रामगढ़: कृषि उपादान व्यवसाय के लिए 15 दिवसीय एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण गुरुवार 24 फरवरी 2022 को संपन्न हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ एस के चौधरी, उप महानिदेशक (एनआरएम), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली तथा विशिष्ठ अतिथि के रूप में डॉ उज्जवल कुमार, निदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, पटना तथा जय निगम, उप महाप्रबंधक, नाबार्ड, रांची रहे।कार्यक्रम के दौरान डॉ डी के राघव, प्रभारी, कृषि विज्ञान केंद्र, रामगढ़ ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं विशिष्ठ अतिथियों का स्वागत करने के उपरांत प्रशिक्षण का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा 15 दिवसीय प्रशिक्षण उर्वरक व्यवसाय के लिए आवश्यक कर दिया गया। जिसके फलस्वरूप कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसान उत्पादक संगठन इनपुट डीलर एवं बेरोजगार युवाओ को प्रशिक्षण देने कि पहल कि गई है। इसी क्रम में 24 फ़रवरी 2022 तक झारखण्ड राज्य के 14 जिलों के किसान उत्पादक संगठन के 47 निदेशक मंडलों को प्रशिक्षण कराया जा रहा है। यह प्रशिक्षण नाबार्ड, राँची द्वारा प्रायोजित है। कृषि विज्ञान केंद्र रामगढ़ के द्वारा राज्य में इस प्रकार का प्रशिक्षण सर्वाधिक दिया गया है जिसमे अभी तक 367 उर्वरक विक्रेताओ एवं पैक्स सदस्यों को कृषि उपादान व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है जिसके फलस्वरूप उर्वरक विक्रेताओ के लाइसेंस का नवीकरण हुआ है।
इस प्रशिक्षण के उपरांत रामगढ़ जिला के नौ किसान उत्पादक संगठनो का लाइसेंस बन जायेगा। समापन समारोह के मुख्य अतिथि ने प्रशिक्षणार्थियों को कहा कि उत्पादन बढ़ाने एवं अधिक मुनाफा लेने हेतु उर्वरकों का उचित प्रबंधन आवश्यक है। उन्होंने रासायनिक उर्वरक के उपयोग को कम कर जैव उर्वरक के प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि रासायनिक उर्वरक के ज्यादा प्रयोग के कारण मिट्टी कि उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है इसे कम करने के लिए जैव उर्वरक जैसे राइजोबियम, एजेटोबक्टोर, पी एस बी का उपयोग ग्रामीण स्तर पर बढ़ाने के लिए कहा। जय निगम, उप महाप्रबंधक, नाबार्ड, राँची ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् एवं नाबार्ड के सहयोग से प्रदेश के बनाये गए एफपीओ को कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से तकनीकी रूप से सुदृढ़ बनाए जाने की आवश्यकता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् , पटना के निदेशक डॉ उज्जवल कुमार ने कहा कि इस प्रशिक्षण के बाद मृदा स्वास्थ्य जैविक खेती जैव उर्वरक संरक्षित खेती जैसे विषयों पर जानकारी बढ़ाने से उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ मिट्टी स्वस्थ रहेगी। उपेन्द्र कुमार साह, डीडीएम नाबार्ड रामगढ़ ने निदेशक मंडलों को मिट्टी जांच, फल एवं सब्जी, सूक्ष्म पोषक तत्व एवं जल प्रबंधन पर विशेष बल देने को कहा। इस प्रशिक्षण में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची आर.सी.ई.आर., पटना, आई.ए.आर.आई., नई दिल्ली, आई ए आर आई, गोरियाकरमा, के.वी.के., बक्सर, के.वी.के., हजारीबाग, जिला कृषि पदाधिकारी, हजारीबाग, इफको एवं कृभको द्वारा संबंधित विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई।
जिला कृषि पदाधिकारी राजेंद्र किशोर ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र की इस पहल से उत्पादन के रूप अपनाए जाने से कृषि रोजगार में वृद्धि होगी एवं किसान उत्पादक संगठन के सदस्यों कि उत्पादन लागत कम आएगी जिससे आमदनी बढ़ेगी। समापन समारोह का धन्यवाद ज्ञापन शोध केंद्र, प्लांडू, राँची के प्रधान डॉ ऐ के सिंह ने किया । समापन समारोह में कृषि विज्ञान केन्द्र के डॉ इन्द्रजीत, डॉ धर्मजीत खेरवार, आशीष बालमुचू, सनी कुमार, शशि कान्त चौबे तथा वेर्तुअल माध्यम से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् , पटना एवं शोध केंद्र, प्लांडू, राँची के प्रधान वैज्ञानिक, वरिष्ठ वैज्ञानिक के साथ-साथ बहुत से वैज्ञानिक उपस्थित रहे।