राज्य में हो रही राजस्व की लूट
राज्य के वित्त मंत्री से पूछा सवाल – भाजपा के आरोपो का दे सटीक जवाब
रांची। वित्तीय वाणिज्यकर विभाग से संबंधित प्रेस वार्ता में राज्य सरकार के वित्तीत कुप्रबंधन को उजागर करते हुए भाजपा विधायक अमित मंडल ने कहा कि कैग रिपोर्ट के अनुसार साल 2020-21 के लिए कुल प्राप्तियां 71,110 करोड़ था। इस दौरान पिछले साल 2019-20 की तुलना में राजस्व संग्रह में करीब 7 फ़ीसदी की कमी आई है जो गंभीर विषय है।उन्होंने कहा कि कोयला,बोल्डर, चिप्स में रेल मार्ग व सड़क मार्ग द्वारा बिना परिवहन चालान के खनिज संपदा का लूट खसुट निरंतर जारी है। 2019 से मार्च 2021 तक खनन विभाग के उपनिदेशक के पत्र से प्रतीत होता है कि राज्य सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि संथाल परगना में बिना माइनिंग चालान के छह कंपनियों ने अगस्त और सितंबर 2021 में 100 करोड़ से ज्यादा के गिट्टी-पत्थर राज्य से बाहर भेज दिया और कारण यह बताया गया कि डीएमओ का पद खाली है।
उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य में हाल के दिनों में डीजल और पेट्रोल के वैट में झारखंड राज्य की तुलना में ₹26 कम सब्सिडी देने की वजह से झारखंड के पेट्रोल पंप मालिकों को घाटा झेलना पड़ रहा है क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों से वाहन बिहार व उत्तर प्रदेश इंधन लेने चले जाते हैं।
उन्होंने कहा कि टेंडर मैनेज के नाम पर सरकार को चूना लगाया जा रहा है। जब सरकार unlimited below rate quote करने का नियम बनाई है तो कैसे हर जगह सिर्फ दो ही संवेदक पेपर जमा करता है और शेड्यूल रेट या above rare में टेंडर लेता है और टेंडर मैनेज माफिया मोटी कमाई करके ऊपर तक पहुंचाते हैं जो जांच का विषय है।
उन्होंने कहा कि आज बिजली की बात करें तो आमद मद से रेवेन्यू व टैक्सेशन में 5000 करोड़ का घाटा पिछले वित्तिय वर्ष की तुलना में सरकार को हुआ है।साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली बिल जमा करने के नाम पर गरीबों और किसानों पर FIR किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आधारभूत संरचनाओं को ठीक करने के नाम पर राज्य सरकार ऊर्जा मित्रों से ₹15000 मोबाइल डिवाइस एवं प्रिंटर के सिक्योरिटी के नाम पर ले रही है। सरकार यह बताएं कि यह पैसा खजाने में जा रहा है या सत्ता पक्ष के नेताओं के पॉकेट में।
उन्होंने कहा कि राज्य भर में 15 दिसंबर 2020 तक दाखिल खारिज के कुल 70000 मामले लंबित हैं जिसके कारण सरकार को राजस्व का भारी भरकम नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि रांची में खासमहल की जमीन को दलाल माफिया रजिस्ट्री का छोटे छोटे प्लॉट करा कर बेच रहे हैं जिससे राज्य सरकार को करोड़ों का चूना लग रहा है। वही संथाल परगना में एसपीटी एक्ट रहने के बावजूद आदिवासी एवं गैर आदिवासी जमीनों को दान पत्र के माध्यम से बेचा जा रहा है, जहां रजिस्ट्रेशन शुल्क तक सरकार नहीं अर्जित कर पा रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में एसएमई के 1700 यूनिट करोना काल में बंद हो गए जिन्हें पुनर्जीवित करने के लिए सरकार के पास कोई पॉलिसी नहीं है जिस कारण कमर्शियल टैक्सेस में कमी आई है साथ ही रोजगार के अवसर भी खत्म हुए हैं।
आगे उन्होंने कहा कि दिसंबर 2021 तक बजट का मात्र 35% ही राज्य सरकार खर्च कर पाई है वही 65% सरकार को अंतिम तिमाही में खर्च करना है। उन्होंने कहा कि भवन, ग्रामीण पथ निर्माण एवं नगर की स्थिति अत्यंत दयनीय है जिस कारण निर्माण कार्य बाधित हो रहा है एवं कमर्शियल टैक्स में कमी दर्ज हुआ है व बेरोजगारी में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि कैग रिपोर्ट के अनुसार राज्य का वित्तीय प्रबंधन मानकों के अनुकूल नहीं व राज्य सरकार राजस्व के मोर्चे पर वित्तीय अनुशासन कायम नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि मार्च 2020 तक 69,702 करोड़ रूपये राशि के 29,358 उपयोगिता प्रमाण पत्र विभिन्न विभागों में बकाया है जिस कारण वित्तीय अनुशासन भंग हुआ है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा में 52 करोड़ की लूट उजागर होने के बावजूद सरकार द्वारा कारवाई ना करना व उक्त राशि की वसूली सरकार द्वारा ना कर पाना झारखंड सरकार के वाणिज्य कर व्यवस्था को एक जोरदार धक्का लगा है।