रेलवे, कोल इंडिया और पावर हाउस के स्थानीय अधिकारियों की मिली भगत से बड़े पैमाने पर हो रहा अवैध कारोबार
रामगढ़ जिला के बरकाकाना और भुरकुंडा रेलवे साइडिंग से हो रहा अवैध गोरखधंधा
रेलवे साइडिंग से बड़े पैमाने पर कोयला में चारकोल मिलाकर भेजा जा रहा पावर हाउस
रेलवे साइडिंग पहुंचने वाले कोयले का हो रहा अवैध कारोबार
रांची/रामगढ़। झारखंड की राजधानी रांची से सटे रामगढ़ जिला पिछले 2 वर्षों से अवैध कारोबार का मुख्य केंद्र बन गया है। जिला में कोयला,बालू का अवैध खनन और कारोबार चल ही रहा है। वही कबाड़ी का कारोबार भी बड़े पैमाने पर चल रहा है। पिछले कुछ महीनों से जिला के बरकाकाना और भुरकुंडा रेलवे साइडिंग से बड़े पैमाने पर अवैध कारोबार की चर्चा शुरू हो गई है। चर्चा है कि भुरकुंडा और बरकाकाना रेलवे साइडिंग से क्षेत्र के कोयले को पावर हाउस रेलवे रैक के द्वारा भेजा जा रहा है।
इन दोनों रेलवे साइडिंग से पावर हाउस भेजे जाने वाले सीसीएल के महंगे कोयले को बाजारों में चोरी-छिपे बेच दिया जा रहा है। वही कोयले में बड़े पैमाने पर चारकोल मिलाकर पावर हाउस भेजने की चर्चा हो रही है। चर्चा है कि बरकाकाना एवं भुरकुंडा रेलवे साइडिंग से रोजाना भेजे जाने वाले कोयले मैं 40% तक चारकोल मिलाया जा रहा है। बरकाकाना एवं भुरकुंडा रेलवे साइडिंग में क्षेत्र में स्थित स्पोंज प्लांट से सस्ते में चारकोल खरीदकर मिलाया जा रहा है। इस खेल में माफियाओं के अलावा सरकारी मशीनरी भी मिली हुई है। चर्चा है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन,रेलवे, कोल इंडिया एवं पावर हाउस के पदाधिकारियों की मिली भगत से बड़े पैमाने पर यह कारोबार चल रहा है। ऐसी बात नहीं की इन विभाग के अधिकारियों को इस अवैध कारोबार की जानकारी नहीं है। इसके बावजूद खुलेआम यह कारोबार धड़ल्ले से जारी है। चर्चा है कि इसके एवज में माफिया मोटी राशि अधिकारियों को देकर मैनेज कर रहे हैं।
इस अवैध कारोबार में सबसे ज्यादा अहम रोल रेलवे के अधिकारियों की दिख रही है। क्योंकि यह पूरा खेल रेलवे साइडिंग से चल रहा है। चर्चा है कि जिला के दोनों रेलवे साइडिंग से रोजाना करोड़ों का अवैध कारोबार चल रहा है। इसका सीधा नुकसान इन दोनों रेलवे साइडिंग से पावर हाउस भेजे जाने वाले कोयले की क्वालिटी पर पड़ रहा है। पावर हाउस में भेजे जाने वाले कोयले का स्तर काफी कम हो जा रहा है। क्योंकि कोयले में 40% तक चारकोल मिलावट की गई होती है। जिससे कि बिजली उत्पादन पर असर पड़ सकता है। इन दोनों रेलवे साइडिंग से पावर हाउस भेजे जाने वाले कोयले की जांच पावर हाउस के अधिकारियों द्वारा की जाती है। लेकिन चर्चा यह भी है कि यहां से जिस पावर हाउस में कोयला भेजा जाता है उस पावर हाउस के अधिकारियों को भी मैनेज किया गया है। ताकि कोयले की क्वालिटी खराब होने की जानकारी ऊपर नहीं दी जाए। वहीं इसमें कोल इंडिया के अधिकारियों की भी भूमिका संदेहास्पद दिख रही है। इस विभाग के अधिकारियों की मिली भगत के बगैर यह कारोबार संभव नहीं है। इस अवैध कारोबार में सबसे बड़ी भूमिका स्थानीय पुलिस प्रशासन की है। क्षेत्र के स्पंज प्लांट से चारकोल कैसे हाईवा और ट्रक द्वारा रेलवे साइडिंग पहुंच रहा है। ऐसी चर्चा है कि रात के अंधेरे में फैक्ट्रियों से चारकोल रेलवे साइडिंग पहुंचाई जा रही है। रोजाना 50 से 100 हाईवा चारकोल रेलवे साइडिंग में गिराई जा रही है। वही सीसीएल के कोलियरियो से रेलवे साइडिंग आने वाले कोयले की बिक्री बाहर कर दी जा रही है। यह कारोबार एक सुव्यवस्थित साजिश के तहत की जा रही है।जिसमें राज्य और केंद्र सरकार के कई सफेदपोश भी शामिल हैं। केंद्र सरकार इस अवैध कारोबार को जल्द नहीं रुकवा पाती है तो भारी नुकसान होना तय है। माफिया पूरी ताकत से यह कारोबार करने में लगे हैं। इस कारोबार में जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी संदेहास्पद दिख रही है। जिसके चलते यह कारोबार सुव्यवस्थित ढंग से माफिया कर रहे हैं।