झारखंड संदेश डेस्क
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। वैसे तो साल का हर दिन महिलाओं का उतना ही है जितना की आज का दिन। परंतु कल का दिन विशेष रूप से महिलाओं की सभी क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति और उस स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन के लिए चिंतन और विमर्श से नए रास्तों को खोजने का दिन है।
समाज की प्रगति हो या देश की प्रगति, इस देश की महिलाओं ने हर योगदान दिया है। समाज के विकास की बात आई तो नई संस्कृति नए संस्कार को सींच कर भारतीय समाज को बरगद बना दिया। युद्ध में बॉर्डर पर नहीं रहीं तो देश के लिए अपने गहने बेच डाले, युद्ध में अपने भाई बेटे खोकर भी कहा देश के लिए ऐसे कई बेटे भाई कुर्बान।
हमारे देश मे महिलाओं को शक्ति स्वरूपा कहा गया है।महिलाएं हमारी जनसंख्या का 50 प्रतिशत है, पुरुषों के बराबर। इस प्रकार लगभग सभी क्षेत्रों में महिला और पुरुष की भागीदारी बराबर की होनी चाहिए। शिक्षा, सेना, सरकारी नौकरी, राजनीति से लेकर भारत के पहले मंगल मिशन में सभी जगह आज महिलाओं की सहभागिता बढ़ रही है और हमे गर्व का अनुभव करा रही हैं। परंतु इन क्षेत्रों और अन्य बहुत से क्षेत्रों में हमें बराबरी के लिए काफी आगे जाना है।
इस अवसर पर मेरी प्रिय कविताओं में से एक, प्रख्यात इंग्लिश पोएट रॉबर्ट फ्रॉस्ट की एक कविता याद आती है, जिसका महान हिंदी कवि हरिवंश राय बच्चन ने भी अनुवाद किया है:
The woods are lovely dark and deep.
But I have promises to keep,
And miles to go before I sleep,
And miles to go before I sleep.
गहन सघन मनमोहक वन तरु, मुझको आज बुलाते हैं,
किन्तु किये जो वादे मैने याद मुझे आ जाते हैं।
अभी कहाँ आराम बदा, यह मूक निमंत्रण छलना है,
अरे अभी तो मीलों मुझको, मीलों मुझको चलना है।