, हाशीम आमला, इमरान नज़ीर, शाहीद रज़ा, अफ़ताब रज़ा, दिलख़ुश अन्सारी आदि शामिल हुए।