- राजस्व ग्राम के लोगों ने दिया ज्ञापन
- मांगों पर लिखित आश्वासन देने की मांग पर अड़े
- सीसीएल की नीतियों पर उठाये सवाल
भुरकुंडा। सीसीएल बरकासयाल प्रक्षेत्र की बंद भुरकुंडा कोलियरी पुनः चालू कराने के लिए शनिवार को रीवरसाईड ऑफिसर्स क्लब में लोक सुनवाई का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य रूप से रामगढ़ जिला अपर समाहर्ता नेल्सन इयोन बागे, झारखंड प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के कंस्लटिंग एक्जेक्यूटिव कुमार गौरव जैन, आशुतोष कुमार, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड हजारीबाग के अशोक कुमार यादव, पतरातू अंचलाधिकारी शिवशंकर पांडेय, सीसीएल बरकासयाल महाप्रबंधक अमरेश कुमार सिंह और भुरकुंडा परियोजना पदाधिकारी एकेबी सिंह उपस्थित रहे। लोक सुनवाई में प्रक्षेत्र के अधिकारी, राजस्व ग्राम के ग्रामीण, पंचायत प्रतिनिधि, श्रमिक संगठनों के सदस्य सहित अन्य लोग मौजूद रहे। पर्यावरण स्वीकृति के बुलाई गई लोक सुनवाई का शुरुआती चरण राजस्व ग्राम की रैयत, विस्थापित और प्रभावित के विरोध की भेंट चढ़ गया। 12 सूत्री मांग पत्र सौंप विस्थापित प्रभावित मोर्चा के लोग लिखित आश्वासन पर अड़ गये।
12 सूत्री मांगों पर महाप्रबंधक ने रखी अपनी बात
मांगों पर महाप्रबंधक ने कहा कि भुरकुंडा कोलियरी के लिए प्रबंधन रोड सेल के लिए प्रावधान रखेगी। भुरकुंडा ऑफिसर्स क्लब अधिकारियों के लिये है। पंचायतों में सीएसआर के तहत सामुदायिक भवन बनाएंगे। सभी राजस्व गांव में स्थाई पानी की व्यवस्था की जाएगी। जहां पानी की व्यवस्था नहीं है वहां डीप बोरिंग के लिए ग्रामीण प्रोपोजल जमा करें। सीसीएल क्षेत्र में 100000 शौचालय का निर्माण कराया जा चुका है। ओबी डंप का समलती कर जमीन वापस करने का प्रावधान नहीं है। उस जगह पेंड़ पौधे लगाया जाएंगे। लाल लाडली योजना के तहत बच्चों को सुविधाएं दी जा रही है। इस प्रकार की योजनाओं की जानकारी सभी पंचायतों को दी जाए यह सुनिश्चित किया जाएगा। राज्य सरकार प्रदूषण की मोनिटरिंग करती रहेगी। विस्थापितों को विस्थापन प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। उरीमारी और बिरसा परियोजना में इसकी शुरूआत हो चुकी है। डीएमएफटी के तहत कार्यों के लिए डीसी को ग्रामीण मांग सौंप सकते हैं।
क्षेत्र के लोगों ने भी अपनी बातें रखीं-
बुध बाजार पंचायत के प्रधान लव कुमार महतो ने कहा कि प्रबंधन राजस्व ग्राम के ग्रामीणों को लगभग 1924 से छलते आ रही है। क्षेत्र में अधिकांश यूनियनें प्रबंधन की दलाली में लगी हुई है। भुरकुंडा में बाहरी लोगों ने दुकान मकान बना रखा है। बाजार में किसी रैयत की एक दुकान प्रबंधन बताए। सीएसआर का फंड विस्थापित में खर्च करने की बजाय उड़ीसा में खर्च किया जाता है। राजस्व ग्राम में सीसीएल ने विकास का कोई ठोस काम नहीं किया है। कोलियरी खुले लेकिन विस्थापित प्रभावित को पूरा अधिकार सुनिश्चित किया जाए।
गिरधारी गोप ने कहा कि जहां ओपन कास्ट खुलता है। वहां राजस्व ग्राम को सब झेलना पड़ता है। वैसे श्रमिक नेता जिन्हें मुफ्त में बिजली पानी सुविधा मिल रही है वो ही सीसीएल के समर्थन में खड़े हो रहे हैं और मूल रैयत और विस्थापितों को स्वार्थी बताते फिर रहे हैं। प्रबंधन बताये भुरकुंडा में रातों रात कैसे मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग बन जा रही है। यह जमीन किसकी है? रैयतों का कितना दुकान भुरकुंडा बाजार में है। कौन लोग हैं जो सीसीएल क्वार्टरों में कब्जा कर मुफ्त बिजली पानी का उपयोग कर रहे हैं। एसी लगाकर रह रहे हैं। क्वार्टरों पर कब्जा कर व्यवसायिक उपयोग करते आ रहे हैं और रैयत वर्षों से अपना अधिकार मांग रहे हैं तो यही नेता स्वार्थी बता रहे हैं। गिरधारी गोप ने कहा कि सभी मांगो पर मुंहबोली नहीं शपथ पत्र में लिखित आश्वासन के बाद ही राजस्व ग्राम के लोग पर्यावरण की सहमति देंगे। कहा कि रैयत प्रभावित वर्षों से छले जा रहे है। अगर ग्रामीणों ने ठान लिया तो प्रबंधन को जमीन तक खाली करना पड़ जाएगा।
जिला परिषद सदस्य दर्शन गंझू ने कहा कि सीसीएल प्रबंधन राजस्व ग्राम के लोगों को उनका अधिकार दे। सामुदायिक विकास के तहत ग्राम सभा के माध्यम से सीएसआर की योजनाओं का चयन होना चाहिए। ऑफिस में बैठकर लोगों को ठेका पट्टा नहीं दिया जाए। कहा कि कोलियरी खुलने में ही सभी की भलाई है।
चोरघरा पंचायत के मुखिया अखिलेश टोप्पो ने कहा कि हमलोग सीसीएल के द्वारा छले गये है। सीसीएल सही तरीके से काम करती तो आज परेशानी नहीं होती। ग्रामीण कभी भी विकास के बाधक नहीं है। 1924 से ग्रामीणों का जमीन सीसीएल में गया है। विस्थापित प्रभावित आजतक विकास और सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।
जवाहरनगर पंचायत के मुखिया प्रदीप मांझी ने कहा कि 100 साल से सीसीएल चल रही है। पंचायत के 40 एकड़ जमीन में सीसीएल के प्रदूषण के कारण उपज नहीं हो रही है। सीएसआर फंड से एक भी काम नहीं हो रहा है। गांव के लोगों को रोजी-रोजगार तो दूर किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिल रही है। लिखित में मांगों पर आश्वासन देने के बाद ही ग्रामीण समर्थन देंगे।
वहीं अन्य लोगों ने अपनी बातें रखते हुए प्रबंधन की नीतियों पर कड़े सवाल खड़े किये। खबर लिखे जाने तक लोक सुनवाई में ग्रामीण अपनी बातें रख रहे हैं। फिलहाल सुनवाई ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।
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