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झारखंड के रामगढ़ जिला में कानून राज हो गया है खत्म ?

  • पुलिस अधिकारियों के बीच ही हक और अधिकार की हो रही जंग
  • जिला में पुलिस अधिकारियों की लड़ाई का खुलेआम फायदा उठा रहे माफिया और अपराधी
  • जिला में बड़े पैमाने पर चल रहा कोयला, कबाड़ी और बालू का अवैध कारोबार
  • पुलिस अधिकारियों के बीच चल रही हक और अधिकार का लड़ाई हाईकोर्ट पहुंची
  • झारखंड के कई जिलों में पदस्थापित एसपी नहीं मान रहे सरकार का आदेश और कानून
  • रामगढ़ जिला में देखने को मिल रही एसपी की मनमानी कार्रवाई

रांची/रामगढ़। झारखंड के कई जिलों में अधिकारियों के बीच पिछले कुछ वर्षों से वर्चस्व, हक, अधिकार और सम्मान की जंग होती दिख रही है। साथ ही सामंतवादी मानसिकता के अधिकारी कनीय अधिकारियों पर तानाशाही करते नजर आ रहे हैं। पुलिस विभाग में पिछले कुछ वर्षों से जातीय राजनीति भी हावी हो चुकी है। इन सब मामलों को देखना है तो झारखंड की राजधानी रांची से सटे रामगढ़ जिला को देखा जा सकता है। रामगढ़ जिला में झारखंड सरकार के कानून और नियम नहीं माने जाते हैं। रामगढ़ में पदस्थापित अधिकारी सरकार के नियम और कानून से ऊपर उठकर मनमानी तरीके से कार्य कर रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि झारखंड हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका यह बातें बता रही है। झारखंड के रामगढ़ जिला में सरकार की लाचारी भी नजर आ रही है। आखिर रामगढ़ जिला में सरकार इतना लाचार क्यों है? जिला में बड़े पैमाने पर कोयले,बालू और कबाड़ी का अवैध कारोबार चल रहा है। जिला में पिछले कुछ महीनों में बड़ी अपराधिक घटनाएं घटी है। यह हम नहीं जिला में हो रही घटनाएं प्रमाण दे रही है। जिला में कई बड़ी आपराधिक घटनाएं घटी है। जिला में बड़े पैमाने पर अपराधी तांडव करते नजर आ रहे हैं। जिला में चल रहे अवैध कार्यों से रंगदारी और लेवी वसूलने की लगातार बातें सामने आ रही है। रंगदारी और लेवी नहीं मिलने से घटनाएं भी होते दिख रही है। आखिर झारखंड में सरकार रामगढ़ जिला पर क्यों नहीं ध्यान दे रही है? यह एक बड़ा प्रश्न सामने खड़ा हो चुका है? रामगढ़ की एसपी प्रभात कुमार की कार्यप्रणाली कई बार शक के घेरे में आई है। लेकिन पुलिसिया पावर का प्रभाव दिखाकर वे हमेशा मनमानी करते रहे हैं। रामगढ़ एसडीपीओ के क्षेत्र का बंटवारा उसका एक बड़ा उदाहरण है। झारखंड सरकार की गृह मंत्रालय ने भी इस संबंध में आदेश किया था। लेकिन रामगढ़ एसपी ने उसे भी मानने की जरूरत नहीं समझी। सरकार के नियम कानून से ऊपर उठकर एसपी अपने मन मुताबिक कार्य कर रहे हैं। जिसको आधार बनाते हुए रामगढ़ एसडीपीओ किशोर कुमार रजक ने झारखंड हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर दी है।

रामगढ़ एसडीपीओ ने हक और अधिकार के लिए लड़ाई छेड़ी

रामगढ़ जिला के तत्कालीन एसपी द्वारा रामगढ़ अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के कार्य क्षेत्र का बटवारा गृह विभाग के आदेश के बिना वर्ष 2019 में किया था। रामगढ़ एसडीपीओ किशोर कुमार रजक पदस्थापित होने के बाद एसपी को पत्र लिखकर अपने कार्य क्षेत्र के बंटवारे को खत्म करने की मांग किया। जिसके बाद से रामगढ़ जिला में हक और अधिकार की लड़ाई शुरू हो गई। रामगढ़ एसपी ने एसडीपीओ के कार्यक्षेत्र के बंटवारे को खत्म नहीं किया। इस दौरान एसडीपीओ किशोर रजक ने उच्च अधिकारियों और सरकार को पत्रचार किया। झारखंड सरकार के गृह मंत्रालय ने रामगढ़ एसपी को इस संबंध में आदेश दिया। लेकिन जब रामगढ़ एसपी ने गृह विभाग के आदेश को नहीं माने तब एसडीपीओ किशोर रजक झारखंड हाईकोर्ट के शरण में चले गए। रामगढ़ जिला में पुलिस अधिकारी के इस रवैये से पूरी झारखंड सरकार कटघरे में खड़ी हो गई है। वही रामगढ़ एसडीपीओ किशोर रजक लगातार इस संबंध में मुखर होते जा रहे हैं। किशोर रजक अब खुलकर एसपी के कार्य प्रणाली का विरोध करने लगे हैं। रामगढ़ जिला में पुलिसिया विवाद से झारखंड पुलिस की गरिमा पर चोट लगने लगी है।

देश की बड़ी कंपनी टाटा कोलियरी में हुआ अपराधियों का  बड़ा हमला

रामगढ़ जिला के घाटोटांड थाना क्षेत्र में पिछले काफी समय से कोयले का अवैध खनन और कारोबार चल रहा है। घाटो पुलिस कोयला के अवैध कारोबार में मस्त नजर आ रही है। वही देश की प्रतिष्ठित कंपनी टाटा के वेस्ट बोकारो कोलियरी में अपराधियों ने बड़ी घटना को अंजाम देकर पुलिस की निष्क्रियता को उजागर कर दिया है। टाटा की वेस्ट बोकारो डिवीजन शनिवार की दोपहर खुले आम अपराधियों ने जिस प्रकार बम्हौर गोली से पूरे क्षेत्र को दहला दिया है। यह पुलिस की कार्यप्रणाली को उजागर कर चुका है। रामगढ़ जिला के घाटो थाना क्षेत्र में स्थित वेस्ट बोकारो डिवीजन पिछले कई वर्षों से कोयले का उत्पादन कर रही है। लेकिन इस प्रकार की घटना शायद ही कभी घटी हो। अपराधियों ने खुलेआम हमला कर पुलिस की निष्क्रियता को उजागर करते हुए सरकार को भी चुनौती दे डाली है। आखिरकार अपराधी फोन पर रंगदारी की मांग करते हुए धमकी देकर उसके एक घंटा के बाद हमला कर देते हैं। पुलिस अगर चाहती तो समय रहते मामले रोका जा सकता था। लेकिन कोयला के अवैध खनन और कारोबार के संरक्षण में लगी पुलिस को इस चीज का ध्यान तक नहीं था। जिसके बाद अपराधियों ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे दिया।