भक्ति पथ नहीं है बल्कि भक्ति लक्ष्य है जिसे हमें प्राप्त करना है
जीवन में जितने भी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है
हजारीबाग। जिला से हजारों आनंद मार्गी आनंद नगर धर्म महासम्मेलन सशरीर एवं वेब टेलीकास्ट के माध्यम से भाग ले रहे हैं।
आनंद नगर आनंद पूर्णिमाके उपलक्ष पर आयोजित आनंदनगर में आनंद मार्ग की ओर से आयोजित त्रिदिवसीय धर्म महासम्मेलन 3,4एवं 5 जून 2022 के दूसरे दिन प्रातः पांचजन्य से शुभारंभ हुआ देश व विदेश के दूरदराज से आनंदमार्गी साधक बड़ी संख्या में आ चुके हैं। वह आने का सिलसिला जारी है।आज श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने अपने आध्यात्मिक उद्बोधन में कहा की “भक्तों के जीवन का लक्ष्य ” विषय पर बताते हुए कहा कि शास्त्रों में तो मोक्ष प्राप्ति के तीन मार्ग बताए गए हैं। ज्ञान ,कर्म और भक्ति। परंतु उन्होंने कहा कि बाबा श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने इसे खंडन करते हुए कहा कि भक्ति पथ नहीं है।बल्कि भक्ति लक्ष्य है जिसे हमें प्राप्त करना है। साधारणत: लोग ज्ञान और कर्म के साथ भक्ति को भी पथ या मार्ग ही मानते हैं। परंतु ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि जीवन में जितने भी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है। ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के माध्यम से मनुष्य भक्ति में प्रतिष्ठित होते हैं। और बाबा कहते हैं कि भक्ति मिल गया तो सब कुछ मिल गया तब और कुछ प्राप्त करने को कुछ नहीं बच जाता। भक्ति को श्रेष्ठ कहा है उन्होंने बताया की मोक्ष प्राप्ति के उपाय एवं में भक्ति श्रेष्ठ है भक्ति आ जाने पर मोक्ष यूं ही प्राप्त हो जाता है .भक्त और मोक्ष में द्वंद होने पर भक्त की विजय होती है मोक्ष यूं ही रह जाता है उन्होंने कहा कि परमात्मा कहते हैं की मैं भक्तों के साथ रहता हूं जहां वे मेरा गुणगान करते हैं कीर्तन करते हैं परम पुरुष के प्रति जो प्रेम है उसे ही भक्ति कहते हैं। निर्मल मन से जब इष्ट का ध्यान किया जाता है तो भक्ति सहज उपलब्ध हो जाता है।