अगरबत्ती की खुशबू से महक रही महिलाओं की जिंदगी
• राज्य सरकार के पलाश ब्रांड से सखी मंडल की दीदियों के उत्पाद को मिली पहचान
•अधिक बिक्री होने से महिलाओं को मिलेगा लाभ : आयुक्त
मेदिनीनगर : नीलांबर-पीतांबरपुर प्रखंड (लेस्लीगंज) की महिलाएं आत्मनिर्भर भारत एवं महिला सशक्तिकरण की नजीर पेश कर रहीं हैं। झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के तहत सखी मंडल से जुड़कर नीलांबर-पीतांबरपुर की महिलाएं अगरबत्ती निर्माण कार्य में जुटी हैं। अगरबत्ती की खुशबू से इन महिलाओं सखी मंडल की दीदियों की जिंदगी खुशबूदार हो रही है। इससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की राह आसान हो गयी है। सखी मंडल की ये दीदियां न केवल मिशाल पेश की हैं, बलकि दूसरे महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी बनी हैं। इनके अगरबत्ती की खुशबू नीलांबर-पीतांबरपुर सहित जिलेभर में फैलने लगी है। वर्तमान समय में पलाश मार्ट सहित आस-पास के पूजा स्टोरों पर इसकी बिक्री की जा रही है। महिलाओं द्वारा निर्मित अगरबत्ती को व्यापक बाजार उपलब्ध कराने को लेकर जेएसएलपीएस स्थानीय पलामू जिला प्रशासन के सहयोग से कटिबद्ध है।
नीलांबर-पीतांबरपुर के पुराना प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित एक भवन में पलामू जिला प्रशासन द्वारा जिला योजना के अंतर्गत विशेष केंद्रीय सहायता से 25 मैनुअल मशीन लगाया गया है। साथ ही अगरबत्ती निर्माण हेतु अगरबत्ती निर्माण से जुड़े पाउडर, चारकोल आदि रॉ-मैटेरियल भी उपलब्ध कराया गया है। अगरबत्ती निर्माण हेतु मशीन उपलब्ध कराने वाली कंपनी द्वारा ही 50 महिलाओं को अगरबत्ती निर्माण के लिए प्रशिक्षण दिया गया। ताकि वे महिलाएं प्रोफेशनल तरीके से अगरबत्ती का निर्माण कर सके।जिसकी बिक्री बाजार में आसानी से हो सके। अगरबत्ती निर्माण हेतु नीलांबर- पीतांबरपुर अगरबत्ती आजीविका महिला उत्पादक समूह का गठन किया गया। साथ ही इनका अलग से बैंक में खाता भी खोला गया।ताकि अगरबत्ती निर्माण के बाद उसकी बिक्री के पश्चात प्राप्त धनराशि को बैंक खाते में रखा जा सके।
जेएसएलपीएस के अधिकारी एवं अगरबत्ती निर्माण कार्य से जुड़ी सखी मंडल की दीदियों ने बताया कि वे झारखंड सरकार की महत्वकांक्षी योजना पलाश ब्रांड के नाम से अगरबत्ती की पैकिंग कर बाजारों में उतारा है। केन्द्र द्वारा भी नाम पलाश अगरबत्ती निर्माण केन्द्र रखा गया है। सखी मंडल की ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित इन अगरबत्तियों को अपने घर में भी इस्तेमाल करती हैं। इससे उनके उत्पाद का खपत भी बढ़ता है ।और उन्हें यह सस्ते दर पर भी उपलब्ध होता है। जेएसएलपीएस की दीदियों ने बताया कि पैकिंग के लिए डब्बा सेंट, परफ्यूम, पन्नी की खरीददारी के लिए ग्राम संगठन से 40 हजार की लोन लेकर इसकी शुरुआत की। नीलांबर-पीतांबरपुर के पलाश अगरबत्ती निर्माण केन्द्र में निर्मित पलाश ब्रांड की यह अगरबत्ती चार तरह के सुंगध में उपलब्ध है। इसमें गुलाब, जसमिन, मोगरा एवं बेली का सुंगध है। इसे जलाने पर अलग- अलग खुशबू मिलती है। साथ ही इसका बाजार मूल्य 10 रूपये एवं 20 रूपये है। जेएसएलपीएस की लाडली आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अगरबत्ती निर्माण कार्य में जुटी अहिल्या गिरि ने बताया कि 10 रूपये की अगरबत्ती के पैकेट में 16 स्टिक एवं 20 रूपये के पैकेट में 36 स्टिक भरकर पैकिंग किया जाता है।जो बाजार में उपलब्ध अन्य ब्राडेंड अगरबत्ती की तुलना में इसकी खुशबू अधिक है ।और पलाश अगरबत्ती में स्टिक भी अधिक है।अगरबत्ती निर्माण कार्य में अहिल्या गिरी, सविता देवी, किरण, मीना, अबिता देवी, रामा देवी, संध्या देवी, रिंकी देवी, चिंता देवी, स्वाति, सोनामती, बबीता, ललिता, आशा, गुड़िया आदि विभिन्न आजीविका स्वयं सहायता समूह सखी मंडल की 50 महिलाएं जुटी हैं।
पलाश मार्ट के अलावा बाजार की मांग पर पलाश अगरबत्ती के साढ़े तीन हजार पैकेट तैयार कर भेजा जा चुका है। वहीं मांग के अनुरूप अगरबत्ती का निर्माण एवं उसका पैकेजिंग किया जा रहा है।ताकि अगरबत्ती का भंडारण नहीं रहे।
प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने अगरबत्ती निर्माण कार्य से जुड़ी सखी मंडल की दीदियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दिया। उन्होंने कहा कि सखी मंडल की दीदियों द्वारा पलाश अगरबत्ती निर्माण केन्द्र से जुड़कर अगरबत्ती निर्माण करना एवं झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत पलाश के नाम से अगरबत्ती की पैकिंग कर बाजार में बिक्री करना ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनने की दिशा में एक अनूठी पहल है। उन्होंने बताया कि प्रशासन द्वारा अगरबत्ती निर्माण हेतु सखी मंडल की दीदियों को औद्योगिक मशीन दी गई है। इस कार्य को और आगे ले जाने के लिए जेएसएलपीएस की टीम को यहां की अगरबत्ती उत्पाद को बाजार से व्यापक तरीके से जोड़ने का निर्देश दिया। साथ ही बाजार में अगरबत्ती के जो अन्य उत्पाद उपलब्ध हैं।उसके तुलना में इसकी गुणवत्ता, लंबाई, कितने देर तक जलता है ।और उसकी खुशबू आदि का आकलन करते हुए बेहतर गुणवत्ता वाले अगरबत्ती की निर्माण करा कर लोगों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। साथ ही पूजा दुकानों के दुकानदारों के साथ बैठक कर पलाश ब्रांड की अगरबत्ती से जोड़ने का भी निर्देश दिया। ताकि अधिक-से- अधिक इसकी बिक्री संभव हो सके।अधिक मांग पर पलाश ब्रांड की अगरबत्ती को बनाया जा सकेगा और इसका लाभ सखी मंडल की दीदियों को होगा। उपायुक्त शशि रंजन ने बताया कि सखी मंडल की दीदियों की आत्मविश्वास और कार्य करने की इच्छाशक्ति को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से विशेष केन्द्रीय सहायता योजना के तहत अगरबत्ती निर्माण केन्द्र अधिष्ठापित की गई है। साथ ही महिलाओं को अगरबत्ती निर्माण हेतु प्रशिक्षण भी दिया गया ।ताकि वे अगरबत्ती निर्माण कर अपनी जीविकोपार्जन कर सकें। अधिक-से-अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने की दिशा में जिला प्रशासन प्रयासरत है। ताकि महिलाएं अपने पैरों पर खड़ा होकर आर्थिक आमदनी कर सकें। उन्होंने बताया कि महिलाएं स्वयं सशक्त होंगी तो उनके परिवार की आमदनी बढ़ेगी।जिससे उन्हें अन्य कार्य करने में मदद मिलेगी। अगरबत्ती निर्माण को लेकर महिलाएं काफी उत्सुक हैं ।और अच्छा कार्य कर रही हैं। अगरबत्ती बनाने का कार्य पूर्ण कालिक नहीं रहता है।महिलाएं घर के कार्य के अलावा खाली समय में अगरबत्ती निर्माण का कार्य करती हैं।उनके अगरबत्ती उत्पाद को जेएसएलपीएस के पलाश ब्रांड से संबद्ध किया गया है। निर्माण के बाद अगरबत्ती को पलाश मार्ट एवं बाजार में बिक्री की जा रही है। इसका फायदा भी उन्हें मिल रहा है।
जेएसएलपीएस के डीपीएम विमलेश शुक्ला ने बताया कि जिला प्रशासन के सहयोग से विशेष केंद्रीय सहायता स्कीम के तहत पलाश अगरबत्ती निर्माण केंद्र की स्थापना की गई है।जहां पर सखी मंडल की दीदी बड़े पैमाने पर अगरबत्ती का निर्माण कार्य कर रही हैं। पलाश ब्रांड के अंतर्गत आपसी सहयोग से इसका आपूर्ति एवं विपणन का कार्य किया जा रहा है।
बीपीओ सुनील कुमार ने बताया कि अगरबत्ती निर्माण हेतु औद्योगिक मशीनें लगाई गई है। महिलाएं जो घरेलू काम के बाद बैठी रहती थी।इधर-उधर की बातें करते रहती थी।बेरोजगार थीं। उनकी आजीविका संवर्धन हेतु इस केंद्र की स्थापना की गई है। यहां सखी मंडल से जुड़ी महिलाएं अगरबत्ती निर्माण कार्य कर रही हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं द्वारा निर्मित अगरबत्ती को वर्तमान समय में पलाश स्मार्ट एवं पूजा की दुकानों में भेजी जा रही है। यहां की अगरबत्ती को पलामू जिला सहित राज्य के अन्य हिस्सों में पहुंचाने का उद्देश्य है।ताकि सखी मंडल की दीदियों को अत्यधिक मुनाफा हो सके। उन्होंने बताया कि इस केन्द्र के माध्यम से निर्माण किए गये अगरबत्ती से सखी मंडल की दीदियों की आमदनी भी होने लगी है।
अगरबत्ती निर्माण से हो रहा फायदा।सखी मंडल की अहिल्या गिरि, स्वाति देवी एवं अन्य दीदियों ने बताया कि सखी मंडल एवं अगरबत्ती निर्माण कार्य से जुड़ने के बाद उनकी जीवनशैली ही बदल गई है। आर्थिक रूप से सबल हो रहीं हैं। घरों में खाली समय बैठने के बजाए आर्थिक आमदनी कर रही हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई से लेकर अन्य कार्यो को करने में मदद मिल रही है।महिलाओं ने अगरबत्ती निर्माण के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया। इससे उनके हाथ में हूनर आयी और अगरबत्ती निर्माण कर अब आर्थिक आमदनी कर रही हैं। भविष्य में और अधिक फायदे की उम्मीद है।