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मूलवासी सदान मोर्चा का धरना में बोले वक्तागण

सदानों के अधिकार से खिलवाड़ ना करें सरकार, लड़के लिया झारखंड, अड़ लेंगे हक

रांची।मूलवासी सदान मोर्चा की ओर से सदान आयोग का गठन करने झारखण्ड की क्षेत्रीय सदानी भाषाओं नागपुरी, पंचपरगनिया खोरठा,कुरमाली, को प्राथमिक स्तर से पढ़ाई करवाने एवं भाषा तथा अन्य समस्याओं का समाधान करने, स्थानीय को परिभाषित करने व नियोजन नीति बनाने सहित सदानों की 21 सूत्री मांगों को लेकर लेकर राजभवन के समक्ष एक दिवसीय धरना दिया गया।
इस अवसर पर मोर्चा के वरिष्ठ नेत क्षितीश कुमार राय ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज सदान समुदाय अपने अधिकार के लिए सड़क पर उतर कर धरना दे रहा है।इस धरना मे क्षेत्रीय भाषाओं के भाषाविद,शिक्षक, साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी, कलाकार सभी लोगों को सड़क पर उतरने के लिए सरकार ने मजबूर कर दी है। उन्होंने कहा कि जहाँ 65 प्रतिशत आबादी सदानों की है वहीं वे उपेक्षित हैं। जिन सदानों ने झारखण्ड प्राप्त करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। स्वतंत्रता की लड़ाई हो या झारखण्ड आंदोलन सदानों अपनी शहादत दी। लेकिन हर सरकार की तरह वर्तमान सरकार भी सदानों के साथ भेदभाव कर रही है।उन्होंने कहा कि जिन 4 क्षेत्रीय भाषाओं नागपुरी, पंचपरगनिया खोरठा, कुरमाली, के आधार पर राज्य अलग हुआ उन्हीं क्षेत्रीय भाषाओं को दरकिनार कर दिया गया। इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। सदान कोई एक जाति या धर्म नहीं है जिसे दबाया जा सकता है। यह उन गैर आदिवासियों का समूह हैं,जो झारखण्डी धरती के पुत्र हैं । इनकी अवहेलना, इनकी भाषा की अवहेलना का षड्यंत्र 65 प्रतिशत सदानों की अवहेलना है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जायगा। श्री राय कहा यह आंदोलन जन-जन का आन्दोलन बन जायगा इसमें संदेह नहीं। श्री राय ने कहा सरकार को यह भूलना नहीं चाहिए कि मूलवासी सदानों के सहयोग से गठबंधन की सरकार बन पाई है। उन्होंने सदान आयोग,का गठन व स्थानीय नीति को परिभाषित करने नियोजन नीति बनाने के बाद ही कोई नियुक्ति करने की मांग सरकार से की है।


डॉ करमचंद आहिर ने कहा
झारखण्ड की सम्पूर्ण आबादी के द्वारा चाहे वह मूलवासी सदान हो जनजाति हो क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग मातृभाषा अथवा सम्पर्क भाषा के रूप में करती है। ऐसे में क्षेत्रीय भाषाओं की अवहेलना करना झारखण्ड को बर्बादी की ओर ढकेलना है । उन्होंने कहा कि झारखंड की जनजाति भाषाओं के साथ सभी सदानी चार क्षेत्रीय भाषाओं में नागपुरी पंचपड़गानिया खोरठा और कुरमाली को भी आठवीं अनुसूची में डालने की मांग सरकार से की। उन्होंने स्थानीय नीति बनाने के लिए एक कमेटी बनाने की मांग की है जिसमें सदानों को भी रखे जाने की मांग सरकार से की।
डॉ शकुंतला मिश्रा ने कहा कि सरकार को यह नहीं भूलना नहीं चाहिए कि झारखंड में 65% मूलवासी सदान रहते हैं। जिन्होंने अलग राज्य लेने में तन मन धन निछावर किया है ।मूलवासी सदान एवं जनजाति एक सिक्के के दो पहलू हैं सदानों की क्षेत्रीय भाषा को उनका हक दे सरकार। डॉ श्रीमती मिश्रा ने कहा आज मूलवासी सदान मोर्चा के साथ शिक्षाविद, साहित्यकार, संस्कृति कर्मी, खड़े हैं इसे सरकार समझ ले। उन्होंने कहा सरकार की ओर से सिर्फ पांच भाषाओं मुंडारी, हो, संथाली खड़िया, उरांव, की पढ़ाई करने की बात करना घोर आश्चर्य की बात है। उन्होंने कहा कि झारखंड में 32 जनजातीय रहती है।जिसमें 27 जनजातियां सदानों की क्षेत्रीय भाषा नागपुरी, पंचपरगनिया, खोरठा, कुरमाली, को भी बोलती है और समझती है। ऐसे में क्या सभी झारखंडी भाषाओं के विकास की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है? उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर कार्य आर एन पी में सुधार करने के लिए झारखंड सरकार से पहल कर सदानी/ सादरी /नागपुरी को एक ही कॉलम में कराने की मांग भारत सरकार से की। रमेश दयाल सिंह ने कहा अलग राज्य की लड़ाई में हम लोगों ने धनबल सब तरह से सहयोग किया। लेकिन आज हम सदान ,सरकार के गलत नीति के कारण उपेक्षित हैं। विशाल कुमार सिंह ने कहा झारखंड में विधानसभा का सीट को एक काशी से बढ़ाकर 160 किया जाना चाहिए। तभी मूलवासी सदानों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिल पाएगा।
धरना के पश्चात एक प्रतिनिधिमंडल क्षितिश कुमार राय के नेतृत्व में राजपाल के नाम राजभवन जाकर 21 सूत्री मांग पत्र सौंपा। जिनमें मुख्य मांगे हैं-:स्थानीय नीति को परिभाषित करना, मूलवासी आयोग का गठन करना, विधानसभा की सीटों के को 81 से बढ़ाकर160 करना को पंचायत को इकाई मानकर उनकी क्षेत्र का निर्धारण करना, क्षेत्रीय सदानी भाषा को भी आठवीं सूची में डालना ,सदानी भाषाओं को क्लास वन से एम ए तक पढ़ाई शुरू करना और शिक्षकों की नियुक्ति करना, झारखंड के मूलवासी सदानों पिछड़ों स्वर्ण और दलितों को आबादी के अनुसार आरक्षण देना, इत्यादि मांगो का ज्ञापन सौंपा गया। धरना की अध्यक्षता क्षितिश कुमार राय ने की संचालन डॉ शकुंतला मिश्रा ने की।
धरना स्थल पर तख्ता में लिखा गया था-सदान आयोग का गठन करो , सदानों को उनका हक दो, सदानी भाषाओं का अस्तित्व मिटने नहीं देंगे, जनगणना अधिसूचना 2021 में सुधार हो क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई प्राथमिक स्तर से शुरू हो सदानों की भावनाओं से खिलवाड़ बंद करो, झारखंड की समन्वित संस्कृति को मिटने नहीं देंगे, लड़के लिया झारखंड अड़ के लेगें अपना हक इत्यादि नारे लिखे हुए थे और लोग नारे लगा रहे थे।


धरना स्थल में डॉ उमेश नाथ तिवारी डॉ सुदेश कुमार रमेश दयाल सिंह, प्रो विक्रम कुमार सेठ प्रो लक्ष्मीकांत प्रमाणित दुर्गा चरण महतो दिनेश महतो गौतम महतो शैलेंद्र महतो प्रभाकर मुंडा संजय कुमार महतो सुमंत कुमार प्रदीप महतो कालीचरण महतो कमला होता रवि कुमार डॉ सविता केसरी साधु माली जगन्नाथ गंजू ब्रज भूषण पाठक हाफिजुर रहमान डॉक्टर दीनबंधु महतो सूरज कुमारी प्रवीण सिंह आनंद बर्मा संजय कुमार अभिजीत आनंद सुबोध कुमार विकास कुमार मेहता संतोष कुमार भगत विजय जायसवाल के अलावे काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।