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पुलिस प्रशासन के खिलाफ 27 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे पूर्व विधायक

मामला :  रजरप्पा थाना क्षेत्र के बड़कीपोना में पुलिस और ग्रामीण हिंसक झड़प का

पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने इस मुद्दे पर किया प्रेस कॉन्फ्रेंस

मुख्यमंत्री के गृह जिला में पुलिस का आतंक, एसपी की धमकियां, उपायुक्त की खामोशी लोकतंत्र पर प्रश्न खड़ा कर रही: शंकर चौधरी

रामगढ़। जिला के रजरप्पा थाना क्षेत्र के बड़कीपोना के केतार गांव मैं 16 अक्टूबर की देर शाम पुलिस और ग्रामीण के बीच हुई झड़प अब राजनीतिक तूल पकड़ने लगी है। इस घटना को लेकर सोमवार को रामगढ़ के पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने अपने आवासीय कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने कहा कि बड़कीपोना की घटना केवल प्रशासनिक विफलता ही नहीं है। यह मुख्यमंत्री का गृह जिला होने के कारण यहां के पदाधिकारियों का उत्तरदायित्व और भी बढ़ जाता है। लेकिन ठीक इसके विपरीत मुख्यमंत्री जी का गृह जिला होने के कारण जनता के प्रति पुलिस का आतंक पुलिस कप्तान की धमकियां उपायुक्त की खामोशी ने प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या यही लोकतंत्र हैं?

पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने कहा कि अगर ऐसा है तो इस झारखंड का भगवान ही मालिक है। मैं फिर कह रहा हूं कि सरकार की गाइडलाइन 15 अक्टूबर तक के लिए थी। दशहरा भी 15 अक्टूबर को ही था। बड़कीपोना के बच्चे जो रावण का निर्माण किया था सरकार की गाइडलाइन के कारण उसे 15 अक्टूबर को नहीं जलाया और प्रशासन का आदेश का पालन किया। 16 अक्टूबर को वे रावण जला रहे थे तो पुलिस को वहां जाने की क्या आवश्यकता थी। पुलिस वहां गई ही नहीं बल्कि वहां जाकर जो आतंक का माहौल तैयार किया। जिसे कभी भी उचित नहीं कहा जा सकता। इस घटना के बाद पुलिस कप्तान ने कमान अपने हाथों में ले ली थी। पुलिस कप्तान जो रुख अख्तियार या वह और भी भयावह था। पूरे गांव को बल के द्वारा घेर लिया गया था। लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जा रहा था। घरों में घुसकर जो भी मिले उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। ऐसे ही बहादुर पुलिस कप्तान की आवश्यकता आज के समय कश्मीर में है। सरकार को चाहिए ऐसे बहादुर कप्तान को कश्मीर में डेपुटेशन पर भेज दिया जाए।


पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने कहा कि रामगढ़ गांधी और सुभाष की धरती है। लोकतांत्रिक तरीके से हम हर जुल्म का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि गांव की मृतिका शहीद ओमानो देवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि वृद्ध की मौत स्वाभाविक नहीं बल्कि आंतरिक एवं बाहरी चोट से हुई है। इस रिपोर्ट पर भी पुलिस कप्तान को भरोसा नहीं। अब वह गहन जांच करेंगे कि महिला को आंतरिक एवं बाहरी चोट से कैसे लगी। पोस्टमार्टम भी करने वाले सरकारी डॉक्टर ही थे। वह भी उपायुक्त द्वारा नियुक्त दंडाधिकारी के सम्मुख सारी प्रक्रिया हुई है। फिर पुलिस कप्तान को भरोसा क्यों नहीं है। शंकर चौधरी ने कहा कि पुलिस प्रशासन के इस रवैया के खिलाफ 27 अक्टूबर को प्रातः 10:00 बजे से बड़कीपोना दुर्गा पिंडा के पास अनिश्चितकालीन ले नाइट का धरना दिया जाएगा।

धरना की मुख्य पांच मांग इस प्रकार है

दीपावली के कारण सभी 26 व्यक्तियों को बिना शर्त रिहा किया जाए। शहीद अमानो देवी 75 वर्ष के परिवार को 20 लाख रुपैया मुआवजा दिया जाए। दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर धारा 302 के अंतर्गत एफ आई आर दर्ज हो एवं उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाए। गांव से पुलिस बल अभिलंब हटाया जाए। रात में पुलिस पेट्रोलिंग कर लोगों को तंग करना बंद किया जाए।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में थे उपस्थित

पूर्व विधायक शंकर चौधरी के आवासीय कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में छावनी परिषद के पूर्व सदस्य सूरज प्रसाद, श्रीनारायण महतो, रामेश्वर महतो, कमल नाथ महतो, सुनील महतो, अभय सिंह, आदित्य सिंह, चरण केवट, मिथिलेश महतो,मनोहर महतो,परमेश्वर महतो आदि मौजूद थे।