मेदिनीनगर : आनंदमार्ग में हर्षोउल्लास के साथ नीलकंठ दिवस मनाया गया।नई मुहोल्ला व अवादगंज स्थित जागृति में 3 घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन का आयोजन किया गया। इस दौरान नारायण सेवा, जरूरतमंदों के बीच वस्त्र बितरण किया गया।और मेडिकल कैम्प लगाया गया। जिसमें दर्जनों जरूरतमंद लोगों ने इसका लाभ लिया।वरिष्ठ आनंद मार्गी जगरनाथ देव ने कहा की आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी को बिहार के पटना बांकीपुर केन्द्रीय कारागार में 12 फरवरी 1973 को दवा के नाम पर विष दिया गया था। अपने ही अनुयायियों की हत्या करवाने के झूठे आरोप में इंदिरा सरकार की तानाशाही व्यवस्था ने आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी को गिरफ्तार कर बांकीपुर जेल भेज दिया गया। एक सेल में बंद अस्वस्थ वातावरण में बहुत दिनों तक रहने से बीमार पड़ना स्वाभाविक था। जेल के अंदर बाबा बीमार हो गए ।उस समय जेल के चिकित्सक डॉ एच . के. घोष थे। जान बूझकर सरकार ने डॉ घोष को बदलकर एक दूसरे चिकित्सक डॉ रहमतुल्ला खान को ले आया। श्री श्री आनंदमूर्ति जी उस समय काफी बीमार चल रहे थे। 12 फरवरी को काफी बीमार पड़ गए 11 बजे रात को डॉ रहमतुल्ला खान ने बाबा को दवा के नाम पर विष का कैप्सूल दिया। फिर क्या था। बाबा बेहोश हो गए,उनके शरीर सिकुड़ने लगे, आँखों की रौशनी चली गयी, शरीर दुर्बल हो गया, मस्तिष्क में असहनीय पीड़ा एवं निष्क्रियता का बोध होने लगा। बाबा की किसी तरह जान बच गई। इसी उपलक्ष्य में संस्था के लोग पाप के विरुद्ध संग्राम के साथ इस तिथि को हर साल नीलकंठ दिवस के रूप मनाते हैं। मौके पर आचार्य सिद्धार्थ आनंद अवधूत, भुक्तिप्रधान मधेश्वर देव, बैद्यनाथ देव, चंदू, पूनम, एडवोकेट लक्ष्मण सिंह, विश्वनाथ देव, गोपाल, रामस्वरूप, सरोज, प्रदीप, मणिकांत, पुष्पा, रेनू, सहज प्रिया, करुणा करण समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे।