सिमडेगा और चाईबासा की घटना ने पुलिसिया कार्रवाई पर लगाया है प्रश्न चिन्ह
कोल्हान और रांची जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में खाली है डीआईजी का पद
राज्य के कई एसपी का प्रमोशन हो गया है लंबित
राज्य के कई जिलों में 2 वर्ष से अधिक समय से जमे है एसपी
जिसका असर सीधा सरकार के कामकाज पर दिख रहा
विधि व्यवस्था को लेकर विपक्ष लगातार होता जा रहा आक्रमक
रांची। पिछले कुछ महीनों से झारखंड में कई ऐसी घटनाएं घटी है।जिससे कि झारखंड पुलिस की किरकिरी हो रही है। राज्य में विपक्ष विधि व्यवस्था को लेकर लगातार आक्रमक होता दिखने लगा है। खासकर चाईबासा और सिमडेगा की घटना ने झारखंड सरकार और पुलिस की किरकिरी करा दिया है। कुछ महीनों पहले ही सिमडेगा पुलिस पर चोरी के गहने मामले में गंभीर आरोप लगे हैं। झारखंड पुलिस ने सिमडेगा के एसपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए आदेश जारी कर दिया है। यह मामला भी अभी तक लंबित पड़ा हुआ है। राज्य के कई जिलों में पिछले 2 वर्षों से अधिक समय से कई एसपी जमे हुए हैं। जिसका असर भी दिखने लगा है। राज्य के कई जिलों में कोयला और बालू का अवैध खनन और कारोबार भी कहीं ना कहीं से पुलिस के दामन पर कलंक लगा रही है। आखिरकार सरकार से गंभीर मुद्दों पर क्यों नहीं संज्ञान ले रही है। पलामू जिला में पिछले दिनों एक पुलिस अधिकारी ने आत्महत्या कर लिया है।उसके परिजन जिला के पुलिस अधीक्षक और डीटीओ पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। यहां विपक्ष के साथ-साथ राज्य के मंत्री भी पूरी मामले पर पत्राचार किया है। इस घटना ने झारखंड पुलिस की फिर एक बार किरकिरी करा दिया है। यह लोगों के समझ से परे हो गया है। राज्य में रांची और कोल्हान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में डीआईजी का पद खाली पड़ा हुआ है। राज्य के कई जिलों के एसपी का प्रमोशन लंबित पड़ा हुआ है। राज्य के कई जिलों में 2 वर्ष से अधिक समय से एसपी जमे हुए हैं। जिनका राज्य सरकार को तबादला करना है। लेकिन उनका भी तबादला नहीं हो पा रहा है। आखिर मामला कहां आकर फस रहा है।
राज्य में ट्रांसफर पोस्टिंग में खेल होने की होती रही है चर्चा
झारखंड में पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग में खेल होने की चर्चा हमेशा रहती है। राजधानी में चर्चा है कि राज्य में पुलिस अधिकारियों का ट्रांसफर पोस्टिंग और प्रमोशन का मामला खेल के कारण रुका हुआ है। कई अधिकारी मनपसंद स्थानों पर जाने के लिए जुगाड़ व्यवस्था लगा रखे हैं। जो कि ट्रांसफर पोस्टिंग में रुकावट का कारण बना हुआ है। चुकि राज्य के कई बड़े और अच्छे जिले के एसपी का प्रमोशन और स्थानतरण होना है। जिसके कारण मामला अटका पड़ा है। जमशेदपुर एसएसपी का पद खाली होना है। क्योंकि जमशेदपुर एसएसपी का डीआईजी के पद पर प्रमोशन होना है। चाईबासा एसपी के साथ भी इसी प्रकार की बात है। सिमडेगा के एसपी पर गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर कार्रवाई हुई तो वहां का भी पोस्ट खाली हो जाएगा। वहीं राजधानी में चर्चा हो रही है कि जमशेदपुर, चाईबासा, जामताड़ा और रामगढ़ जैसे जिला में पोस्टिंग के लिए बड़े पैमाने पर पैरवी और पैसा का खेल होने वाला है। चर्चा यह भी है कि रामगढ़ एसपी पैरवी के बल पर जमशेदपुर एसएसपी बनना चाह रहे हैं। ऐसे जमशेदपुर एसएसपी के पद के लिए कई और दावेदार दावा ठोक रहे हैं। वही चाईबासा और रामगढ़ के लिए भी कई नामों की चर्चा हो रही है। कई एसएस डीआईजी बनने वाले हैं। चर्चा है कि रांची,कोल्हान और हजारीबाग को नया डीआईजी दिया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर यह भी चर्चा हो रही है कि राज्य के आदिवासी और अल्पसंख्यक पुलिस अधिकारी भी अच्छे जिलों में जाने के लिए दावा ठोक रहे हैं। उनके लिए भी पैरवी हो रहा है।
विधि व्यवस्था को लेकर विपक्ष हो गया है आक्रमक
राज्य में पिछले कुछ महीनों से विधि व्यवस्था को लेकर विपक्ष खासकर भाजपा काफी आक्रमक हो गई है। राज्य के कई जिलों में कोयला और बालू का अवैध खनन और कारोबार को लेकर भी विपक्ष हमलावर है। वही कई जिलों में अपराधिक घटनाओं में तेजी आई है। सिमडेगा और चाईबासा की घटना ने विपक्ष को हमला करने का मौका दे दिया है। पलामू की घटना निधि विपक्ष को हल्ला करने का मौका दिया है। इसके अलावा ही थी कई जिलों में अपराध और हत्याओं का दौर चला है। जिसके कारण झारखंड पुलिस विपक्ष के निशाने पर आई हुई है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी,रघुवर दास और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने पुलिसिया कार्रवाई और विधि व्यवस्था को लेकर सीधा राज्य सरकार पर हमला बोला है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश लगातार विधि व्यवस्था को लेकर हमलावर हैं। ऐसे में अब झारखंड पुलिस को अविलंब सुधार करने की जरूरत है। झारखंड सरकार को इस पर अभिलंब ध्यान देना चाहिए।