रांची। झारखण्ड प्रदेश प्राईवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन, पासवा के जिलाध्यक्षों और पदाधिकारियों की ओर से आज सभी जिलों में उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से कोविड-रोधी टीकाकरण अभियान को सफल बनाने और स्कूल खोलने की मांग की गयी है। वहीं प्रदेश पासवा के अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे,उपाध्यक्ष लाल किशोर नाथ शाहदेव,महासचिव सुश्री निशा भगत,अभिषेक साहू,संजीत यादव व रंजन यादव के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने शिक्षा विभाग के सचिव राजेश कुमार शर्मा से भी मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा एवं स्कूल खोलने की मांग की,स्कूल सम्बद्धता के लिए जमीन की बाध्यता समाप्त करने एवं किशोरों के लिए टीकाकरण अभियान को शत प्रतिशत सफल बनाने में पासवा द्वारा सहयोग करने की प्रतिबद्धता दुहराई है।
शिक्षा सचिव ने कहा स्कूल बन्द करना कभी भी विकल्प नहीं हो सकता है,इस बाबत सरकार को विभाग द्वारा अपना प्रतिवेदन भेजा जा चुका है जिसका निर्णय सरकार को लेना है,स्कूल खोलने हेतू शहरी क्षेत्रों में 75 डिसमिल जमीन एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 1 एकड़ जमीन की बाध्यता दूर की जाएगी एवं किशोरों के टीकाकरण में निजी स्कूलों का सहयोग लिया जाएगा।
रांची में पासवा की जिलाध्यक्ष सुषमा केरकेट्टा,प्रदेश उपाध्यक्ष अरविन्द कुमार व सचिव मुजाहिद इस्लाम की ओर से उपायुक्त के माध्यम से सौंपे गये ज्ञापन में कहा किया गया है कि सुंदर झारखण्ड,स्वस्थ झारखण्ड व शिक्षित झारखण्ड के सपने को पूरा करने में झारखण्ड के निजी विद्यालय सरकार को हर संभव सहयोग कर अभियान को सफल बनाएंगे। वस्तुतः 15 वर्ष से 18 वर्ष के बच्च़ो का कोविड-19 का टीकाकरण बगैर विद्यालय को खोले संभव नहीं है। प्रारंभ से ही राज्य में टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में निजी विद्यालयों कि सकारात्मक भूमिका रही है। पासवा की ओर से बताया गया कि राज्य में संचालित सैंतालिस हजार प्राइवेट स्कूलों की तरफ से हम टीकाकरण अभियान को शत प्रतिशत सफल बनाने हेतु कृत संकल्प है किंतु वास्तविकता यह है कि जब स्कूली बच्चे शिक्षकों से प्रेरित होकर टीका लेंगे तो कई तरह की भ्रांतियां के कारण या संक्रमण की गंभीरता को अनदेखा करने वाले उनके अभिभावक भी टीका लेने के लिए प्रेरित होंगे एवं कुछ महीने बाद जब 10 वर्ष के बच्चों का टीकाकरण प्रारंभ होगा तब यही बच्चे अपने बड़े भाई बहनों को टीका लेते देख मानसिक रुप से तैयार रहेंगे।
शिक्षा सचिव को सौंपे गये ज्ञापन में आलोक दूबे ने कहा पासवा की ओर से यह मांग की गयी कि पासावा झारखण्ड के निजी विद्यालयों की ओर से इस बात का अनुरोध करती है कि यह सही है कि देश में संक्रमण की तीसरी लहर और ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ा है, लेकिन राज्य के नौनिहाल बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि 50 प्रतिशत की उपस्थिति के साथ पुनः विद्यालय या कक्षाएं नहीं चलाया जा सकता है,या फिर जिस क्लास रूम में 25 बेंच है,उसमें सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए कक्षा नहीं शुरू किया जा सकता है,शिक्षा के महत्व एवं अध्ययनरत बच्चों के भविष्य ध्यान में रखते हुए इस संबंध में सरकार को गंभीरता से पुनः विचार करना चाहिए। संगठन की ओर से बताया गया कि नगर निगम द्वारा निजी स्कूलों से 4 प्रकार का टैक्स वसूलती है, जिसमें कचरा टैक्स,होल्डिंग टैक्स,वाटर टैक्स और ट्रेड लाइसेंस टैक्स शामिल है!इसके अलावा प्राईवेट स्कूलों को भवन किराया,बस व वहनों का ईएमआई,टैक्स,फिटनेस,बिजली बिल और शिक्षकों-कर्मचारियों का वेतन समेत अन्य खर्च करना पड़ रहा है, ऐसे में स्कूल बंद होने से पहली और दूसरी लहर में कई स्कूल बंद हो गये,अब यदि तीसरी लहर में भी ज्यादा दिन स्कूलों को बंद रखा जाए,तो इन स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों-कर्मचारियों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। ऐसी स्थिति में झारखण्ड की शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए तथा निजी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों, कार्यरत शिक्षक,शिक्षकेतर एवं सहायक कर्मियों के हित हेतु सहानुभूति पूर्ण निर्णय लेते हुए तथा राज्य में साक्षरता दर,शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़,बच्चों के टीकाकरण अभियान को सफल बनाने हेतु 50प्रतिशत उपस्थिति के साथ कोबिट प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विद्यालयों को खोलने की अनुमति प्रदान की जाए।
पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने बताया कि विश्व बैंक के शिक्षा निदेशक जैमे सावेदरा ने भी कोरोना के चलते स्कूलों को बंद करने पर सवाल उठाया है। उनका भी मानना है कि महामारी के चलते अब स्कूलों को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है। भले ही महामारी की नई लहर से दुनिया प्रभावित है, लेकिन स्कूलों को बंद करना अंतिम उपाय नहीं होना चाहिए।