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विश्व हिंदू परिषद के प्रतिनिधि मंडल ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा 

झारखंड में क्षेत्रीय भाषा की सूची से उर्दू को हटाने का किया मांग

मेदिनीनगर: विश्व हिंदू परिषद के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को महामहिम राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा।ज्ञापन के माध्यम से मांग किया है कि कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा निकाली गई अधिसूचना में झारखंड प्रांत के सभी जिलों में मैट्रिक तथा इंटरमीडिएट स्तर की प्रतियोगिता परीक्षाओं में जिला स्तरीय पदों के लिए उर्दू भाषा को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है।जो असंवैधानिक है।
जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा अपने-अपने क्षेत्र का स्थानीय एवं प्राचीन व परम्परागत भाषा होती है।झारखंड प्रदेश में क्षेत्रीय भाषा के रूप में मुख्यतः नागपुरी, खोरठा, पंचपरगानिया एवं कुरमाली है।जो अति प्राचीन भाषा है। जबकि उर्दू एक विदेशी भाषा है।विदेशी आक्रांताओं के द्वारा देश पर आक्रमण के पश्चात साम्राज्य स्थापित कर अपने भाषा को भारत में लागू करने का प्रयास किया गया था।ऐसे में उर्दू किसी भी मायने में झारखंड के लिए क्षेत्रीय भाषा नहीं हो सकता है।झारखंड में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जिस क्षेत्र में रहते हैं।वे उसी क्षेत्र का क्षेत्रीय भाषा बोलते हैं।यदि झारखंड के अल्पसंख्यक अलग-अलग क्षेत्रों में रहकर अलग-अलग क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग करते हैं।तो फिर उनके लिए उर्दू भाषा को क्षेत्रीय भाषा घोषित करना कहाँ तक उचित है।झारखंड सरकार तुष्टीकरण की नीति के तहत ही इस तरह के प्रावधानों को झारखंड में लाकर समाजिक विद्वेेष फैलाने का कार्य कर रही है।ज्ञापन के माध्यम राज्यपाल से निवेदन किया कि ऐसे असंवैधानिक अधिसूचना को यथाशीघ्र निरस्त करने का उचित आदेश सरकार को दिया जाए।
ज्ञापन सौंपने वालो में विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री दामोदर मिश्र,सह मंत्री अमित तिवारी, बजरंग दल जिला संयोजक संदीप दास नगर संयोजक विवेक चौबे सामिल थे।