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झारखंडी भाषा संघर्ष समिति, रामगढ़ का हंदकल लुआठी गहदम संपन्न

रामगढ़झारखण्ड में अस्मित,अस्तित्व पहचान की लड़ाई, झारखंडी भाषा, संस्कृति और खतियान के मुद्दे पर पिछले 40 दिनों से आंदोलन झारखण्डी भाषा संघर्ष समिति के द्वारा जारी है। इसी क्रम में आज रामगढ़ में हंदकल लुआठी गहदम जिला मैदान शनिचरा हाट बाजार से शुरू होकर चट्टी बाजार गाँधीचौक होते हुवे मेन रोड सुभाष चौक में जा कर सभा के रूप में पूरी हुई।
विदित हो कि प्रारंभ में ये भाषाई आंदोलन बोकारो धनबाद से जिला स्तरीय पदों पर नियुक्ति से संबंधित आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में अनिवार्य क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा सूची में मगही भोजपुरी को कार्मिक सचिव द्वारा 27 दिसंबर 2021 को जारी अधिसूचना के साथ ही आक्रोश बढ़ गया विरोध शुरू हो गया।


झारखंड के मान्यता प्राप्त 9 जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं (खोरठा, कुरमाली, पंचपरगनिया, नागपुरी/सादरी, कुडुख, संथाली,हो,खड़िया) अलावे दिकू भाषा भोजपुरी, मगही, अंगिका, मैथिली को शामिल करने के विरुद्ध झारखण्डी बेरोजगार, छात्र-नौजवानों का गुस्सा पूरे झारखंड के गुस्से का प्रतिनिधित्व करते हुए वृहद रूप ले लिया है।
झारखंडी पहचान के सवाल पर झारखंड के क्षेत्रीय जनजातीय भाषा के अलावे दिकू भाषा (भोजपुरी ,मगही,अंगिका, मैथली, बंगाली,उर्दू,उड़िया ) को पाठ्यक्रम में शामिल करने के विरुद्ध दिकू भाषा को प्रतियोगी परीक्षाओं के पाठ्यक्रम में हटाने मांग साथ-साथ झारखंड की द्वितीय राजभाषा की सूची से बहारी दिकू भाषाओं को हटाने का मांग ,झारखंड की पहचान 1932 का खतियान आधारित स्थानीयता को परिभाषित करने एवं लागू नहीं किए जाने से लोगों का गुस्सा खुलकर सामने आ गया है।
आज के हंदकल लुआठी का संयुक्त रूप से अगुवाई करते हुवे ओम प्रकाश महतो ने कहा कि अब यह लड़ाई आंदोलन सिर्फ धनबाद बोकारो के प्रातियोगी परीक्षाओं में बहारी भाषाओं के घुसने से संबंधित ही नहीं रहा। बल्कि आज पूरे झारखंड में जनआंदोलन का रूप ले लिया है। झारखंड के सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में इन बाहरी भाषाओं को पाठ्यक्रम से हटाने की मांग सहित द्वितीय राजभाषा सूची में झारखंड के मान्यता प्राप्त जनजातीय क्षेत्रीय भाषाओं के अलावे (दिकू भाषा भाषी मगही, मैथली, भोजपुरी, अंगिका, बंगाली, उड़िया, ) बाकी सभी भाषाओं को हटाने के साथ-साथ अंतिम लेंड सर्वे सेटेलमेंट का पूर्ण प्रकाशित (रिकॉर्ड ऑफ राईट) के आधार पर झारखंड के स्थानीयता को परिभाषित करने मामले में सरकार के वादाखिलाफी के विरोध पूरे झारखंड को एकजुट होकर आक्रोश व्यक्त कर झारखण्डी मानुस आंदोलन के लिये बाध्य है।”
अनिकेत ओहदार ने कहा कि “आज 10 फरवरी 2022 को रामगढ़ जिला वासियों को अपनी ताकत का एहसास ऐसे बाहरी घुसपैठ और भाषाई अतिक्रमण के खिलाफ सरकार को अपने मांग मनवाने के लिए लोकतंत्रिक प्रक्रिया में आंदोलन के माध्यम से सड़कों में उतर कर इस आक्रोश को व्यक्त कर दिया है हंदकल लुआठी गहदम (एक खास आकर प्रकार का लकड़ी का टुकड़ा जलाकर मशाल जुलस ) के साथ इसे और धारदार वृहद रूप देने का काम किया है।”
द्वारिका महतो ने कहा “रामगढ़ में कट्टर झारखंडी खाटी ख़तियानधारी एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं छात्र नौजवान युवा किसान द्वारा को देख रहे है, पिछले 22 वर्षों से यहना की जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है, अब बर्दस्त से बाहर है हम सरकार से इस हंदकल लुआठी गहदम के माध्यम से सीधे आर-पार की लड़ाई करने के मूड में है।”
संतोष महतो ने कहा “आज का यह आक्रोश शुरुवात है इसे जल्द सरकार जनभावनाओं का आदर सम्मान देने का काम करे नही तो सत्ता पक्ष एक एक विधायकों पार्टी पदाधिकारियों को चिन्हित कर हुक्कापानी बंद कर देने का काम किया जाएगा।”
डॉ बी.एन. ओहदार ने कहा लुआठी का मतलब – सुलगती या दहकती हुई लकड़ी ।( जलती लकड़ी का अंगार, अँगरिया) होता है और यह तबतक जलता रहेगा जब तक सरकार हमारी मांग के आगे पिघल नही जाती है। अगर सरकार नही मानती है तो हम इस लुआठी के चिंगारी से सरकार की जलाने का काम करेंगे दोस्तो यब आग बुझनी नही चहिये आक्रोश कम नही होनी चाहिए, आंदोलन थमनी नही चाहिये।आंदोलन तेज करो।
सुदर्शन महतो ने कहा बाहरी भाषा नाय चलतो,भोजपुरी मगही नाय चलतो,झारखंड की पहचान 1932 खतियान,1932 खतियान लागू करो,झारखण्डी युवा जागेगा ;बहारी भाषा भागेगा जैसे नारो के साथ आंदोलनकारी क्रांतिकारी गीत संगीत ढोल नगाड़ा के साथ जो शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे है, यह आंदोलन भाषा के सवाल पर पहचान के सवाल पर है। हम आंदोलन को जारी रखेंगे जब तक कि यह सरकार हमारी मांगें नही मान जाती है।
इस आक्रोश सभा में न्याय पालिका में सामाजिक न्याय विषय के विशेषज्ञ हाई कोर्ट के अधिवक्ता सुनील महतो,
झारखंड आंदोलनकारी बिमल अरबिंद ,सुनील प्रामाणिक ,प्रमोद ठाकुर(अधिवक्ता)दुष्यंत कुमार पटेल,चंद्रशेखर पटवा,कुलदीप महतो प्रभात कुमार सहदेव तीर्थनाथ आकाश
अनिकेत ओहदार ,ओम प्रकाश महतो, लाल बिहारी महतो, द्वारिका प्रसाद, मुनिनाथ महतो,संतोष महतो, प्रदीप महतोमेहता मुरली, पप्पू कुमार, मोहित पटेल,ओम प्रकाश महतो,विश्वास कुमार पटेल, हरीश कुमार महतो ,बादल महतो रॉकी, मुकेश बनेश्वर कुमार, पवन आर्यन ,राजकिशोर टाइगर, मिथिलेश कुमार, सूरज महतो, संजय कुमार महतो, टिकेश्वर चौधरी, शुभम कुमार साहू, योगेंद्र कुमार ,राजेंद्र प्रसाद, हरीश महतो, विकास राम महतो, जयशंकर प्रसाद, देवेंद्र कुमार ,जय नाथ कुमार, मुनि नाथ महतो ,गगन करमाली, रोहित कुमार ,मुरारी कुमार ,महतो सुरेंद्र कुमार महतो ,सुरेश कुमार पटेल ,जगन्नाथ कुमार महतो, संतोष कुमार ,नागेश्वर महतो, टेकलाल महतो, कुमार प्रेमदीप,संजय कुमार महतो, राजदीप कुमार महतो, त्रिभुवन बेदिया, ,पवन कुमार महतो, कृष्णा गोपाल महतो ,राहुल कुमार ,धीरू महतो ,गोपाल महतो, एमडी अकरम, अकाश कुमार ,विनोद कुमार ,किशोर कुमार, मुरलीधर कोठारी, अभिमन्यु, शशी करमाली, अनाम ओहदार, कुलदीप, प्रकाश करमाली ,लाजवंती देवी, आशा देवी सरिता देवी, आशा देवी गुलचो देवी कोमल देवी बालिका देवी सोनी देवी महतो ,शांति देवी फूलमती देवी, शामिल हुवे।
सुदर्शन महतो ने कहा जिले के गोला ,चितरपुर, दुलामी, मांडू आर पतरातू प्रखंड में ग्रामीण क्षेत्रों से झारखंडियों का जुटान हुवा है।
समिति के सदस्य चिंतामणि पटेल ने कहा हंदकल लुआठी गह दम सफल बनाने में पिछले 10 दिनों से जिले के सभी प्रखंडो में प्रचार वाहन से खतियान भासी जागा जनजागरूकता अभियान चलाया गया है।जिले के सभी प्रखंड स्तर पर इज आक्रोश प्रदर्शन एक एक दिन हो गया है। तय कार्यक्रम के अनुसार आज जिला के मुख्यालय ख़ातियानी भाषी का सहयोग भागीदारी से स्पष्ट हो गया है कि इस भाषाई आंदोलन का परिणाम सकरात्मक होगा।