कोयलांचल में वोटर बखूबी समझ रहे उम्मीदवारों की चुनावी पैंतरेबाजी

• रुपये और दारु-मुर्गा बांटे जाने की चर्चा चहुंंओर

• कल  बैलेट बॉक्स में कैद होगा उम्मीदवारों का भविष्य 

• कोयलांचल में विकास के साथ ईमानदार प्रतिनिधित्व अहम मुद्दा

भुरकुंडा (रामगढ़) : पतरातू प्रखंड में चुनाव प्रचार का शोर थम गया है। कल 24 मई को प्रत्याशियों का भविष्य वोट में तब्दील होकर बैलेट बॉक्स में कैद हो जाएगा। जहां हार-जीत को लेकर कई प्रत्याशियों की नींद उड़ी हुई है, वहीं आम जनता लोकतंत्र के इस महापर्व का पूरा आनंद उठा रही है।

बात भुरकुंडा और आसपास के कोयलांचल के पंचायतों की करें तो यहां विकास के मायने ग्रामीण क्षेत्रों से बिल्कुल अलग है। यहां अन्य जिले और विभिन्न राज्यों से आकर बसे हर धर्म, जाति और वर्ग के लोग हैं। यहां अधिकांश बुनियादी सुविधाएं सीसीएल उपलब्ध कराती है। इसलिए कोयलांचल में चुनावी रणनीतियां भी आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से अलग दिखती हैं।

क्षेत्र में चर्चा है कि चुनाव में खड़े उम्मीदवार क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों को विकास करने और ईमानदार प्रतिनिधित्व का भरोसा दिला रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कम पढ़े-लिखे और गरीब वर्ग के लोगों को दारू-मुर्गा और रुपये बांटकर उन्हें बरगलाने में लगे हुए हैं। चर्चा यह भी है कि युवा मतदाताओं को रिझाने के लिए हर हथकंडा अपनाया जा रहा है। कई उम्मीदवार जीत के बाद रोजगार मुहैया कराने से लेकर भविष्य में ठिका कार्य दिलाने और योजनाओं से संबंधित कार्योंं में भागीदारी देने का लालच भी दे रहे हैं।

वहीं सूत्रों की मानें तो क्षेत्र के चर्चित असामाजिक और  बिचौलिये किस्म के लोग भी अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए मैदान में डट गये हैं। साम, दाम, दंड, भेद के तहत किसी भी तरह अपने प्रत्याशी को जिताने की चाह पाल रहे हैं। जिससे आनेवाले समय में उनका दबदबा बढ़े। ताकि उनके अवैध काम पर पर्दा पड़ा रहे और आम लोगों को वाद-विवाद में फंसाकर अपनी तिजोरियां भर सकें।

वहीं कुछ प्रत्याशी सामाजिक रुप से प्रायः कहीं भी नहीं दिखते, लेकिन आज सामाजिक प्राणी होने के साथ जीत का दावा भी ठोक रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने चुनावी रणनीति के तहत कुछ समय पहले ही समाजसेवा शुरू की है और संभवतः हार के बाद आहत होकर अगले पंचायत चुनावों तक अपनी समाज सेवा भी बंद रखेंगे।

वहीं इसबार चुनाव में फिर खड़े पूर्व प्रतिनिधि पंचायतों के विकास में आई अड़चनों को इसबार दूर करने का भरोसा दिला रहे हैं। बताया जाता है कि पूर्व में दिये गये आश्वासनों को लेकर कई उम्मीदवार डोर-टू-डोर काफी खरीखोटी भी सुन चुके हैं।

कुछ ऐसे उम्मीदवारों का भी यहां उल्लेख किया जाना जरूरी है जो वाकई लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर चुनावी मैदान में है। जो बिना छल-प्रपंच किये विकास के मुद्दे को लेकर मैदान में है। कोई ताम-झाम नहीं फिर भी वोटरों पर भरोसा कर रहे हैं। हालांकि प्रचार का शोर थमने के साथ ही अधिकांश उम्मीदवारों को चुनाव में अपनी स्थिति का अंदाजा हो गया है।

इधर, कल मतदान होना है। आज देर रात तक प्रत्याशियों में उहापोह और भागमभाग की स्थिति रहेगी। कई उम्मीदवार अपने गुटों में होती सेंधमारी देखेंगे और कई लालच देकर दूसरे गुटों में सेंधमारी का प्रयास करेंगे। बहरहाल, पब्लिक भी जानती है कि लालच देनेवाले प्रतिनिधि कैसा विकास करेंगे। क्षेत्र के वोटर योग्य, शिक्षित, इमानदार और स्वच्छ छवि के प्रत्याशी को वोट देने की बात कह रहे हैं। मुद्दों में क्षेत्र की विधि-व्यवस्था और बुनियादी विकास ही प्रमुख बताये जा रहे हैं।