टिकैत उमराव सिंह व शेख भिखारी का शहादत दिवस
रामगढ़। भाकपा माले एवं मासस के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में मोटर साइकिल रैली रामगढ़ से निकाली गई। रैली चुटूपालू घाटी मैं शहादत स्थल पहुंचकर संपन्न हो गया।
भाकपा माले के जिला सचिव भुनेश्वर बेदिया, देवकीनंदन बेदिया, हीरा गोप एवं मासस के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी, मिथिलेश सिंह व राजेंद्र गोप ने चुटूपालू फांसीयारी बर पेड़ के नीचे टिकैत उमराव सिंह व शेख भिखारी के चित्र पर माल्यार्पण किया।उपस्थित देवानंद गोप, लक्ष्मण बेदिया, सरजू मुंडा, मनोज मांझी, लाली बेदिया, नरेश बड़ाईक, तृतियाल बेदिया, लालकुमार बेदिया, वीरेंद्र ठाकुर, जयवीर हंसदा, जयनंदन गोप, उमेश गोपा,अमल कुमार घोष, फूलचंद करमाली, लालमोहन मुंडा, सभी लोगों ने माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित करके उन शहीदों के प्रति एक मिनट की श्रद्धांजलि दी गई। शहादत संकल्प सभा को संबोधित करते हुए उक्त नेताओं ने कहा कि आजादी के संग्रामी आंदोलन व 1857 के सिपाही विद्रोह रामगढ़ थाना के जमादार माधव सिंह एवं मंगल पांडे अन्य साथियों के द्वारा सिपाही विद्रोह का नेतृत्व करते हुए, रांची- हजारीबाग व रामगढ़ जिला के इस मध्य पठार क्षेत्र के चुटूपालू घाटी क्षेत्र में शेख भिखारी और टिकैत उमराव सिंह व जीतराम बेदिया के नेतृत्व में इस आसपास के हजारों-हजार जनता को लेकर देश की आजादी का संग्रामी आंदोलन गुंज रहा था। ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटिश हुकूमत उपनिवेश के खिलाफ देश की आजादी के साथ जल जंगल जमीन की रक्षा की लड़ाई लड़ी जा रही थी। अंततः अंग्रेज मेजर मेक्डोनाल्ड की फौज ने टिकैत उमराव सिंह व शेख भिखारी को गिरफ्तार कर 8 जनवरी 1858 ईस्वी को चुटूपालू घाटी के बर पेड़ पर फांसी देकर लटका दी गई।
हजारों लोगों की कुर्बानियों के बल पर देश के आजादी मिली लेकिन भाजपा सरकार के द्वारा कंगना रनौत ने आजादी को भीख में मिलने की बात करते हुए देश के स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ने वाले लोगों और बलिदानियों के लिए शर्मनाक बात है और देश के स्वतंत्रता संग्राम में आंदोलन के इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। संग्रामी आंदोलन के सच्चे इतिहास को आज नए सिरे से लिखने की आवश्यकता है।
वर्तमान में जल, जंगल, जमीन व खनिजों को केन्द्र सरकार सभी कंपनियों के हाथों सुपुर्द कर दिया जा रहा है। सार्वजनिक सारे संस्थाओं को बेचा जा रहा है। पूरे देश को नए सिरे से गुलाम बनाया जा रहा है। आज टिकैत उमराव सिंह शेख भिखारी द्वारा दिखाए गए संघर्ष व बलिदानी के रास्ते पर चलकर ही दूसरी आजादी की लड़ाई को तेज करने की जरूरत है।