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झारखंड में बस किराया दोगुनी, भाजपा ने सरकार की चुप्पी पर उठाये सवाल

  • निज़ी बस संचालकों की चिंता पर मध्यस्थता करे सरकार : कुणाल षाड़ंगी

रांची। झारखंड में बस संचालकों द्वारा किराए में दोगुना वृद्धि किये जाने के निर्णय पर भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाये है। इस निर्णय पर झारखंड सरकार से हस्तक्षेप और मध्यस्थता करने की माँग करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने कहा की राज्य सरकार और बस संचालकों के बीच चल रही रार का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा। भाजपा प्रवक्ता कुणाल सारंगी ने कहा कि राज्य सरकार की उपेक्षा का प्रतिफ़ल है कि निज़ी बस संचालकों द्वारा बस किराया दोगुनी करना उनकी विवशता हो चुकी है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने बस संचालकों के समक्ष उतपन्न कठिनाईयों को भी उन्होंने जायज़ बताते हुए मुख्यमंत्री और राज्य सरकार से हस्तक्षेप की माँग की है। भाजपा ने कहा कि कोरोना काल की इस कठिन समय में जनता पहले की परेशान है। लॉकडाउन की वजह से बहुत से लोगों का रोजगार छिन गया है। इस दौरान कारोबार भी चौपट हो गया है। आमदनी के स्रोतों पर भी कोरोना की मार पड़ी है।

सरकार की चुप्पी का सीधा असर ग़रीब जनता के जेब पर पड़ने वाली है

आर्थिक मंदी के कारण हर वर्ग आज परेशान है। ऐसे में बिगड़ी आर्थिक हालत को पटरी पर लाने के लिए सरकार को जनहित में बड़े फैसले लेने चाहिए थे। दुर्भाग्यवश लोगों की भावनाओं के विपरीत सरकार बस किराया में दोगुनी बढ़ोतरी के निर्णय पर चुप्पी साधे हुए है। सरकार की चुप्पी का सीधा असर ग़रीब जनता के जेब पर पड़ने वाली है। भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि राज्य सरकार की चुप्पी इस बात का प्रमाण है कि निज़ी बस संचालकों द्वारा किराये में दोगुनी बढ़ोत्तरी के निर्णय पर झारखंड सरकार की मौन और अघोषित सहमति है।

कागजातो के रिनिवल की अंतिम तारीख़ 31  दिसंबर तय करें

भाजपा ने माँग किया कि जनता की जेब पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम करने के लिए सरकार अविलंब निज़ी बस संचालकों के शिष्टमंडल संग वार्ता आयोजित कर मध्यस्थता की दिशा में पहल करें। महीनों से वस परिचालन बाधित रहने के बावजूद भी संचालकों पर टैक्स और अन्य वित्तीय बोझ है, सरकार इसे पाटने की दिशा में पहल करें। सभी बीमा व अन्य कागजातो के रिनिवल की अंतिम तारीख़ 31  दिसंबर तय करें। बस संचालकों की कठिनाइयों और मांगों पर भी केंद्र सरकार की तर्ज़ पर सहानुभूति पूर्वक चिंता करने की जरूरत है।

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