न्यायाधीश रहते हुए उन्होंने जनहित में बड़ा काम किया: डॉ रामेश्वर उरांव
रांची। राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने झारखंड आंदोलनकारी जस्टिस एलपीएन शाहदेव की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और डॉ राजेश गुप्ता छोटू ने अलग राज्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एलपीएन शाहदेव की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि अलग झारखंड के लिए आंदोलन में सक्रियता से भाग लेने के अलावा न्यायाधीश रहते हुए उन्होंने जिस तरह से जनहित में काम किया।उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि लातेहार के चंदवा प्रखंड के कामता गांव में जन्मे जस्टिस शाहदेव ने जिस तरह से झारखंड राज्य निर्माण के संघर्ष में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है, उसी का परिणम आज का अलग झारखंड राज्य है। डॉ रामेश्वर उराँव ने कहा न्यायमूर्ति शाहदेव झारखंड अलग राज्य के निर्माण में महती भूमिका निभाई, आंदोलन का नेतृत्व किया, सबको संगठित किया और राजनीतिक व सामाजिक संगठनों में चेतना पैदा की,आदिवासियों एवं मूलवासियों को अपने अधिकार हासिल करने के लिए संघर्ष की शक्ति दी। न्यायमूर्ति एलपीएन शाहदेव ना सिर्फ कानून के जानकार थे, बल्कि वे समाजसेवी , लेखक और चिंतक होने के साथ ही एक जुझारू व्यक्तित्व के स्वामी थे,वे हमेशा हमारे बीच जीवंत रहेंगे।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि जब वे एनएसयूआई कार्यकर्त्ता के रूप में अलग झारखंड राज्य के लिए संघर्षरत थे, तो उन्होंने ही राज्य के सभी राजनीतिक दलों और संगठनों की बैठक में एलपीएन शाहदेव के नेतृत्व में एक सर्वदलीय कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया था, बाद में इसी सर्वदलीय अलग राज्य निर्माण समिति के बैनर तले अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में तेजी आयी।
इस मौके पर लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि जस्टिस एलपीएन शाहदेव का झारखंड के प्रति अटूट प्रेम ही था कि आंदोलन को चरम तक पहुंचाने के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश होने के बावजूद उन्हांने अपनी गिरफ्तारी दी थी।
डा.राजेश गुप्ता छोटू ने स्वर्गीय शाहदेव की पुण्यतिथि पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सही मायने में झारखंड राज्य निर्माण कराने में उन्होंने योगदान दिया एवं तत्कालीन केंद्र व राज्य सरकार को विवश किया।