भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सरकार पर बोला हमला
कहा, झामुमो नेता ने लोगों को गुमराह कर सच पर पर्दा डालने का प्रयास किया
रांची। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भाजपा कार्यालय में आज आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर जमकर हमला बोला है। 28 जनवरी को मैंने ग्रैंड माइनिंग कंपनी पर कुछ सवाल उठाये थे। इस संदर्भ में परिवार की भक्ति में लीन झामुमो नेता ने लोगों को गुमराह कर सच पर परदा डालने का प्रयास किया है। वास्तविकता यह है कि ग्रैंड माइनिंग कंपनी पर सरकार का आज भी आठ करोड़ रुपये बकाया है। बकाया वसूलना तो दूर कंपनी आज भी अवैध माइनिंग का काम कर रही है और पत्थर बांग्लादेश जा रहा है। ग्रैंड माइनिंग कंपनी के कौन डायरेक्टर है, यह संथाल का बच्चा-बच्चा जानता है। इस मामले में एक ही कहावत सटीक बैठती है – बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह।
आज के संवाददाता सम्मेलन का मुद्दा बहुत गंभीर है। यह मामला अमानत में खयानत का है। मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मुख्यमंत्री रहते अपने नाम पर पत्थर खदान लीज की स्वीकृति लेने का काम किया है। उन्होंने रांची जिले के अनगड़ा मौजा, थाना नं-26, खाता नं- 187, प्लॉट नं- 482 में अपने नाम से पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति ली है। उपर्युक्त खनन पट्टा की स्वीकृति के लिए हेमंत सोरेन 2008 से ही प्रयासरत थे। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद पत्रांक 615/M, दिनांक 16-06-2021 द्वारा पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति हेतु सैद्धांतिक सहमति के आशय का पत्र (एलओआइ) विभाग ने जारी कर दिया। जिला खनन कार्यालय द्वारा पत्रांक- 106, दिनांक 10-07-2021 को खनन योजना की स्वीकृति दी गई और उसके बाद हेमंत सोरेन ने दिनांक 09-09-2021 को SEIAA को आवेदन भेजा। स्टेट लेबल इंवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट ऑथोरिटी (SEIAA) द्वारा दिनांक 14-18 सितम्बर 2021 को सम्पन्न 90वीं बैठक में पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा की गई।
मुख्यमंत्री द्वारा का यह कार्य गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी मंत्रियों के लिए आचार संहिता का उल्लंघन है। साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(डी) के तहत आपराधिक कृत्य है। केंद्र सरकार का यह कोड ऑफ कंडक्ट केंद्र सरकार के मंत्रियों व राज्य सरकार के मंत्रियों पर लागू होता है।
चुंकि हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री के पद को पिछले दो साल से ज्यादा समय से संभाल रहे हैं और सरकारी सेवक के रूप में आते हैं। यह आश्चर्य है कि एक मुख्यमंत्री जिसके अंदर खान विभाग है। वही विभाग उन्हें पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति के लिए सैद्धांतिक सहमति का पत्र (एलओआइ) जारी करता है। जिला कार्यालय उनकी खनन योजना को स्वीकृत करता है। उनके अंदर का एक विभाग पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा भी देता है।
यह भ्रष्ट आचरण का अकाट्य प्रमाण है। यहअपने फायदे के लिए मुख्यमंत्री के पद का दुरुपयोग है, जो कि धारा 7 (ए) भ्रष्टाचार निरोधक कानून अंतर्गत दंडनीय अपराध है। हेमंत सोरेन का उपर्युक्त कृत्य धारा 169 आइपीसी का स्पष्ट उल्लंघन है। सरकार ने जिस जमीन की माइनिंग लीड दी है, वह सरकारी संपत्ति है और मुख्यमंत्री एक सरकारी सेवक हैं, इस नाते उनके द्वारा लीज लेना गैर कानूनी है।
श्री हेमंत सोरेन ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9 और संविधान के अनुच्छेद 191(ए) का भी उल्लंघन किया है। चूंकि पत्थर की माइनिंग बिना लीज के कोई आम आदमी नहीं कर सकता है, अतः हेमंत सोरेन को सरकार के द्वारा लीज देना सरकार का कार्य करना है। अतः धारा 9 (ए) के तहत श्री हेमंत सोरेन को डिसक्वालीफाई करना चाहिए।
हेमंत सोरेन भारत सरकार के द्वारा जारी कोड ऑफ कंडक्ट के भी दोषी हैं। कोड ऑफ कंडक्ट के अनुसार कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री किसी तरह का व्यापार नहीं कर सकता है। फिर भी श्री हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए सरकार चलाते हुए अपने नाम से व्यापार कर रहे हैं। श्री हेमंत सोरेन द्वारा जनता के विश्वास एवं प्रजातांत्रिक व्यवस्था का घोर उल्लंघन किया जा रहा है। जनता की भलाई करने की जगह श्री हेमंत सोरेन खुद की भलाई में लगे हैं।
ऐसा करने में उन्हें कोई सकोच भी नहीं है। यब सब जानते-मानते हैं कि लोकराज लोकलाज से चलता है। लेकिन मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन लोकलाज छोड़कर अपनी तिजोरी भरने में लगे हैं। लेकिन अब उनका कच्चा चिट्ठा सामने आ गया है। इसलिए यदि उनके पास थोड़ी भी नैतिकता शेष है, तो अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। कहा –
शीशे की अदालत में पत्थर की गवाही है। कातिल ही मुहाफिज है, कातिल ही सिपाही है।।