वट वृक्ष के नीचे महिलाओं ने पूजा कर रखा निर्जला उपवास
रांची/रामगढ़। सुख-संपन्नता और पति की दीर्घायु के लिए रखा जाने वाला सुहागिन महिलाओं का वट सावित्री व्रत 30 मई सोमवार को श्रद्धा और उत्साह के बीच संपन्न हुआ।
वट सावित्री व्रत की पूजा जेष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन की गई है। इसी अमावस्या को शनि जयंती भी मनाई जा रही है। इसलिए सोमवती अमावस्या भी आज ही है। वट सावित्री पूजा को लेकर सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और पति की लंबी उम्र के लिए सोमवार की सुबह 5:00 बजे से ही बरगद के पेड़ की पूजा करने पहुंचने लगी। यह सिलसिला 11:00 बजे तक जारी रहा।
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में सुहागिन महिलाओं ने निर्जला उपवास रखते हुए वट वृक्ष के नीचे विधि सम्मत पूजा अर्चना कर कथा सुना।
जानकारों के अनुसार बरगद के पेड़ को चिरंजीवी कहा जाता है।क्योंकि इस पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों का वास है। जिन जातकों की कुंडली में शनि दोष है। शनि की महादशा, ढैया, साढ़ेसाती चल रही है ऐसे, जातक इस दिन शनि देव की विशेष पूजा-अर्चना कर दोष मुक्त हो सकते हैं।
इस दिन की गई शनिदेव की पूजा-अर्चना, दान -पुण्य करने से शनि देव प्रसन्न होकर के यश, वैभव, सुख संपदा की वृद्धि तीव्रता से करेंगे। इस दिन गंगा स्नान, पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलेगी।
अमावस्या: अमावस्या पर प्रातः काल से ही सर्वार्थ सिद्धि योग और सुकर्मा योग व्याप्त रहेगा। जो पूजा -पाठ का सैकड़ों गुना फल देगा। सबसे खास बात तो यह है कि इस दिन सूर्य, चंद्रमा और बुध शुक्र की वृषभ राशि में बैठकर त्रिर्ग्रही योग का निर्माण करेंगे। सूर्य, चन्द्रमा शुक्र की राशि में बैठने से दांपत्य जीवन में मिठास, सुख, ऐश्वर्य में वृद्धि करेंगे और सूर्य -बुध एक साथ होने से बुधादित्य योग का निर्माण होगा। जो बेहद सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।