स्वतंत्रता सेनानी जीतराम बेदिया को मिले मान्यता
लोकसभा में जीतराम बेदिया की प्रतिमा या तस्वीर लगाने का आग्रह
रांची। ओरमांझी के स्वतंत्रता सेनानी जीतराम बेदिया जी की प्रतिमा लोकसभा में लगाने की मांग आज सांसद संजय सेठ ने शून्यकाल के दौरान की सांसद श्री सेठ ने कहा कि देश की स्वतंत्रता में जीतराम बेदिया जी का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। रांची, रामगढ़ सहित आसपास के सैकड़ों गांव के ग्रामीणों को उन्होंने एकत्र किया, प्रशिक्षण दिया और अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी।
उनकी जीवनी बताते हुए श्री सेठ ने कहा कि जीतराम बेदिया बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति थे। जो जितनी सुगमता से बांसुरी बजाते थे, उतनी ही सुगमता से गुलेल और तीर धनुष भी चलाते थे। श्रद्धेय बेदिया एक वैद्य भी थे, जो पहाड़ की जड़ी बूटियों से अपने गांव के आसपास के लोगों का उपचार करते थे।
सांसद ने कहा कि अंग्रेजों को इस देश से भगाने में जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी आहुति दी। उनमें जीतराम बेदिया जी का नाम भी प्रमुख रूप से लिया जाता है। 23 अप्रैल 1858 को अंग्रेजों की मद्रास बटालियन के मैकडोनाल्ड से संघर्ष के दौरान बेदिया जी सहित कई वीरों ने अपना बलिदान दिया। परंतु अब तक इनका नाम बलिदानियों की सूची में शामिल कर उसे मान्यता नहीं दी गई है।
उन्होंने आग्रह किया कि ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी का चित्र या प्रतिमा संसद भवन में लगाई जाए। इनके बलिदान को सूचीबद्ध किया जाए। ताकि हमारे गौरव और महान स्वतंत्रता सेनानी को हम अपनी कृतज्ञता प्रकट कर सकें। उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकें।