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सोबरन सोरेन के स्मरण में शहीद सोबरन सोरेन को हूल जोहार ‌: फागु बेसरा

रामगढ़। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव फागु बेसरा ने कहा कि आज शहीद सोबरन सोरेन का शहादत दिवस है।आज के ही दिन 27 नवम्बर 1957 को सूदखोर महाजनों शोषक वर्गों ने सोबरन सोरेन जी का निर्मम हत्या गोला के लुकैयाटांड़ पगडंडी रास्ते में घात लगाकर कर दिया गया था।
सोबरन सोरेन एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। शिक्षा के माध्यम से अलख जगाने काम कर रहे थे।समाज के लोगों को जागरूक कर अधिकार के लिए सजग करने एवं सामाजिक कुरीतियां के खिलाफ भी लोगों को जागरूक करने में लगे रहे।उन दिनों सूदखोर महाजनों शोषक वर्गों का आतंक अंतिम चरणों में चल रहा था। सूदखोर महाजनों के द्वारा खेतों से ही जबरण गरीब आदिवासियों के धान को ले जाने लगे थे।सोबरन सोरेन लोगों को गोलबंद कर सूदखोर महाजनों का विरोध करने लगे थे।
सूदखोर महाजनों ने एक साज़िश कर जब सोबरन सोरेन अपने बच्चे राजाराम सोरेन और शिबू सोरेन जो गोला स्कूल में होस्टल में रह कर पढ़ाई कर रहे थे मिलने के लिए जाने के क्रम में ही पहले घात लगाए सूदखोर महाजनों के गुण्डों ने लुकैयाटांड के तलहट्टे में हत्या कर दी गई थी।देर से लोगों को मालूम हुआ। लम्बी न्यायायिक प्रक्रिया चला और हत्यारे बरी हो गए।सोबरन सोरेन जी के शहादत से 15-16 साल के नवजवान शिबू सोरेन प्रतिशोध की आग में जल रहे थे, और उन्होंने संकल्प कर लिया कि जड़ से सूदखोर महाजनों को समाप्त करना है।
सूदखोर महाजनों शोषक वर्गों के खिलाफ शिबू सोरेन जी का हूल क्रांति शुरू हो गया। महाजनों के खिलाफ धान काटो आन्दोलन सम्पूर्ण दक्षिण बिहार में आग की तरह फैल गया।
सूदखोर महाजनों में भय उत्पन्न हो गया और धीरे-धीरे गरीब आदिवासियों के धान काट कर ले जाने पर रोक लगने लगा।
शिबू सोरेन जी ने बिनोद बिहारी महतो और एक के राय से मिलकर एक राजनीतिक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन धनबाद जिले के गोल्फ मैदान में लाखों लोगों की सभा में किया।
शिबू सोरेन जी के हूल से सूदखोर महाजनों धर धर कांपने लगे और आदिवासियों की जमीन को छोड़ दिए।
शिबू सोरेन अब आदिवासियों के लिए दिशोम गूरू बन कर उभर चुके थे।
जयपाल सिंह मुंडा जी का झारखण्ड आन्दोलन धीमा पड़ चुका था।
दिशोम गुरू शिबू सोरेन जी ने झारखण्ड आन्दोलन को तेज कर दिया। हूल-हूल फिर से शिबू सोरेन का झारखण्ड आन्दोलन तेज हो गया।
लम्बी संघर्ष, हजारों बलिदानी के बाद दिशोम गुरू शिबू सोरेन जी के नेतृत्व में भगवान बिरसा मुंडा जयन्ति के शुभ अवसर पर भारत वर्ष में 15 नवंबर 2000 को देश के 28वां राज्य के रूप में झारखण्ड राज्य का उदय हुआ।
झारखण्ड हमारा अलग राज्य के अस्तित्व में आने के बाद राजनीतिक चेतना के अभाव में राज्य सत्ता झारखंड विरोधियों के हाथों में रहा।


हर्ष की बात है वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखण्डी जनता ने शिबू सोरेन जी के सपनों का झारखण्ड निर्माण के लिए उन्ही के पुत्र हेमन्त सोरेन को राज सत्ता सौंपी है।
अब शहीदों के सपनों को साकार करने का समय आया है।
हेमन्त सोरेन शहीदों के सपनों को साकार करने में लगे हैं।सोना सोबरन धोती साड़ी योजना, बिरसा हरित योजना,नीलम्बर पीताम्बर, पोटो हो खेल योजना, फूलों झानो आशिर्वाद योजना, शहीद निर्मल महतो, शेख़ भीखारी,आदि के नामों पर मेडिकल कॉलेज आदि योजनाओं को हेमन्त सरकार ने शुरू किया है।हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में झारखण्ड तीव्र गति से विकास कर रहा है।