Breaking News

झारखंड सरकार के तुगलकी फरमान के विरोध में पलामू के युवाओं ने निकाली रैली

राज्यपाल के नाम उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

मेदिनीनगर: राज्य सरकार द्वारा असंवैधानिक भाषा आधारित नियोजन नीति के तहत राज्य की परीक्षाओं से हिंदी, मगही, भोजपुरी को बाहर कर दिया गया है। सरकार के इस तुगलकी फरमान के विरोध में पलामू के यूवाओं ने रेड़मा माईनर परिसर से मौन मार्च करते हुए, छः मुहान होते हुए उपायुक्त को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौपा।कार्यक्रम का नेतृत्व आशीष भारद्वाज ने किया।उन्होंने कहा कि ये मौन मार्च और जो जनसैलाब आज उतरा है ओ मजबूरी में उतरा है। राज्य सरकार ने हमसे हमारी ज़ुबान छीन ली है।हमारे बच्चे किस भाषा में परीक्षा देंगे। जब हमसे हमारा मातृ भाषा ही लूट लिया गया।राज्यपाल महोदय को उपयुक्त के माध्यम से ज्ञापन देकर हस्तछेप करने का अनुरोध करने आग्रह किया है।जब सरकार को हमारा कोयला, हमारा बालू हमारा रेवेन्यू चाहिए तो सरकार से हमें सम्मान भी चाहिए।रवि शर्मा ने कहा की हमने इस सपने को लेकर झारखंड की लड़ाई नही लडी़ थी। अब लग रहा है की हमें एक अलग राज्य के लिए कूच करना चाहिए।किशोर पांडेय ने कहा की जबतक सरकार हक़ नही देती आंदोलन अनवरत चलेगा। गढ़वा के पुष्प रंजन ने कहा की पलामू और गढ़वा अपने हक़ की लड़ाई लड़ना जनता है। और हम लड़ेंगे।इंदू तिवारी एवं शर्मिला शुमी ने कहा की हम अपने बच्चों का भविष्य अंधेरे में जाते हुए नही देख सकते हैं।छात्र नेता अभिषेक मिश्रा ने कहा की ये सरकार जबसे बनी है छात्रों को धोखा ही दे रही है।मज़दूर संघ के राकेश सिंह ने कहा की हम सब कारोबार छोड़कर आज अपने भाइयों के लिए आए है।और पलामू के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नही करेंगे।
मौन मार्च में रिनु कुमारी,आशा देवी,मनमुन सेन,नवीन तिवारी, मुकेश तिवारी, बिहारीलाल डोगरा,दीपक प्रसाद,बबलू ठाकुर, श्रवण सिंह, रणधीर सिंह,अजय शुक्ला,अभय वर्मा,मनोज सिंह, हरिवंश प्रभात,आकाश विश्वकर्मा, गोलू मेहता,रंजित चौधरी,समेत सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने सरकार के इस दोगली नीति के विरोध में आक्रोश प्रकट किया।