Breaking News

विधान सभाध्यक्ष ने अपने क्षेत्र में कहीं सरकार आपके द्वार में, तो कहीं फुटबाल मैच में भाग लिया

नाला के अफजलपुर गांव में सरकार आपके द्वार में उमड़ी ग्रामीणों की भीड़

खेल का अलंकार हार व जीत होती है: रबिन्द्रनाथ महतो

जामताड़ा।खेल का अलंकार हार व जीत होती है। अगर ये हार और जीत नही होती तो खेल के मैदान में दर्शकों की भीड़ नही उमड़ती साथ ही खेल के प्रति दर्शकों का आकर्षण भी नही होता। ये बातें विधान सभा के अध्यक्ष रबिन्द्रनाथ महतो ने कुंडहित में आयोजित फुटबाल के फाइनल मैच में दर्शकों एवं खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि खेल के आयोजन से गांव में एक उत्सव से माहौल होता है तथा मनोरंजन भी होता है। खेल के माध्यम से अपना व्यक्तित्व का विकास के साथ साथ सामाजिक विकास भी होता है। फुटबॉल आज भी ग्रामीणों के लिए रोमांचकारी खेल है। कोई भी गांव में फुटबॉल खेल के आयोजन से ग्रामीणों का हुजूम देखा जाता है। उन्होंने खिलाड़ियों को कहा कि अपने उम्र के साथ खेल को अवश्य जोड़ें रखें ताकि आगे कोई भी मौका मिले तो आप चुके नही। सरकार भी खिलाड़ियों के प्रति काफी गंभीर है। खिलाड़ियों के लिए सरकार सीधी नियुक्ति की प्रक्रिया भी अपना रही है। माना कि खिलाड़ियों को जो सुविधा मिलनी चाहिए, वो नही है, फिर भी राज्य में खिलाड़ियों के खेल प्रतिभा की कमी नही है। हाल में ओलिंपिक में राज्य की दो बेटियां गोल्ड जीत कर लाई जिसे विधान सभा मे सम्मानित भी किया गया। क्रिकेट में धोनी ने झारखंड के नाम रौशन किया है। दीपिका ने तीरंदाजी में राज्य का मान बढ़ाया है।

खेल में विजेता एवं उप विजेता टीम को विधान सभाध्यक्ष ने पुरष्कार प्रदान कर सम्मानित किया। मौके पर कुंडहित बीडीओ श्रीमान मरांडी, सीओ नित्यानंद चौधुरी, थाना प्रभारी दीपक ठाकुर, झामुमो प्रखंड अध्यक्ष जयश्वर मुर्मू, सचिव मनोरंजन सिंह, जनार्दन भंडारी, ऑफसर हेम्ब्रम, बंक भंडारी, बासुदेब मरांडी सहित अनेको मौजूद थे।वहीं विधान सभाध्यक्ष ने नाला प्रखंड के अफजलपुर गांव में आयोजित सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में भाग लिया। ग्रामीणों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से उन्होंने अवगत कराया। कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजन का एकमात्र उद्देश्य है कि ग्रामीणों की समस्या गांव में पहुंचकर सुनकर उसका समाधान करना। कहा कि ग्रामीण पहले अपनी समस्या को लेकर बीडीओ आफिस, सीओ आफिस, थाना, जिला कार्यालय का चक्कर लगाते थे। कभी पदाधिकारियों से भेंट होती थी तो कभी नही। इससे उन्हें आर्थिक परेशानी के साथ साथ मानसिक परेशानी भी होती थी।

इसे देखते हुए ही सरकार ने इस कार्यक्रम को चलाया, जिसके सकारात्मक परिणाम देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले पेंशन केलिए बीपीएल का शर्त था, जिसमे अनेको को उम्र होने के बाद भी पेंशन नही मिलती थी। लेकिन हेमंत सरकार ने इस परेशानी से निजात दिलाया। बीपीएल की वाध्यता को समाप्त कर सभी जाति के लिए 60 वर्ष की उम्र पर पेंशन देने की योजना को लागू किया।