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सूर्य की उपासना का चार दिवसीय छठ महापर्व नहाए खाए के साथ हो गया है आरंभ

छठ व्रती कल भगवान सूर्य का आराधना कर करेंगे खरना

रामगढ़। लोक आस्‍था एवं सूर्य की उपासना का चार दिवसीय छठ महापर्व 2021 नहाए-खाए के साथ आज सोमवार से आरंभ हो गया है। छठ व्रतियों ने सबसे पहले भगवान भास्‍कर का स्‍मरण कर भोग लगाया। इसके बाद छठ व्रतियों ने भात दाल कद्दू की सब्जी को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। इसके बाद घर के लोग इसका सेवन किया।

छठ व्रती बड़ी तादाद में नहा कर इस व्रत की शुरुआत किया।इस दौरान मिट्टी के बरतन और चूल्‍हे का बड़ा महत्‍व होता है।गेहूं धोकर पूरी पवित्रता के साथ उसे सुखाया गया। फिर जाते में उस गेहूं को पीसा गया है। उसी आटे का पकवान बनाकर भगवान भास्‍कर को अर्पित किया जाता है। बता दें कि घरों की छतों पर गेहूं सूखने के दौरान पवित्रता का पूरा खयाल रखा जाता है। चार दिवसीय छठ पूजा 8 नवंबर से प्रारंभ हो गया है।इस तरह 9 नवंबर को खरना होगा।इस दिन छठ व्रती के साथ पूरा परिवार दूध-भात, गुड़ और केले का सेवन करते हैं।इसके बाद 10 नवंबर को अस्‍ताचल सूर्य देवता को पहले अर्घ्‍य दिया जाता है।

 

इसके अगले दिन यानी 11 नवंबर को अहले सुबह उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ्‍य दिया जाता है।सुबह के अर्घ्‍य के साथ ही छठ महापर्व का समापन होता है। बता दें कि छठ महापर्व के मौके पर पूरे बिहार का माहौल भक्तिमय हो जाता है।चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। इस मौके पर नदी, नहर, तालाब आदि को साफ किया गया है। ताकि घाटों पर छठ व्रती पूजा-पाठ कर सकें. कोरोना संक्रमण के चलते आमलोगों और श्रद्धालुओं से विशेष सतर्कता बरतने का अनुरोध किया गया है।प्रशासन के स्‍तर पर भी इसका खास ख्‍याल रखा जा रहा है। छठ महापर्व कोविड प्रोटोकॉल के तहत मनाया जाए।इसको लेकर व्‍यापक पैमाने पर तैयारी की गई है। वहीं, स्‍थानीय प्रशासन कई टीमें बनाकर इस पर विशेष ध्‍यान रख रहा है।