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झारखंड सरकार संवैधानिक तरीके से असंवैधानिक कार्य कर रही है : रविंद्र राय

मेदिनीनगर: झारखंड में लोक कल्याण की न कोई काम हो रही है ना ही कोई मंत्री बात कर रहे हैं। जनता सरकार की दोहरी नीति एवं तुष्टीकरण की नीति में पीस रही है। देश का यह पहला झारखंड राज्य है जहां पर 40 भाषाएं बोली जाती हैं। और यह वर्तमान सरकार भाषा के आधार पर राज्य को बांटने का काम कर रही हैं। जो पूर्णत: असंवैधानिक है।और हेमंत सोरेन की सरकार संवैधानिक तरीके से असंवैधानिक कार्य कर रही है। उक्त बातें भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह हुडको के निदेशक रविंद्र राय ने पलामू आगमन पर वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह के आवास पर प्रेस वार्ता में कही। वे प्रोफेसर कमलाकांत मिश्रा की पत्नी के निधन की खबर सुनकर पारिवारिक मिलन के तौर पर पलामू पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि यह सरकार भाषा के आग में झारखंड को जलाना चाहती है। यदि झारखंड में भाषा की आग पूर्ण रूप से लग जाएगी तो इसे बुझाना सरकार के बूते की बात नहीं है।केंद्र के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के विश्वास पर झारखंड के 74% जनता ने अलग राज्य का सपना देखा। की अलग राज्य होने से झारखंड का विकास होगा। और जब झारखंड अलग बना तो भाजपा के नेतृत्व में झारखंड का चहुंमुखी विकास हो रहा था। लेकिन वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार ने राज्य को भाषा एवं सामाजिक आग में झोंकने का काम किया है। इससे जनता कैसे बचें यह भाजपा के ऊपर छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा हर हाल में राज्य के जनता की सुरक्षा करेगी। श्री राय ने कहा कि झारखंड में उग्रवाद पुण: खेल खेलने लगा है।राज्य की जनता अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है। मुझ जैसे लोगों पर भी अपराधिक उग्रवादी हमले हो सकते हैं।मुझे अपने जान के डर है। यह साबित राज्य सरकार ने मुझे वॉइ श्रेणी का सुरक्षा देकर साबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि जो सरकार बीते वर्ष बजट की राशि को खर्च नहीं कर पाई है। तो पुण: बजट पेश करने की क्या जरूरत थी। भाजपा यह चाहती है कि सरकार का कार्यकाल पूरा हो लेकिन जनता के भरोसे के लायक बने ।लेकिन यह सरकार अलगाववाद के नीति को अपनाकर सरकार चला रही है। इस सरकार में विश्वास की घोर कमी है। यदि सरकार के अंदर इच्छाशक्ति व विश्वास होता तो वह केंद्र सरकार से विकास के लिए पैसे का मांग करता। लेकिन यह सरकार लूट खसोट की नीति अपनाकर जनता को दिग्भ्रमित कर रही है। प्रेस वार्ता में जिला अध्यक्ष विजय आनंद पाठक, नरेंद्र पांडे ,मनोज सिंह, अविनाश वर्मा, विपिन बिहारी सिंह ,अरुण दुबे,कुश ओझा, छोटू सिन्हा,परशुराम ओझा समेत अन्य उपस्थित थे।