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2021 में हमने क्या खोया क्या पाया

झारखंड संदेश विशेष

आमंत्रित लेख :- डॉ. सुनील कश्यप 

हम सभी भारतवासी ही नहीं अपितु पूरे विश्व समुदाय इस बात को जानता है की 2020 और 2021 में हमने क्या खोया क्या पाया?  यह बात किसी से छिपा हुआ नहीं स्पष्ट है, कि जब 2020 का स्वागत पूरा देश कर रहा था, उसी समय कोविड-19 अर्थात करना महामारी का संकट हमारे देश को 2020 फरवरी-मार्च मैं ही ग्रास करना प्रारंभ कर दिया और धीरे-धीरे ऐसी परिस्थिति बनी कि इससे हमारा देश ही नहीं अभी तो पूरा विश्व प्रभावित हुआ। जल, जंगल, नदी, तालाब, पहाड़, पर्वत, गांव मजदूर व्यवसाय कर्मचारी से अधिकारी तक देहात शहर में सभी जगह सभी स्थानों पर रहने वाले जीव जंतुओं पर इसका गहरा असर पड़ा। उसका मुख्य कारण पूरे देश और विश्व में पर्यावरण को प्रदूषित होना माना जा रहा है।

इसका नामकरण कोविड-19 रखा गया और जिससे सभी वर्ग सभी समुदाय के लोग इससे प्रभावित होते रहे ऐसी स्थिति में पूरे देश में और विश्व स्तर पर लॉकडाउन कर दिया गया। जिसके कारण सभी लोग घरों में ऑफिस तक सिमट गए ।सरकार कई तरह के प्रयास करते रहे जैसे 6 गज की दूरी, मास्क पहनना जरूरी यह स्लोगन गली गली में रेडियो टीवी दूरदर्शन पर आने लगी सभी लोग सतर्क होते रहे परंतु इसके बावजूद भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कुछ लोग करते रहे कुछ लोग नहीं करते रहे। जिसके कारण कोविड-19 का शिकार होते गए और काल के गाल में समा गए। मानो ऐसा लग रहा था की दुनिया मैं यह क्या हो गया ? ऑक्सीजन की कमी मनुष्य मनुष्य से दूरी अपने-अपने से दूरी यहां तक कि अपने परिवार वालों से भी दूरी बना कर रहने लगा। सरकार के अथक प्रयास के कारण वैक्सीनेशन प्रारंभ हुआ। कोविशिल्ड और को-वैक्सीन लेने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाने लगा। भयभीत होकर भी लोग वैक्सीन लेते रहे फिर भी घटनाएं घटती रही इस दरमियान देश ने कई विभूति कई महान हस्तियों और हजारों लोगों को खोया। लॉकडाउन के कारण स्कूल कॉलेज सभी तरह के संस्था ने बंद कर दी गई। जिसके कारण सबसे अधिक क्षति विद्यार्थियों की हुई और अभी भी हो रही है। प्रत्येक दिन विद्यालय महाविद्यालय जाने वाले विद्यार्थी पठन-पाठन से दूर होते गए। उन्हें ऑनलाइन की सुविधा कुछ हद तक उपलब्ध कराई गई लेकिन शिक्षा इतनी आसान बात नहीं है । लॉकडाउन में शिक्षा का शत प्रतिशत बच्चे उपयोग और उसे दूर रहे ऐसी स्थिति में कई तरह की परीक्षाएं जो रोजगार परक थी होनी थी रोजगार पाने वाले युवक युवतियां अपने पढ़ाई लिखाई घर पर सिमटकर करते रहे। लेकिन उन्हें प्रतियोगिता में सम्मिलित होने का मौका लॉक डाउन होने के कारण प्राप्त नहीं हो पाया जिसके कारण उन्हें नौकरी प्राप्त नहीं हो पाई और अभी भी वह पीढ़ी बेरोजगार बैठी पड़ी है। जहां एक ओर लॉकडाउन और कोविड-19 ने पूर्ण रूप में क्षति पहुंचाई है।

लेकिन हमें कुछ शिक्षा भी इस महामारी से मिली है। खासकर वैसे बच्चे जो परिवार से दूर शिक्षा ग्रहण किया करते थे उन्हें घर में रहने से दादा दादी नाना नानी भाई बहन का प्यार स्नेह वर्षों तक प्राप्त होते रहा और जो विद्यालय या महाविद्यालय में पठन-पाठन की व्यवस्था हुआ करती थी, वह घरों में वैसे बच्चे वर्षों तक करते रहे यह लाभ प्रतीत हुआ है ।साथ ही साथ पर्यावरण के प्रति लोग सजगता दिखे स्वच्छता के प्रति लोग सजग हुए पेड़ पौधे लगाना प्रारंभ कर दिए और स्वच्छता के प्रति लोग कैसे स्वस्थ रहें और कैसे स्वच्छ रख एक दूसरे को रहने की प्रेरणा दें ऐसी बातें चाहे आकाशवाणी और दूरदर्शन हो समाचार मीडिया हो चाहे बैठकर किसी तरह की पुष्टि हो संगोष्ठी हो ऑनलाइन हो ऑफलाइन हो सबों के मन में यह सब उनके विचार आना शुरू हो गया कि हमें अगर इस करो ना से निजात पाना है तो प्रकृति में हो रहे बदलाव को हम सबको मिलकर अधिक से अधिक पेड़ पौधे नदी तालाब पहाड़ पर्वत नदी झरने को यथावत पूर्वक बचाना होगा और लगाना भी होगा। खासकर गुणकारी पेड़ पौधे जिससे हमें ऑक्सीजन प्राप्त होते हैं। इसके लिए वैज्ञानिकों ने भी खोज प्रारंभ कर दी और कौन वृक्ष से हमें अधिक गुणकारी है। कौन पेड़ से हमें अधिक ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है। सभी समुदाय सभी वर्ग इसके विषय में गहन अध्ययन प्रारंभ कर दिया। उतना ही नहीं जो वेद पुराण वेद ग्रंथ हमारे भारतीय दर्शन योग विद्या से लोग वर्षों दूर हुआ करते थे उससे नजदीकी आए और योग विद्या को विशेष ग्रहण करना शुरू कर दिया। योग को एक अच्छा स्थान मिला सभी को निरोग रहने के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम योग करने की सलाह दी गई। लोग योग करने लगे जड़ी बूटियों का सेवन अधिक करने लगे अर्थात आयुर्वेद पद्धति को अपनाने लगे और आयुर्वेद पद्धति में जो हमारे ऋषि मुनि परंपरा में जो विद्या ग्रहण किया करते थे उसको बल मिला। साथ ही साथ धर्म ग्रंथ के प्रति लोग खासकर पुराने ग्रंथों के प्रति जो ऋषि मुनि जो कहा करते थे और आत्मसात करने लगे तो धीरे-धीरे हर घर में एक चिकित्सक एक जानकार अर्थात कैसे हमें इस महामारी से बचना है।.इसकी जानकारी हर व्यक्ति हर घर में होने लगी सभी घरों में उसने जल जड़ी बूटी का सेवन प्रतिदिन शारीरिक व्यायाम करना प्रारंभ कर दिए तो धीरे-धीरे कोविड-19 लगभग समाप्त हो गया था किंतु लोगों की लापरवाही ने पुनः गत दो-तीन महीनों से ओमी क्रोन पूरे देश में अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है यह भी एक हमारे लिए अभिशाप प्रतीत होने लगा है इसके हम सभी को चुनौती लेते हुए जो सरकार के गाइडलाइन आ रहे हैं उसे पालन करना होगा भीड़ भाड़ इलाकों में किसी भी हाल में बिना मास्क देना सैनिटाइजर प्रत्येक दिन व्यवहार करना होगा हर स्थानों पर और लोगों को इसके लिए और प्रेरित करना होगा वैक्सीनेशन में जो कमियां आ रही है जो नहीं लिए हैं पहला डोज  और दूसरा डोज, अधिक से अधिक वैसे लोगों को दोनों डोथ दिलवाना होगा। खासकर जो अभी नई पीढ़ी खासकर जो बाल्यावस्था में हैं, उन्हें में सरकार के माध्यम से व्यक्त सिलेक्शन दिलवाने में गाइड लाइन को पालन करते हुए अधिक से अधिक संस्थानों स्वयंसेवी संस्थानों को भी आगे आना होगा। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चित् दुख भाग भवेत।

              –  डॉ सुनील कुमार कश्यप (बुद्धिजीवी मंच अध्यक्ष)